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Incest तेरी दीदी बेशर्म
#19
पा की मचलती जवानी को एक नया खिलौना मिल चुका था तो देवर जी ५’१० इंच लंबे, गोरा मुखड़ा साथ ही चौड़ी छाती तो मूसल लंड के साथ मेरे प्रति आकर्षित हो चुके थे तो कल शाम को पैतृक गांव से लौटते वक़्त वो मुझे कार में ही चोद लिए और अपने भाई राहुल, पति नमन के अलावा ये मेरे कामुक जीवन का तीसरा अध्याय बन गया तो उस रात थकावट के कारण खाना खा कर सो गई और पति नमन भी चोदने को उतने उत्सुक नहीं थे और अगले सुबह उठकर मैं फ्रेश हुई फिर रूम में ही नाईटी बदलकर साड़ी पेटीकोट और ब्लाऊज़ पहनने लगी, सासू और ससुर के सामने नाईटी पहनकर जाना वर्जित था तो तैयार होकर डायनिंग हॉल आई फिर सर पर पल्लू लिए सासू मां के पास गई ” क्या चाय बना दूं

( सासू ) हां सबके लिए चाय बना दे अभी सबको उठाती हूं ” फिर मैं किचन जाकर चाय बनाने लगी और कुछ देर के बाद मैं वहीं सासू के साथ बैठकर चाय पीने लगी तो देवर और मेरे पति दोनों बालकनी में बैठकर चाय की चुस्की ले रहे थे। पल भर बाद मैं वहां से उठकर रूम चली गई तो नमन आकर बैठा ” तुम फटाफट मेरे लिए कुछ नाश्ता बना दो मैं स्नान करने जा रहा हूं
( दीपा ) कहीं जाना है क्या
( नमन ) हां दोपहर तक वापस आ जाऊंगा ” और मैं किचन जाकर उनके लिए पराठा सब्जी बनाने लगी, कुछ देर बाद कामवाली बाई आकर मेरे काम में हाथ बटाने लगी तो अभी सुबह के ०८:१० हो रहे थे, मैं नाश्ता तैयार करके रूम गई फिर देखी की नमन कपड़ा पहन रहे हैं ” आपके साथ विवेक भी जा रहा है ना
( वो मुस्कुराते हुए बोले ) तो फिर तुम्हारा ख्याल कौन रखेगा ” और मैं झेंप गई फिर पति नाश्ता करने लगे तो मैं उनके पास चुपचाप खड़ी थी, उधर विवेक सोफ़ा पर बैठे मुझे ही घुर रहा था तो बीच बीच में मैं भी उसे ताड़ रही थी और दोनों की नजरें मिलने लगी तो मेरे बदन में गुदगुदी सी हो गई फिर दोनों भाई घर से निकले तो मैं दरवाजे तक जाकर उन्हें हाथ हिलाकर बाए की और विवेक कार के घर से निकलते ही गेट लगाकर अंदर आए तो मैं अपने रूम जाकर लेट गई, सोच रही थी कि कल की हरकत दुबारा की जाए लेकिन यहां तो सासू मां भी हैं और कामवाली बाई भी, सो देवर पर ही छोड़ दिया और कुछ देर बाद मेरी सासू जैसे ही रूम में घुसी मैं उठकर खड़ी हो गई ” ऐसा है बहू, तुम आराम करो स्नान करके नाश्ता कर लेना मैं पास के मन्दिर से आती हूं ” मैं समझ गई कि मौका मिल चुका है बस विवेक मेरी ओर आकर मुझसे छेड़ छाड़ करे और उधर कामवाली बाई सुनीता घर में झाडू लगाने में जुटी थी तो मैं जानबूझकर बालकनी चली गई और वहीं कुर्सी पर बैठी, कुछ देर बाद विवेक की आवाज सुनाई दी ” क्या भाभी जी आप अकेले बोर हो रही हैं
( मैं मुंह फेरते हुए ) आपके भैया तो मेरी ख्याल रखने को आपको बोल गए हैं लेकिन आप को मेरी कोई फिक्र नहीं
