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जिया की कामुकता उर्फ बुर कि दुर्दशा
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जिया अपने घरवालों के साथ एक शादी में शरीक होने आईं थी तो उसकी जिज्ञासा एक अधेड़ उम्र के मर्द के साथ सेक्स करने को था जिस कारण मेरी नजर रघु काका पर थी और दोनों छत पर एक दूसरे से लिपटे हुए मस्त थे कि काका ने मेरे जूल्फ पकड़ चेहरा को अपने चेहरा के सामने किया फिर ओंठ पर ओंठ रख चुम्बन दिया, उनसे लिपटकर मैं उनके ओंठ को चूमने लगी तो काका अपनी बिटिया को भूलकर उसके गोल गद्देदार गांड़ सहलाने लगे फिर मेरे चोली की डोरी जोकि पीठ पर थी को खोलकर बाहों से चोली को निकालने लगे, सच पूछो तो मैं अपनी शर्म और हया भूल उनके सामने ब्रा और लहंगा में खड़ी थी तो रघु काका मुझे सीमेंट के बेंच पर बिठाए फिर मेरे बूब्स को पकड़ उसे चूमने लगे तो मेरा हाथ उनके पैजामा की डोरी को खोज रहा था लेकिन नहीं मिला तो हाथ उनके लंड कि उभार को ही पकड़ दबाने लगा और काका चूची को चूमते हुए ब्रा कि स्ट्रैप को बाहों पर करने लगे। जिया खुद से ब्रा खोल अपने चूचियों को नग्न कर काका के हवाले कर दी तो रघु मेरे बूब्स को पकड़ चेहरा थोड़ा नीचे किया फिर मुंह में लेकर चूसने लगा और मेरा हाथ उनके लंड के उभार को पकड़ दबाए जा रहा था, द्वार के उपरी मंजिल पर दोनों सेक्स कि दुनिया में खो चुके थे और मेरे गोल गोल बूब्स का २/३ भाग मुंह में लिए काका चूसे जा रहा था तो मेरे जिस्म में गुदगुदी होने लगी और तभी रघूू अपने पैजामा की डोरी को खोल मेरे काम को आसान कर दिया तो जिया हाथ अंदर घुसाए लंड को पकड़ ली लेकिन पहले चढ्ढी को थोड़ा नीचे की और मेरे मुंह से अब आहें निकलने लगी ” उह ओह काका मेरे बूब्स छोड़िए ना

( वो मेरे दाहिने बूब्स मुंह से निकाल बाई चूची को पकड़ दबाने लगा ) तू तो जवान हो गई हैं ” और काका अपने पैजामा कमर से नीचे कर चढ्ढी तक हटाए तो उनका मोटा और लम्बा लंड मेरे सामने था, उसको पकड़ लगा की पहली बार लंड पकड़ रही हूं बिल्कुल ही गेहूं रंग का तो लम्बाई अर्ध रूप से टाईट होने पर छह इंच था और आज मेरी बुर कि दुर्दशा लिखी हुई थी जिसे मैं ही आमन्त्रित की थी। रघु के लंड को पकड़ हिलाने लगी तो वो मेरे बूब्स मुंह में भर चूसने लगा और मैं तो अब कामुकता की गिरफ्त में आ रही थी, मेरे हाथ में काका का लौड़ा था जिसे मुंह और बुर में लेना था तो नीचे बारातियों को नाश्ता देकर ही दोनों छत पर आए थे और काका मेरी चूची पर दांत भी गड़ाने लगे तो मैं उनके चेहरे को पीछे धकेल चूची को मुंह से बाहर की फिर अपने सांसों पर नियंत्रण करने लगी लेकिन काका मेरी दोनों बूब्स पकड़ दबाने लगे और उनके लंड को मैं छोड़ बोली ” काका जो हो रहा है वो किसी को नहीं बताना
