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Incest चचेरी बहन बबिता ने ........................
#2
मैं संजय पटेल उम्र 27 वर्ष कानपुर के पास एक कस्बे रूरा से आगे एक गांव का निवासी हूँ गांव में मेरे पिताजी के पास थोड़ी सी जमीन है जिस पर वो खेती बाड़ी करते हैं मैं अपने पिता की तीसरी संतान हूँ मुझसे बड़े भाई और बहन की शादी हो चुकी है पर मै अभी अविवाहित हूँ, मैंने इंटर तक शिक्षा रूरा के ही एक सरकारी कॉलेज में प्राप्त की और उसके बाद मैंने अपने परिवार की गरीबी को देखते हुए पढ़ाई छोड़ कर कुछ करने की सोची और आखिर में पिताजी ने अपने कानपुर में रह रहे एक रिश्तेदार से बात की वो प्लम्बर का काम करते थे और रिश्ते में मेरे चाचा लगते थे उन्होंने कहा लड़के को मेरे यहाँ भेज दो कानपुर में इस तरह के कामो में बहोत पैसा है मैं दो तीन महीने में इसे सारा काम सिखा दूंगा उसके बाद ये आराम से महीने के 30-35 हजार कमाने लगेगा, गांव की हमारी 4 बीघे जमीन से बस साल भर खाने का प्रबंध हो पाता था ये बड़ी रकम थी हमारे परिवार के लिए इसलिए पिताजी ने फौरन हामी भर दी और मैं भी ये सुन कर खुश हुआ कि कम से कम अपने पैरों पर खड़ा हो पाऊंगा और गांव से निकल शहर में कुछ नया माहौल भी मिलेगा।
कुछ अपने बारे में बता दूं नाम और उम्र तो पता ही है आप सबको मेरी hight 5.6 है और waight 55 kg हमारे घर मे हमेशा से भैंस रही है तो दूध घी की कोई कमी नही रही अच्छी खिलाई और खेतों में मेहनत करने की वजह से मेरा बदन एकदम छरहरा और फुर्तीला है और मेरा रंग एकदम मेरी अम्मा को पड़ा था मैं दूध जैसा गोरा हूँ अम्मा भी एकदम गोरी हैं पढ़ाई में मैं बहोत अच्छा नही तो बुरा भी नही था 60+ मार्क्स के साथ ही हमेशा पास हुआ सब मिला कर गांव में मेरे जैसा गुड लुकिंग और स्मार्ट बन्दा मेरी उम्र का दूसरा ना था और इसी वजह में खेतों में काम करने आने वाली एक चमार की बीवी जिसे मैं भाभी बोलता था वो थी तो एकदम काली पर मुझे बड़ी खूबसूरत लगती थी असल मे शुरू से ही मेरा रुझान काली/सांवली औरतों और लड़कियों में ज्यादा था सांवला रंग मुझे खास आकर्षित करता था एक कुम्हारों की लड़की जो मुझे भैया कहती थी और वो भी एकदम तवे जैसी काली पर नैन नक्श उसके भी बड़े तीखे थे इन दोनों के साथ चोदा चोदी का खेल बहुत बार खेल चुका था और वो भाभी जिसका नाम सुनीता था वो कई बार बोल चुकी थी संजय तुम्हारा लंड बहोत दमदार है तुम्हारी बीवी मज़े में रहेगी हमेशा और सच मे मेरा लंड था भी ऐसा 9 इंच का लंबा अच्छा खासा मोटा एकदम गुलाबी सुपाड़ी वाला गोरा लंड।
फिलहाल गांव में बस ऐसे ही गुजारा चल रहा था और फिर वो दिन भी आ गया जिस दिन मुझे कानपुर निकलना था चाचा के यहां उस से एक दिन पहले सुनीता ने मुझे खास तौर पर खेतों में बुलाया था और कुतिया बन के दो बार खूब मस्ती में चुदी थी और बारबार कह रही थी कि संजय बीच बीच मे टाइम निकाल कर आते रहना मेरी चूत को तेरे लंड से चुदे बिना चैन नही आएगा….. खैर सुबह मैं अपने बैग में कपड़े और कुछ पैसे ले कर अपना टूटा फूटा की पैड वाला मोबाइल ले कर अम्मा पिताजी का आशीर्वाद ले कर ट्रेन पकड़ कर कानपुर चल पड़ा मैंने कल ही रूरा की लोकल मार्केट से ली हुई एक सस्ती सी जीन्स और और ब्लैक टी शर्ट पहनी हुई थी चाचा के यहां मैं पहले भी एक बार आ चुका था अम्मा की तबियत