11-08-2022, 05:28 PM
( वो ) आपका देवर और आशिक भी क्यों भाभी गुस्से में तो आपकी गाल सेव की तरह लाल लग रही है ” वो कुछ दूरी पर ही खड़ा था तो मेरी नजर उसपर गई और मैं उसके ओर गई तो भाभी और देवर के बीच बातचीत कोई भला क्या शक करेगा, तभी वक़्त रात के ०८:३० हो रहे थे तो मै विवेक के साथ ही आंगन से निकल पड़ी और संयोग अच्छा था कि मेरे पति ना तो आंगन में थे और ना ही बाहर बारातियों के साथ तो मुझे मालूम नहीं था कि मेरा देवर विवेक मुझे किधर ले जा रहा था। दीपा अब शादी के घर से ५०-६० मीटर की दूरी पर रुकी ” विवेक किधर जाना है
( वो ) यहीं पर अपनी गाड़ी लगी है उसमें बैठकर दोनों बातचीत करेंगे ” तो कुछ दूरी पर कई कार और गाड़ी लगी हुई थी, निश्चित रूप से बाराती इससे आए होंगे तभी विवेक एक बड़ी कार का गेट खोला तो वहां कोई नहीं था और दोनों कार के पिछले सीट पर बैठे तो विवेक गेट बंद कर ए सी चालू किया फिर दोनों एक दूसरे से लिपटकर एक दूसरे को चूमने लगे, उसकी बाहों में आकर मैं मस्त थी तो उसके गोद में अपनी गोल गद्देदार चूतड रख उसके गर्दन में हाथ डाल ओंठ चूमने लगे और विवेक मेरी पीठ सहलाते हुए ओंठ को मुंह में लिए चूसने लगा तो दीपा उसका साथ देने लगी, एक ओर स्वाति की शादी हो रही थी तो दूसरी ओर दीपा अपने दूसरे पति यानी देवर के साथ सुहागरात मनाने को तैयार थी
( वो ) यहीं पर अपनी गाड़ी लगी है उसमें बैठकर दोनों बातचीत करेंगे ” तो कुछ दूरी पर कई कार और गाड़ी लगी हुई थी, निश्चित रूप से बाराती इससे आए होंगे तभी विवेक एक बड़ी कार का गेट खोला तो वहां कोई नहीं था और दोनों कार के पिछले सीट पर बैठे तो विवेक गेट बंद कर ए सी चालू किया फिर दोनों एक दूसरे से लिपटकर एक दूसरे को चूमने लगे, उसकी बाहों में आकर मैं मस्त थी तो उसके गोद में अपनी गोल गद्देदार चूतड रख उसके गर्दन में हाथ डाल ओंठ चूमने लगे और विवेक मेरी पीठ सहलाते हुए ओंठ को मुंह में लिए चूसने लगा तो दीपा उसका साथ देने लगी, एक ओर स्वाति की शादी हो रही थी तो दूसरी ओर दीपा अपने दूसरे पति यानी देवर के साथ सुहागरात मनाने को तैयार थी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.