( काका बोले ) तू तो शहर की छोकरी है लौड़ा चुसेगी ना ” फिर मैं अर्ध नग्न अवस्था में बेंच पर से उठी और उनके सामने घुटनों के बल हो गई, वो अपना चूतड़ आगे की ओर किए फिर मैं उनके ९-१० इंच लंबे और ढाई तीन इंच मोटे लंड को पकड़ चमड़ा नीचे की और उस पर ओंठ सटाए चूमने लगी, जिया की मचलती जवानी में एक और अध्याय जुड़ने पर था तो काका के लौड़े को पकड़ उसके हरेक हिस्से को चूमते हुए जांघ सहलाने लगी और रघु मेरे बाल सहलाता हुआ मस्त था ” ओह इतनी अदा से लांड चाटने जानती है जरूर खेली खाई छोकरी है
( मैं उनसे नजर मिलाने लगी ) काका एक पैक मिल जाए ना तो तेरी रात हसीन कर दूंगी ” और फिर मुंह खोले उनका लंड अंदर ले ली लेकिन आधा से अधिक लंड मुंह में था कि सुपाड़ा गले से अटक रहा था और मैं मुंह में लंड लिए चुस्क चूसक कर उसे चूसने लगी लेकिन काका के सांड सा लंड चूसने में मजा नहीं आ रहा था और मैं अब मुंह का झटका देते हुए मुखमैथुन करने लगी तो रघु काका मेरे सर पर हाथ रख नीचे से ही लंड का धक्का देते हुए मुंह चोदने लगे और मैं कल्पना लोक से परे हकीकत में एक अधेड़ उम्र के मर्द के साथ सेक्स कर रही थी, अब मेरे मुंह में थोड़ा दर्द होने लगा तो मैं लंड बाहर निकाल दी फिर काका को देख बोली ” क्या कार्यक्रम चालू रखें या फिर शादी में शरीक होना है
( वो हंस दिए ) आज कि रात शादी भी और तेरे साथ सुहागरात भी ” फिर मैं काका के लंड पकड़े जीभ से चाटने लगी तो वो हाथ मेरे पीठ पर फेरने लगे और बाईं चूची पकड़ मसलना शुरू किए तो मैं लंड चाटकर उठ खड़ी हुई ” जरा ब्रा और चोली तो बढ़ाइए काका अपनी बिटिया के बूब्स को तो माप ही लिए
( वो मुझे ब्रा और चोली बढ़ाए ) हां वैसे उम्र के हिसाब से ज्यादे बड़ी हो गई है ” जिया चोली पहन ली तो काका अपने पैजामा को पहनकर बोले ” आधे घंटे बाद यहीं मिलते हैं तब तक शादी में शामिल हो आओ ” फिर दोनों छत से उतरे और नीचे मंडप पर फिलहाल दुल्हन और दूल्हा नहीं बैठे थे तो जाकर कमरे में देखी की शोभा दीदी को तैयार किया जा रहा है और सच पूछो तो मेरे बुर में खुजली हो रही थी तो थोड़ी देर तक इधर उधर सबसे मिलकर मैं द्वार की ओर गई और छत पर जाने लगी कि काका भी मेरे पीछे पीछे आने लगे। जिया छत पर चढ़ी की पीछे से काका आए और मैं बेंच पर बैठती की वो मुझे पीछे से दबोच लिए, मैं पीछे मुड़कर देखी फिर पलटकर उनसे लिपट गई तो काका मेरी बूब्स दबाना शुरु कर दिए और मेरे लहंगा को कमर से नीचे करने लगे तो जिया बोली ” लहंगा नहीं खोलूंगी बस आप काम से मतलब रखिए ” और उनके सामने लहंगा को कमर तक उठाए उन्हें बुर के हिस्से का दीदार कराई फिर काका मेरी पेंटी पर हाथ फेरने लगे और पेंटी के हूक को खोल बुर को नंगा कर दिए, अब मैं जांघें फैलाकर खड़ी थी और काका मेरी जांघो के बीच मुंह लगाए बुर को चूमने लगे…
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: जिया की कामुकता उर्फ बुर कि दुर्दशा - by neerathemall - 11-08-2022, 02:43 PM



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