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जिया की कामुकता उर्फ बुर कि दुर्दशा
#7
Shy




6

जिया अब शांतनु भैया के नजर में चढ़ चुकी थी, रघु काका के साथ शोभा दीदी की शादी में ही छत पर चुदाई तो शांतनु मुझे संभोग कर्म करते देख लिया लेकिन मैं जानती थी की कैसे इस बात को उन्हीं तक रखा जाए, रात के बारह बजे थे . और शांतनु भैया को अकेले पाकर बोली ” शांतनु क्या अब तुमको कोई काम है

( वो मुझे घूरते हुए बोला ) २१ वर्ष की उम्र और अभी से ये हाल, कब से शुरू की
( मैं लहंगा चोली में थी ) उतना बकवास करने से बेहतर है की ” तो शांतनु मुझे इशारा किया और दोनो अपने घर के द्वार से दूर जाने लगे, उधर अपना गोदाम था जिसमें अनाज रखा जाता था और ज्योंहि गोदाम के पास पहुंचे, शांतनु  ने मेरे हाथ थाम लिया ” बस यही पर, इधर कोई नही आयेगा
( मैं अचंभित थी ) लेकिन शांतनु यहां तो ना कोई बेड है और ना कोई खाट ” वो गोदाम के पीछे की ओर ले गया जहां की एक सड़क की बत्ती जल रही थी, थोड़ी रोशनी थी तो पूरा सन्नाटा, एक लकड़ी की चौंकी थी जिसपर मैं बैठ गई और वो मेरे बगल में बैठकर मेरे गले में बाहें डाला फिर गाल चूम लिया ” बेबी इधर ठीक है, चूंकि गोदाम की चाभी मेरे पास नहीं है, यहां पर भी साथ में घंटा दो घंटा बीता सकते हैं ” मैं शांतनु के चेहरे को चूमने लगी और उसका एक हाथ मेरे बाईं स्तन को पकड़ दबाने लगा, अच्छा लग रहा था और फिर नितिन मुझे चौंकी पर बीचो बीच बिठाया और खुद अपना पैंट खोल रखा, उसका लौड़ा चड्डी पर से ही मोटा लग रहा था। जिया बेशर्म की तरह अपना हाथ पीठ पर की और चोली की डोरी खोल बूब्स को अर्ध नग्न कर दी, चचेरा भाई अब मुझे अपने मोटे जांघो पर बिठाया तो मैं टांगें चिहारे उसके गोद में बैठी, वो सिर्फ बनियान में था और मैं उसके पीठ सहलाने लगी तो शांतनु मेरे गाल चूमने लगा तो जिया उसके गर्दन को, शांतनु २३ साल का लौंडा था जिसके लंबे छरहरे बदन थे और मैं उसके गोद से उतरकर पहले तो अपना लहंगा खोली, अब सिर्फ ब्रा पेंटी में उसके गोद में बैठी और उसके ओंठ को चूमते हुए उसके छाती से अपने बूब्स दबाने लगा, जिस पर ३२ सी साइज की ब्रा थी और शांतनु झट से मेरे ओंठ मुंह में लिए चूसने लगा साथ ही ब्रा के हुक खोल दिया। आज की रात शोभा दीदी सुहाग रात एंजॉय करेगी की नहीं, मुझे नहीं मालूम लेकिन मैं तो आज रात दूसरा लन्ड खाने वाली थी।
जिया अब अपने भाई को कसकर पकड़े उसके मुंह में जीभ घुसाई और शांतनु मेरी जीभ चूसते हुए मेरे नग्न पीठ सहला रहा था, मेरा स्तन जोकि नंगा था उसकी छाती से चिपक रही थी लेकिन ब्रा तो चुचियों के नीचे लटक रहे थे, अब मेरी आंखें बंद हो गई तो सांसें तेज और बुर में खुजली होने लगी फिर भी फ्रेंच किस्स में लीन थी, शांतनु पल भर जीभ चूसा फिर वो जीभ मुंह से निकाल मुझे उस चौंकी पर लेटने को बोला, ना बिस्तर और ना तकिया लेकिन चुदासी लड़की तो रेगिस्तान में चुदवा ले, मैं चित लेटी और अपने दोनो हाथ सर के नीचे लगाई, तो शांतनु मेरे दोनो स्तन दबाते हुए गर्दन से चूची तक को चूमने लगा और मैं अब अपना हाथ सर के नीचे से हटाकर उसके पीठ पर रख दी। शांतनु मेरी दाईं चूची मुंह में लेकर चूसने लगा तो मैं बिन पानी की मछली की तरह तड़प रही थी, अपने जांघो को आपस में रगड़ने लगी और वो मेरे स्तन को मुंह से निकाला फिर मेरी पेंटी की डोरी को खोला तो मैं निर्वस्त्र लेटी थी लेकिन सर को फेरकर शर्मीली लड़की का रोल कर रही थी, अब वो मेरे भोंपू दबाए जा रहा था तो सपाट पेट चूमते हुए मस्त था, मैं अब सिसकने लगी ” उह ओह अंदर गुदगुदी हो रही है डियर
( वो हंस दिया ) अंदर किधर
( मैं धीमे स्वर में बोली ) बुर में डियर ” और वो मेरी जांघों को फैलाया फिर बुर को निहारने लगा तो मैं पूछी ” क्यों शांतनु पहली बार देख रहे हो
( वो ) हूं तेरा कब देखा ” फिर वो मेरी चूतड के नीचे हाथ लगाया और मुंह को बुर पर लगा दिया, मैं उंगलियों की मदद से बुर फैलाई तो वो लपा लप बुर चाटने लगा। शांतनु की जीभ बुर की गहराई तक जा रही थी तो उसका नाक बुर के ऊपरी भाग पर था, मैं अब सिसकने लगी ” ओह अब बर्दास्त नही होता प्लीज चोद ना, आह मेरा रस निकला ” तो बुर चट्टा बुर को ओंठो के बीच लेकर चूसने लगा, मैं ढीली पड़ गई।
रात के १२:२० बजे थे और मुझे पानी पीने की इच्छा हुई, मैं उठकर बैठी फिर लहंगा पहनने लगी ” क्या हुआ डार्लिंग
( मैं ) चल कोई खाली रूम में ही वैसे मुझे प्यास भी लगी है ” फिर दोनो कपड़ा पहने, पहले मैं द्वार की ओर गई तो सीधे आंगन पहुंची, जहां की शादी की रस्म पूरी की जा रही थी, मां को देखी तो वो इशारे से बुलाई ” किधर गई थी, तुम्हारा दो घंटे से कोई अता पता नहीं
( मैं ) किरण के साथ थी ” फिर द्वार पर के दूसरे मंजिले पर चढ़ी जहां एक कमरा खाली था और शांतनु को कॉल की ” तू किधर है
( मैं ) सीधे दूसरे मंजिल पर आ जा, द्वार के ऊपर ” मैं उस कमरे के बेड ठीक की फिर लेट गई तो कुछ देर में वो आया ” ये रूम तो रघु चाचा का है
( मैं मुस्कुराई ) तो क्या हुआ वो तो पहले ही मेरी बुर चोद चुके हैं, आयेंगे तो उन्हें भी शामिल कर लूंगी ” तो शन्तनु दरवाजा बंद किया फिर अपने कपड़े तेजी से उतार दिया, उसका गोरा लन्ड फंफना रहा था और मैं उसके सामने ही बेड के किनारे पर आकर लौड़े को पकड़ी फिर चुम्मे देने लगी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: जिया की कामुकता उर्फ बुर कि दुर्दशा - by neerathemall - 11-08-2022, 02:58 PM



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