खराब थी तब उनके इलाज के सिलसिले में, दोपहर के दो बजे मैं चाचा के यहां पहुंचा उनका छोटा सा 3 कमरों का घर था और घर मे 4 प्राणी रहते थे चाचा चाची उनका बेटा और बेटी चाचा किशनपाल की उम्र 44 वर्ष है चाची सुधा 40 की बेटा छोटा है अभय उम्र 22 साल और बेटी बबिता उम्र 24 साल चाचा अभी जल्दी से बबिता की शादी करने के चक्कर मे थे पर उसके लिए उनके पास पर्याप्त पैसे नही थे इसी चक्कर मे वो अपना प्लम्बर वाला काम बढ़ाना चाह रहे थे क्यों कि उनके पास काम तो बहोत था पर अकेले कितना करें और उनका लड़का अभय वो थोड़ा सा बिगड़ैल और लापरवाह था वो प्रयास कर रहे थे कि वो भी उनके साथ लग कर काम करे और पैसे कमाए पर वो अपने आवारा दोस्तो के घूमने और बियर शियर में ज्यादा दिमाग लगाता था।
मैंने दरवाजा खटखटाया तो चाची ने दरवाजा खोला मुझे देखते ही उनके चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान आ गयी मैंने चाची के पैर छूए उन्होंने सर पर हाथ फ़िराते हुए मुझे आशीर्वाद दिया मुझे अंदर ले गयी और मेरा बैग ले कर एक अलमारी में ठूंस दिया घर पर कोई नजर नही आ रहा था पूछने पर पता चला चाचा अभय के साथ काम पर गए हैं और बबिता एक दो जगह खाना बनाने का काम करती है। चाची ने अम्मा पिताजी के हाल चाल लिए और फिर चाय बनाने चली गईं चाय नाश्ता कर के मैं थोड़ी देर लेटा फिर खाने की बारी आ गयी तब तक बबिता भी आ गयी बबिता और चाची बहोत काली तो नही पर फिर भी सांवली ही थीं और बबिता को मैं पूरे 7 साल बाद देख रहा था पहले मिली थी तो 17 साल की दुबली पतली सी नाक बहाए हुए और अब 24 साल की भरपूर जवान भरा भरा बदन 40 साइज के रसभरे चूचे और लेगिंग में कसी हुई उभरी गांड़ देख कर मेरे मन मे कुछ हसरत सी जागी, उसने एक ढीली सी कुर्ती पहनी हुई थी वो भी खुशी से मुझसे मिली बैठ कर बातेँ करती रही और फिर चाची ने आवाज़ दी वो किचन से दो थालियां ले कर आ गयी और जैसे ही थाली रखने को झुकी कुर्ती के ढीले गले से मेरी बाजार उसकी लटकती हुई ठोस मोटी मस्त चुचियो पर गयी और मेरा 9 इंची थोड़ा सा सर उठाने लगा वो लड़की थी जवान थी शहर में रहती थी फौरन मेरी नजरो को ताड गयी पर उसने कोई जल्दबाजी नही की आराम से थाली रख कर झुके झुके ही बोली और कुछ लेंगे भइया….
मैंने उसकी सांवली चुचियो से नजर हटा कर उसकी आँखों मे देखते हुए कहा नही बबिता इतना काफी है इतना खा लूं फिर देखा जाएगा वो भी मेरी बगल में बैठ गयी और हम बातें करते हुए खाने लगा बीच बीच मे वो रोटियां लेने किचन में जाती और वापस आ कर उसी अदा से झुक कर अपनी चुचियो का दर्शन कराते हुए मेरी थाली में डालती उसकी चुचियाँ देखने के चक्कर मे मैं 2 रोटियां ज्यादा ही खा गया। खाना खत्म हुआ और फिर मैं बाहर निकल गया घूमने वापस आते हुए मैं 10 रुपये वाली 5स्टार ले कर आया और बबिता को थमा दी और उसे ले कर मेरी ओर देखने लगी मैंने कहा खा ले इतने दिनों बाद मिली है वो बोली बस 10 रुपये की चॉकलेट वाह रे कंजूस मैंने कहा अभी बेरोजगार हूँ एक बार कमाना शुरू कर दूं फिर होटल ले चलूंगा….. वो चहक कर बोली ठीक है जिस दिन पहली कमाई होगी उसी दिन होटल ले चलोगे प्रॉमिस करो…. मैंने उसके हाथ पकड़ते हुए कहा अच्छा ठीक है प्रॉमिस अब खुश वो मुस्कुराती हुई सर हिला दी मुझे अच्छे से समझ आ रहा था कि वो मुझसे प्रभावित है और मेरी ओर आकर्षित हो रही है…..
