11-08-2022, 05:06 PM
( मेरी आंखें खुली ) ठीक है एक कप चाय जाकर बनाओ मैं अभी आया ” फिर मैं वाशरूम जाकर फ्रेश हुआ तो वक़्त सुबह के ०७:०५ हो रहे थे फिर मैं रूम से बाहर निकला तो जीजा जी वहीं बैठकर डैड से बात कर रहे थे, मैं उनका चरण स्पर्श कर दीदी के रूम घुसा तो दीदी मुझे देख बेड पर से उठी फिर मुझे बाहों में लेकर गले मिल ली तो उनके भारी भरकम चूतड़ को मैं सहला दिया ” और क्या हाल है भाई
( मैं बेड पर बैठकर भांजी नताशा का गाल पुचकारा ) ठीक है और तुम
( दीदी ) ठीक हूं ” फिर मॉम वहीं पर आकर दोनों को चाय का कप देकर चली गईं तो मैं चाय की चुस्की लेते हुए दीपा की बूब्स को घूरने लगा और मेरी आंखों की चोरी पकड़ते हुए वो झेंप गई तो मैं मुस्कराने लगा ” काफी बड़ा हो गया है
( वो चेहरा ऊपर कर बोली ) तुम्हारी शैतानी कम नहीं हुई है ” फिर दिन और रात आराम से बित गया तो मुझे जीजा के वापस जाने का इंतजार था ताकि दीपा के साथ सेक्स का आनंद ले सकूं लेकिन भांजी के जन्म के बाद दोनों के बीच मुलाकात तो हुई थी लेकिन सेक्स नहीं हुआ था। दो दिन के बाद जीजा वापस अपनी ड्यूटी ज्वाइन करने के लिए दिल्ली चले गए तो मैं उनको कानपुर जंक्शन पर छोड़कर वापस घर आने के क्रम में रास्ते में ही एक क्वार्टर वाईन लेकर पी लिया तो दिमाग में सिर्फ दीदी कि चुदाई का ही प्लान चल रहा था। घर तकरीबन ०८:०० बजे पहुंचा तो दिसम्बर की कड़क ठंड में डैड, मॉम अपने रूम में थे तो दीदी शायद अपने रूम में वैसे भी मेरा कमरा दीदी के कमरे से सटा हुआ है और दोनों के बीच का वाशरूम कॉमन है और इसी रास्ते अंदर घुसकर आज दीदी कि चुदाई करनी थी, फिलहाल हाथ पैर धोकर कपड़ा बदला और दीदी के रूम चला गया तो दीदी अपनी बेटी को गोद में लिए सुला रही थी, मुझे देख बोली ” और जीजा को ट्रेन पर बिठा दिए
( मैं बेड पर बैठकर भांजी नताशा का गाल पुचकारा ) ठीक है और तुम
( दीदी ) ठीक हूं ” फिर मॉम वहीं पर आकर दोनों को चाय का कप देकर चली गईं तो मैं चाय की चुस्की लेते हुए दीपा की बूब्स को घूरने लगा और मेरी आंखों की चोरी पकड़ते हुए वो झेंप गई तो मैं मुस्कराने लगा ” काफी बड़ा हो गया है
( वो चेहरा ऊपर कर बोली ) तुम्हारी शैतानी कम नहीं हुई है ” फिर दिन और रात आराम से बित गया तो मुझे जीजा के वापस जाने का इंतजार था ताकि दीपा के साथ सेक्स का आनंद ले सकूं लेकिन भांजी के जन्म के बाद दोनों के बीच मुलाकात तो हुई थी लेकिन सेक्स नहीं हुआ था। दो दिन के बाद जीजा वापस अपनी ड्यूटी ज्वाइन करने के लिए दिल्ली चले गए तो मैं उनको कानपुर जंक्शन पर छोड़कर वापस घर आने के क्रम में रास्ते में ही एक क्वार्टर वाईन लेकर पी लिया तो दिमाग में सिर्फ दीदी कि चुदाई का ही प्लान चल रहा था। घर तकरीबन ०८:०० बजे पहुंचा तो दिसम्बर की कड़क ठंड में डैड, मॉम अपने रूम में थे तो दीदी शायद अपने रूम में वैसे भी मेरा कमरा दीदी के कमरे से सटा हुआ है और दोनों के बीच का वाशरूम कॉमन है और इसी रास्ते अंदर घुसकर आज दीदी कि चुदाई करनी थी, फिलहाल हाथ पैर धोकर कपड़ा बदला और दीदी के रूम चला गया तो दीदी अपनी बेटी को गोद में लिए सुला रही थी, मुझे देख बोली ” और जीजा को ट्रेन पर बिठा दिए
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.