11-08-2022, 04:05 PM
दीपा की २२-२३ साल की कमसिन जवानी तो खूबसूरत बदन में शादी के बाद का निखार साथ ही मेरे गोल गोल बूब्स और वी शेप चूतड़, दोनों एक गाड़ी रिजर्व करके इटावा पहुंचे फिर वहां आज रात रुकना था और अगले सुबह पति के पैतृक गांव जाकर एक पूजा में शामिल होना था, शाम को इटावा पहुंची तो वहां ससुर, सासू मां और देवर जी रहते हैं तो मैं वहां पहुंचते ही पहले तो सासू मां का चरण स्पर्श की फिर रूम चली गई और ६-७ घंटे की सड़क यात्रा से बदन में काफी थकावट हो रही थी, फिर मैं अपना कपड़ा बदलने कि सोचने लगी तो बैग से एक सलवार और कुर्ती निकाल वाशरूम जाने लगी तो मेरे पति रूम में आकर बोले ” दीपा तुम फ्रेश होकर चाय पियो, वैसे घर में नौकरानी भी है और मैं एक दो दोस्त से मिलकर आता हूं ” वो चले गए तो मैं दरवाजा को सटाकर अपने साड़ी को उतारने लगी, इतने में दरवाजा कोई खटखटाने लगा तो मैं पूछी ” कौन है
( उधर से एक औरत की आवाज आई ) जी मालकिन चाय बनाकर ले आऊं
( मैं ) हां ले आ ” तो सिर्फ ब्लाऊज और पेटीकोट पहने मैं बेड पर लेट गई, शाम के तकरीबन ६:०० बजे थे तो ठंड का मौसम और सूर्यास्त हो चुका था तो मैं बेड पर लेटी रही और कुछ देर बाद जब दरवाजा दुबारा से किसी ने खटखटाया तो मुझे लगा की नौकरानी ही होगी तो प्यार से बोली ” अंदर आ जाओ ” और ज्योंहि मेरी नजर दरवाजे की ओर गई मेरे देवर जी हाथ में चाय की प्याली लिए अंदर घुसे तो मैं हड़बड़ा कर अपने साड़ी को ली फिर सीने को उससे ढक ली ” चाय पी लीजिए फिर डायनिंग हॉल से लगे वाशरूम में ही फ्रेश हो लीजिए
( मैं उनकी नजर अपने चूची पर देख पा रही थी ) इस वाशरूम में क्या दिक्कत है
( देवर की गन्दी नजर मेरे छाती पर थी ) इसके नल में ही प्रॉब्लम है भाभी ” और वो बेशरम की तरह बेड पर बैठकर मेरे नग्न पेट से कमर तक को देखते हुए बोला ” चाय पीजिए भाभी ” तो देवर जी भी चाय पीने लगे, अब मैं भी बेझिझक होकर चाय के प्याला को ली फिर चाय की चुस्की लेने लगी तो मेरे सीने से साड़ी नीचे सरक कर देवर जी को उफान लेती चूचियां दिख रही थी और मेरी चौड़ी छाती पर बड़े बड़े बूब्स को घूरते हुए वो चाय पीने लगे फिर मैं बोली ” विवेक तुम कितने बेशरम हो ना
( विवेक हंसने लगा ) अच्छा लेकिन क्यों भाभी जी
( मैं उसे प्याला थमाकर बोली ) सब समझ रहे हो अब तुम यहां से जाओ वरना तेरे भैया को इसकी शिकायत कर दूंगी ” वो उठकर चला गया तो मुझे लगा कि पिछले छः महीने से एक ही मर्द के साथ सेक्स करके बोर हो रही थी तो एक अच्छा मौका गंवा बैठी, वैसे भी विवेक मुझे दुबारा नहीं घूरता या अपने जिस्म को दिखा उसे रिझा नहीं सकती हूं ये नामुमकिन है। अब मैं साड़ी लपेट कर डायनिंग हॉल वाले वाशरूम में घुसी फिर दरवाजा बंद करके कपड़ा खोलने लगी, नग्न होकर गीजर के पानी से नहाने वाली थी कि मेरी नजर वाशरूम के दूसरे दरवाजे पर गई और मैं उस दरवाजा को खींच चेक करने लगी, उसमें अंदर से कोई कुण्डी नहीं थी लेकिन बाहर से शायद ताला बन्द था। दीपा अब जमीन पर बैठकर स्नान करने लगी तो अपने सेक्सी जिस्म पर पानी डालकर भिगोए फिर अब उठकर साबुन ली और इतने में दरवाजे के खुलने की आवाज सुनाई दी, देखी तो विवेक वाशरूम घुस रहा था और मैं सहम कर बोली ” विवेक तुम अपनी सीमा लांघ रहे हो प्लीज़ चले जाओ ” वो बिना कुछ बोले मेरी ओर आया फिर मुझे बाहों में लेकर मेरे बदन को सहलाने लगा तो उसके ओंठ मेरे गर्दन चूमने लगे और मैं उससे लिपटे बोली ” अगर तेरे भैया को ये बात बता दी ना
