11-08-2022, 05:08 PM
मैं दीपा के सीने पर चेहरा किया तो दीदी मेरे बाल सहलाते हुए मुंह में अपनी चूची घुसेड़ दी और मैं दीपा की चूची चूसने लगा, उससे थोड़ा बहुत दूध भी निकल रहा था तो गजब का आनंद मुझे आने लगा और दीपा मेरे चूतड़ सहलाते हुए ” उह ओह चूस चूस बे कुत्ते और दीदी की दूध भी पी ले
( मैं चूची निकालकर ) दूध में काफी मिठास है बेबी ” वो अपने चेहरा को दूसरी दिशा में करके शरमाने लगी लेकिन मैं दीदी की दूसरी चूची मुंह में लेकर चूसने लगा और दीपा मेरे पीठ सहलाते हुए आहें भर रही थी ” ओह राहुल बहुत खुजली हो रही है उह और नहीं ” फिर उनकी बूब्स छोड़कर मैं दीपा के छाती से पेट तक को चूमने लगा, इधर लंड महाराज चूत में जाने को तैयार था लेकिन बिना लड़की को गर्म किए चोदने का आनंद कहां है साहब! दीपा अपने दोनों पैर एक दूसरे पर चढ़ाकर रगड़ने में मस्त थी तो मैं उनके कमर चूमने लगा और धीरे धीरे नीचे की ओर जाने लगा, उनके दोनों जांघों को अलग किया तो दीदी मेरे सामने आत्मसमर्पण कर चुकी थी और फिर मैं उनके पैंटी की हूक को खोलकर चूत को नग्न किया और दीदी कि लालिमा लिए चूत के फांकों की मोटाई बढ़ चुकी थी तो नाक की भांति टाईट शिश्निका देख मैं अपने आपको रोक नहीं पाया फिर उसको सहलाने लगा ” दीपा तो पड़ोस का कोई मर्द जो तुझे चोदता हो
( वो ) अबे अपनी दीदी को रण्डी समझा है क्या
( मैं मुंह उसके चूत पर लगाकर चूमने लगा ) तुम शुरू से ही सेक्स की शौकीन रही हो समझी ” और उसकी चूत को जब उंगलियों से अलग किया तो सही में बुर का छेद काफी फैल चुका था, मैं बुर पर चुम्बन देने लगा और वो सिसकने लगी…
( मैं चूची निकालकर ) दूध में काफी मिठास है बेबी ” वो अपने चेहरा को दूसरी दिशा में करके शरमाने लगी लेकिन मैं दीदी की दूसरी चूची मुंह में लेकर चूसने लगा और दीपा मेरे पीठ सहलाते हुए आहें भर रही थी ” ओह राहुल बहुत खुजली हो रही है उह और नहीं ” फिर उनकी बूब्स छोड़कर मैं दीपा के छाती से पेट तक को चूमने लगा, इधर लंड महाराज चूत में जाने को तैयार था लेकिन बिना लड़की को गर्म किए चोदने का आनंद कहां है साहब! दीपा अपने दोनों पैर एक दूसरे पर चढ़ाकर रगड़ने में मस्त थी तो मैं उनके कमर चूमने लगा और धीरे धीरे नीचे की ओर जाने लगा, उनके दोनों जांघों को अलग किया तो दीदी मेरे सामने आत्मसमर्पण कर चुकी थी और फिर मैं उनके पैंटी की हूक को खोलकर चूत को नग्न किया और दीदी कि लालिमा लिए चूत के फांकों की मोटाई बढ़ चुकी थी तो नाक की भांति टाईट शिश्निका देख मैं अपने आपको रोक नहीं पाया फिर उसको सहलाने लगा ” दीपा तो पड़ोस का कोई मर्द जो तुझे चोदता हो
( वो ) अबे अपनी दीदी को रण्डी समझा है क्या
( मैं मुंह उसके चूत पर लगाकर चूमने लगा ) तुम शुरू से ही सेक्स की शौकीन रही हो समझी ” और उसकी चूत को जब उंगलियों से अलग किया तो सही में बुर का छेद काफी फैल चुका था, मैं बुर पर चुम्बन देने लगा और वो सिसकने लगी…
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.