फिर शाम को चाचा आ गए और मुझे देखते ही खुश हो गए मैंने पैर छुए तो बोले बेटा बड़े अच्छे कदम हैं तुम्हारे आज ही मुझे दो नई साइट का काम मिला मैं परेशान भी था की इतना काम कैसे निपटेगा हम बाप बेटे से अच्छा हुआ तुम आ गए कुछ तो मदद हो ही जाएगी….. फिर रात के खाने के दौरान ही उन्होंने ही बताया कि एक बड़े कॉन्ट्रैक्टर की दो मल्टीस्टोरी बिल्डिंग बन रही हैं दोनो बिल्डिंग 30 मंजिला हैं और हर मंजिल पर 3 फ्लैट हैं लंबा काम है सालों चलेगा और भरपूर पैसा मिलेगा बस मन से काम करना होगा मैंने कहा चाचा आप एक बार काम सिखा दो बस फिर देखना मेरा काम चाचा ने कहा मुझे तुझ पर भरोसा है तू मेहनती है बाकी अभय तो नालायक है फिर हमारे खाने के डेढ़ घंटे बाद अभय का आगमन हुआ वो बीयर मे टुन्न था आते ही अपने कमरे में घुस गया और वहीं से गला फाड़ कर बबिता को आवाज़ देने लगा बबिता उसका खाना वहीं दे आयी उसे और वो खा पी कर सो गया।
थोड़ी देर में बबिता मेरे पास आई और बोली भइया माँ कह रही है आपका बिस्तर अपने रूम में ही लगा दूँ क्योंकि अभय रात में बड़ें नाटक करता है आप परेशान होंगे मैंने मुस्कुरा कर उसकी आँखों मे झांका और कहा रात में थोड़े नाटक तो मैं भी करता हूँ तुम ना परेशान हो जाना वो असमंजस में खड़ी मुझे देखने लगी तो मैंने हंसते हुए कहा अरे जा के बिस्तर लगा मैं मजाक कर रहा था तो वो जीभ निकाल कर मुह बनाते हुए चली गयी।
उस रात मैं बबिता के कमरे में ही सोया वो फोल्डिंग बेड पर और मैं नीचे हांलाकि उसने बड़ी जिद की वो नीचे सो जाएं और मैं बिस्तर पर लेकिन मैं जमीन पर ही सोया
अगली सुबह मैं 8 बजे नहा धो कर तैयार था काम पर जाने के लिए और अभय अभी अपने कमरे में पड़ा सो रहा था साढ़े 8 के करीब चाचा भी तैयार हो गए उन्होंने बाइक निकाली और चाची से बोले अपने पूत को भेज देना अगर टाइम से जाग जाए तो और फिर हम लंच बॉक्स ले कर साइट पर चल पड़े चाचा के कहने पर मैंने एक पुराना लोवर और टी शर्ट रख ली थी झोले में साइट पर पहुंच कर मेरी आँखें खुल गयी ये बहोत बड़ी बिल्डिंग बन रही थी चाचा मुझे ले कर ऊपर आ गए वहां तीन चार कमरों में प्लंबिंग का सामान भरा पड़ा था उन्होंने सुपरवाइजर से मेरा परिचय कराया और फिर दूसरे कमरे में ले गए वहां ढेर सारे औजार ड्रिल कटर प्लास रेंच आदि रखे थे चाचा मुझे समझाते गए और मैं समझता गया सबसे पहले उन्होंने कपड़े बदले और मुझे भी पुराने कपड़े पहनाए, मेरा दिमाग अच्छा चलता है वो काम शुरू किए और मैं जरूरत के अनुसार उन्हें औजार देता रहा फिर एक जगह दीवार काटनी थी उन्होंने कटर थोड़ा सा चला कर मुझे समझाया और बोले कर पायेगा मैंने कहा जरूर और बड़ी सफाई से दीवार काट दी पर दीवार काटने में इतनी डस्ट उड़ी की मुझे खांसी आने लगी वो खुश हो गए बोले लगता है तू दो चार दिन में ही प्लम्बर बन जायेगा…… 2 बजे तक हमने जी लगा कर काम किया और एक बाथरूम की फिटिंग पूरी कर दी, चाचा बोले कमाल है मुझे पूरा दिन लगता था एक बाथरूम में ये तो आधे दिन में ही हो गया फिर हमने हाथ मुह धो कर खाना खाया थोड़ा सुस्ताये, मैंने चाचा से 10 रुपये मांगे उन्होंने पूछा क्या करेगा गुटखा खाता है क्या मैंने कहा नही वो सब मैं नही खाता आप दो तो उन्होंने पैसे दिए ले कर मैं सीधा नीचे आया और पास के मेडिकल स्टोर से दो मास्क ले के आ गया और एक चाचा को दे कर बोला आगे से कटिंग के टाइम मास्क पहन के रखें इतनी धूल में काम करेंगे तो बीमार हो जाएंगे चाचा इस से भी कुछ प्रभावित हुए बोले हां यार सांस लेने में तो बड़ी दिक्कत होती थी धूल में मैंने कहा अब नही होगी कुल मिला कर शाम तक हमने काफी काम निपटा डाला और और जब शाम को सुपरवाइजर आया तो उसने मजदूरी के अलावा दो सौ रुपये एक्स्ट्रा दिए चाचा को फिर हम कपड़े बदल कर घर आ गए…
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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RE: चचेरी बहन बबिता ने ........................ - by neerathemall - 11-08-2022, 03:38 PM



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