( विवेक कुर्सी पर बैठा ) आदेश कीजिए भाभी जी ” और दोनों की नजरें आपस में टकराने लगी मानो प्रेमी युगल हों तो देवर जी मेरे कलाई को पकड़ बोले ” बस सुनीता काम निपटाकर चली जाए
( मैं मुंह ऐंठ बोली ) ओह उसके बाद आप काम करेंगे ” तो देवर झट से मेरी गाल को चूमकर उठा और चला गया, मैं शर्मिंदगी महसूस करने लगी फिर बैठी रही और कुछ देर बाद मेरे दिमाग में एक आइडिया आया, उठकर किचन गई और सुनीता को बर्तन मांजते देख बोली ” मैं स्नान करने जा रही हूं तुम काम निपटा कर मेन गेट सटा देना
( वो ) जी दीदी वैसे भी विवेक बाबू अपने रूम में हैं ” मैं चली गई फिर अपने रूम में वार्डरोब से दूसरी साड़ी, पेटीकोट और ब्लाऊज़ निकाल बेड पर बैठी विवेक को बुलाने की सोच रही थी। कुछ देर के बाद देवर मेरे रूम आए और मुझे उदास बैठे देख पूछे ” क्या हुआ भाभी, स्नान करना है तो कर लीजिए ” मैं उसको आंख मारी और वो समझदार की तरह अपने रूम चला गया फिर आया तो मैं वाशरूम में घुसकर अपने साड़ी और ब्लाऊज उतार चुकी थी तो पेटीकोट को अपने छाती से बांधे झरना के नीचे खड़े अब झरना चालू करने वाली थी कि वाशरूम का दरवाजा किसी ने खटखटाया और मैं आराम से भिंगे बदन का नुमाइश करनी लगी, दरवाजा खुलते ही देवर जी अंदर आ गए और मुझे देख वो झट से अपना बनियान और पैजामा उतार फेंके साथ ही सिर्फ चढ्ढी में वो मेरी ओर आकर मुझे बाहों के घेरे में लेकर चूमने लगे तो दोनों झरना के नीचे स्नान करते हुए चुम्मा चाटी कर रहे थे। पल भर बाद विवेक मेरे भीगे बदन पर से साया का नाड़ा खोला और नंगा कर दिया, मैं दोनों पैर जोड़े खड़ी थी मानो कोई काम की मूर्त सेक्स की भूखी हो तो वो मेरे ओंठ चूमने लगा साथ ही चूतड़ सहलाने लगा, उधर झरना का पानी दोनों के बदन पर गिरता हुआ तन में मस्ती चढ़ने लगी तो मैं अब शर्म छोड़कर उससे लिपट गई फिर वो मेरी चूतड को सहलाता हुआ जांघों को फैलाकर चूत को टटोलने लगा, इधर उसका अर्ध रूप से टाईट लंड मेरे हाथ में था तो उसे हिलाकर लंड को टाईट करने लगे। विवेक अब मेरे ओंठ को मुंह में लिए चूसने लगा साथ ही मेरी चूत की फांकों के बीच उंगली रगड़ता हुआ मस्त था तो दीपा अब ओंठ को निकाल अपने जीभ को उसके मुंह में डाले चुसवा रही थी और देवर जी की उंगली मेरी चूत को गान्ड की ओर से रगड़ने लगी तो मेरे बूब्स उसकी छाती से चिपककर कामुकता को बढ़ा रहे थे और मेरी जीभ को पल भर चूसने के बाद उसका लंड मेरे हाथ में टाईट हो गया। देवर मेरे जीभ निकाले मेरी चूची को पकड़ चूमने लगे तो मैं उनके पीठ को सहलाने लगी फिर क्या था, वो अपना मुंह खोल दिए तो मैं अपनी चूची उनके मुंह में डाले चुसवा रही थी और मेरी चूत गर्म हो चुकी थी तो मैं सिसकने लगी ” उह ओह आह देवर जी अब चोद दीजिए ना
( वो चूची छोड़ा ) जरूर पहले बुर तो चाट लूं ” ……
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: तेरी दीदी बेशर्म - by neerathemall - 11-08-2022, 04:41 PM



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