11-08-2022, 03:39 PM
अभय का आज दिन भर पता नही था और ना ही चाचा ने उसका नाम लिया एक भी बार घर आ कर मैंने स्नान किया और लोअर टी शर्ट पहन कर रूम में आ गया चाची चाय ले आईं और चाचा और मैं चाय पीने लगे तब तक बबिता भी आ गयी उसने आज येलो कुर्ती पहनी थी और उसके सांवले कैसे हुए भरे बदन पर कुर्ती फब रही थी आज उसके चूचे कुछ ज्यादा ही भारी दिख रहे थे चाय पीते पीते मेरी नजर एकदम से उसके चुचियो पर अटक गई और मैं उन्हें देखे ही जा रहा था वो आ कर पास ही बैठ गयी और मेरे काम के पहले दिन के बारे में पूछने लगी मेरे बोलने से पहले ही चाचा ने मेरी तारीफे शुरू कर दी चाची भी वहीं आ गयी और सब्जी काटने लगी चाचा ने उन्हें और बबिता को बताया कि कैसे मेरी वजह से दो दिन का काम एक ही दिन में निपट गया और अब उन्हें लग रहा था कि एक दिन कानपुर शहर के सारे बड़े काम उनके ही पास होंगे और वो ढेर सारा पैसा कमा लेंगे, चाचा मुझसे बताने लगे कि वो पुराने प्लम्बर हैं उनका नाम चलता है यहां की मार्केट में लेकिन अब उम्र बढ़ने की वजह से और भारी बदन होने की वजह से अब वो उतना काम नही कर पाते वो ये भी बोले कि अगर 3-4 और ऐसे ही लड़के मिल जाएं तो वो आराम से बिना काम किये महीने के एक डेढ़ लाख कमा लें मैंने कहा चाचा गाँव मे तो बहोत बेरोजगार लड़के हैं आप जितने बोलो उतने लड़के बुला लेता हूँ उन्होंने चाय का घूंट भरते हुए कहा संजय पहले दो चार दिन तुम अच्छी तरह से काम सीख लो फिर दो लड़कों को और बुला लेना उन्हें काम तुम ही सिखाना मैंने कहा ठीक है फिर रात का खाना हुआ खाना खा कर मैं बाहर जाने लगा मुझे रात के खाने के बाद थोड़ा टहलने की आदत थी पर कल रात बिना टहले खा कर सोने की वजह से आज सारा दिन मेरे पेट मे कुछ भारीपन था तो मैं टहलने के इरादे से बाहर निकला पीछे से बबिता ने आवाज़ दी भैया कहां जा रहे हो मैंने कहा बस 10 मिनट टहल के आ जाऊंगा वो बोली एक मिनट रुकिए मैं भी चलती हूँ और वो चप्पलें पहन के बाहर आ गयी.............................
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
