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Incest तेरी दीदी बेशर्म
#16
दीपा अपने ससुराल में देवर विवेक के साथ कुछ देर तक सेक्स का मजा ली फिर थकावट के मारे आराम से लेट गई फिर रात को सब लोग साथ खाना खाए फिर मैं रूम में जाकर सो गई तो कल सुबह सभी को पैतृक गांव जाकर एक पूजा में शामिल होने था तो पति के चाहत को मैं रात को पूरा नहीं कर सकी कारण की यात्रा की थकावट साथ ही देवर के साथ वाशरूम में सेक्स का आनंद ले चुकी थी फिर अगले सुबह उठकर वाशरूम घुसी और नमन को भी जगाई तो सासू मां किचन जाकर सबों के लिए चाय बना रही थी फिर सब लोग चाय पीकर स्नान करने चले गए, स्नान करके मैं लाल रंग की साड़ी, फूल साईज ब्लाऊज साथ ही पेटीकोट और ब्रा पेंटी पहन ली, पहली बार अपने ससुराल जा रही थी तो भारतीय महिला की तरह ही वहां जाना था लेकिन अच्छी बात ये थी कि दिन भर ही वहां रहना था फिर सब लोग अपनी गाड़ी साथ ही एक भाड़े की गाड़ी से निकल पड़े तो विवेक और नमन अपने पापा के साथ एक गाड़ी में सवार थे तो मैं अपनी सासू मां के साथ दूसरी गाड़ी में और रास्ते में सासू मां बोली ” बहू, शादी के साल हो गए क्या कुछ खुश खबरी सुनने को मिलेगी

( मैं शरमाते हुए ) अभी दो साल तक नहीं, वो ऐसा चाहते हैं ” फिर अपने पैतृक गांव पहुंचकर पूजा में शामिल हुए तो कई साल बाद गांव का नजारा देखने को मिला साथ ही पूजा अर्चना दो घंटे होने के बाद हमलोग खाना खाए फिर एक घंटा आराम करने के बाद वापस इटावा की ओर निकल पड़े तो इस बार मेरे साथ गाड़ी में देवर जी विवेक थे, शायद विवेक जानबूझकर मेरे साथ आया था या फिर उनकी मर्जी से मुझे नहीं पता तो शाम के ०३:०० बजे हमलोग निकल पड़े और कार के शीशे को लगाकर ड्राइवर ए सी ऑन किया तो विवेक मुझसे दूरी बनाए बोले ” सुनो ड्राइवर पर्दा भी चढ़ा ही दो तब ए सी अच्छे से काम करेगी ” और अब बंद कार में दोनों मस्त थे तो दोनों सीट के बीच का पर्दा भी ड्राइवर चढ़ा दिया, विवेक गाड़ी के पैतृक गांव से निकलते ही मेरी ओर खिसका तो मैं भी खिसक गई लेकिन यहां तो देवर जी का मन मुझे परेशान करने का था, अंत में अब मेरे पास जगह नहीं थी तो मैं उनको इशारे से हटने को बोली लेकिन विवेक मेरे कंधे में हाथ डाले चेहरा अपनी ओर किया फिर चेहरा चूमने लगा, ये साला तो मेरे पीछे ही हाथ मुंह धोकर पड़ गया और मैं उसे बाहों में लेकर ओंठ चूमने लगी। विवेक स्मार्ट लड़का था तो उसके ओंठ को मुंह में लिए चूसने लगी फिर वो मेरे पीठ पर हाथ फेरने लगा और मेरी ब्लाऊज में लगे साड़ी की पिन खोलकर साड़ी को सीने से उतार दिया तो मैं उसको धक्का देकर दूर हो गई और मेरे सीने की धड़कन बढ़ने लगी लेकिन देवर झट से मेरी बूब्स पकड़ दबाने लगा तो मैं भी उसमें समाने को तड़प रही थी, अब मेरे ब्लाऊज की डोरी को खोलने लगा तो मैं