( वो मेरे गर्दन में हाथ डाले मेरे ओंठ पर चुम्बन देने लगा ) कोई फायदा नहीं भाभी, इस वाशरूम में क्यों आप आईं बताएंगी तो आपकी पिटाई हो जाएगी
( उधर से एक औरत की आवाज आई ) जी मालकिन चाय बनाकर ले आऊं
( मैं ) हां ले आ ” तो सिर्फ ब्लाऊज और पेटीकोट पहने मैं बेड पर लेट गई, शाम के तकरीबन ६:०० बजे थे तो ठंड का मौसम और सूर्यास्त हो चुका था तो मैं बेड पर लेटी रही और कुछ देर बाद जब दरवाजा दुबारा से किसी ने खटखटाया तो मुझे लगा की नौकरानी ही होगी तो प्यार से बोली ” अंदर आ जाओ ” और ज्योंहि मेरी नजर दरवाजे की ओर गई मेरे देवर जी हाथ में चाय की प्याली लिए अंदर घुसे तो मैं हड़बड़ा कर अपने साड़ी को ली फिर सीने को उससे ढक ली ” चाय पी लीजिए फिर डायनिंग हॉल से लगे वाशरूम में ही फ्रेश हो लीजिए
( मैं उनकी नजर अपने चूची पर देख पा रही थी ) इस वाशरूम में क्या दिक्कत है
( देवर की गन्दी नजर मेरे छाती पर थी ) इसके नल में ही प्रॉब्लम है भाभी ” और वो बेशरम की तरह बेड पर बैठकर मेरे नग्न पेट से कमर तक को देखते हुए बोला ” चाय पीजिए भाभी ” तो देवर जी भी चाय पीने लगे, अब मैं भी बेझिझक होकर चाय के प्याला को ली फिर चाय की चुस्की लेने लगी तो मेरे सीने से साड़ी नीचे सरक कर देवर जी को उफान लेती चूचियां दिख रही थी और मेरी चौड़ी छाती पर बड़े बड़े बूब्स को घूरते हुए वो चाय पीने लगे फिर मैं बोली ” विवेक तुम कितने बेशरम हो ना
( विवेक हंसने लगा ) अच्छा लेकिन क्यों भाभी जी
( मैं उसे प्याला थमाकर बोली ) सब समझ रहे हो अब तुम यहां से जाओ वरना तेरे भैया को इसकी शिकायत कर दूंगी ” वो उठकर चला गया तो मुझे लगा कि पिछले छः महीने से एक ही मर्द के साथ सेक्स करके बोर हो रही थी तो एक अच्छा मौका गंवा बैठी, वैसे भी विवेक मुझे दुबारा नहीं घूरता या अपने जिस्म को दिखा उसे रिझा नहीं सकती हूं ये नामुमकिन है। अब मैं साड़ी लपेट कर डायनिंग हॉल वाले वाशरूम में घुसी फिर दरवाजा बंद करके कपड़ा खोलने लगी, नग्न होकर गीजर के पानी से नहाने वाली थी कि मेरी नजर वाशरूम के दूसरे दरवाजे पर गई और मैं उस दरवाजा को खींच चेक करने लगी, उसमें अंदर से कोई कुण्डी नहीं थी लेकिन बाहर से शायद ताला बन्द था। दीपा अब जमीन पर बैठकर स्नान करने लगी तो अपने सेक्सी जिस्म पर पानी डालकर भिगोए फिर अब उठकर साबुन ली और इतने में दरवाजे के खुलने की आवाज सुनाई दी, देखी तो विवेक वाशरूम घुस रहा था और मैं सहम कर बोली ” विवेक तुम अपनी सीमा लांघ रहे हो प्लीज़ चले जाओ ” वो बिना कुछ बोले मेरी ओर आया फिर मुझे बाहों में लेकर मेरे बदन को सहलाने लगा तो उसके ओंठ मेरे गर्दन चूमने लगे और मैं उससे लिपटे बोली ” अगर तेरे भैया को ये बात बता दी ना
( वो मेरे गर्दन में हाथ डाले मेरे ओंठ पर चुम्बन देने लगा ) कोई फायदा नहीं भाभी, इस वाशरूम में क्यों आप आईं बताएंगी तो आपकी पिटाई हो जाएगी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.