उसके सामने अपनी ब्रा तक उतार फैंकी और वो मेरी बूब्स को मुंह में लिए चूसने लगा तो मेरा हाथ उसके जींस के ज़िप को खोलने लगा, वो मेरी चूची चूसता हुआ दूसरी चूची को पकड़ दबाने लगा तो मैं विवेक के चढ्ढी नीचे कर लंड को बाहर निकाली तो देवर खुद ही अपने जींस और चढ्ढी को उतार अर्ध रूप से नग्न हो गए, अब मेरे एक बूब्स को पकड़ दबाने लगे तो मैं उनके लंड को पकड़ हिलाने लगी और फिर वो मुझे देखते हुए पूछा ” क्यों भाभी सीट पर लेटिये ना, असली मजा लेना चाहता हूं ” मैं थोड़ी सहमी हुई थी फिर भी उसकी जिद्द के सामने ठंडी पड़ गई, अब कार के सीट पर लेट गई तो वो मेरे पैर के पास बैठकर मेरी साड़ी सहित पेटीकोट को कमर तक ऊपर कर दिया और मेरी नग्न जांघों पर हाथ फेरने लगा तो चूत पर पेंटी थी, विवेक आराम से मेरी पेंटी को कमर से नीचे करके चूत सहित चूतड़ को नंगा कर दिया, अब उसके निचले भाग नग्न थे तो देवर जी चुदाई बिना किए मानने वाले नहीं थे। कार हाईवे पर तेज रफ्तार से दौड़ रही थी तो विवेक अब मेरे दोनों जांघों को हवा में उठाकर पकड़े रहा तो मैं अपने पैर खुद पकड़ ली फिर वो अपना मूसल लंड। पकड़े मेरी चूत में घुसाने लगा, अभी सिर्फ चुम्मा चाटी हुई थी सो मैं उतनी गर्म भी नहीं थी फिर वो अपना गोल लम्बा सुपाड़ा चूत में घुसाने लगा तो धीरे धीरे आधा लंड बुर में जा चुकी थी तो मेरे जीवन में ये तीसरा लंड था जोकि चूत की गहराई को मापने को आतुर थी तभी विवेक मेरे कमर पर हाथ रखे एक जोर का धक्का बुर में दे मारा तो कहिए कि मेरी धीमी चीख कार में बजने वाली म्यूजिक के कारण ड्राइवर को पता नहीं चला लेकिन उसके लंबे और कड़े लंड का तेज धक्का मेरी चूत को मजा देने लगा और वो मेरे ब्लाऊज पर से ही एक चूची को पकड़ दबाने लगा, कार के डनलप सीट पर मेरी गद्देदार गान्ड आराम से थी तो विवेक चोदते वक्त बार बार अपने लंड के फिसलन से परेशान था, मेरी चूत से लंड निकाल बोला ” हो जा डॉगी की तरह ” और दीपा अब खिड़की की ओर चेहरा किए घुटने और कोहनी के बल हो गई तो मेरे चूतड़ को सहलाता हुआ देंवर जी मेरी ब्लाऊज को उतार फेंका, अब मेरी कमसिन जवानी पर मात्र एक ब्रा ही था उसे भी खोलकर पूर्णतः नग्न कर दिया तो अब विवेक की ओंठ का एहसास अपने गान्ड के मुहाने पर पा रही थी फिर वो बुर को फैलाए उसमें थूक दिया, मैं गुस्से भरी नजरों से मुड़कर उसे देखी तो वो बुर में जीभ घुसाए चाटने लगा और एक हाथ मेरी छाती पर लगाकर स्तन को पुचकारने लगा तो मैं चुदासी चूत की खुजली से तड़प रही थी फिर देवर अपना लंड चूत में घुसाने लगा, इस स्टाइल में चुदाई का आनंद ही अलग होता है
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: तेरी दीदी बेशर्म - by neerathemall - 11-08-2022, 04:06 PM



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