Thread Rating:
  • 3 Vote(s) - 1.67 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Incest स्मायरा अहमद की कहानी
#18
आया!मेरा भी कुछ ऐसा ही हाल था। अशफाक तो मेरी चूत में आग लगा के खुद झड़ के सो जाते थे और मैं रातों में तड़पती रहती थी। ऐसे में आँटी की चूत को चूसने से बहुत सकून मिला। उस दिन के बाद जब कभी आँटी को झड़ना होता तो वो अपनी चूत को अच्छी तरह से शेव करके मेरे पास आती और एक दूसरे की चूत चाटते और आपस में अपनी चूतें रगड़ कर मज़ा करते। सलमा आँटी के पास दो तरह के डिल्डो भी थे। एक तो करीब दो फुट लंबा डबल डिल्डो था जिसके दोनों तरफ लंड थे और दूसरा बेटरी से चलने वाला नौ इंच लंबा डिल्डो था। सलमा आँटी किसिंग में तो बेहद माहिर थीं और उनके रसीले होंठों को चूमना और आपस में एक दूसरे के मुँह में ज़ुबाने डाल कर चूसना मुझे बेहद अच्छा लगता था। इसके अलावा सलमा आँटी को ऊँची हील के सैंडलों का बेहद जुनून था और मेरे साथ लेस्बियन चुदाई के वक़्त खुद भी हाई हील के सैंडल पहने रहती और मुझे भी सैंडल पहने रखने को कहतीं। उन्हें मेरे पैर और सैंडल चाटने में बेहद मज़ा आता था और फिर मुझे भी इसमें मज़ा आने लगा।

 
हकीकत में, उसके कुछ ही दिनों बाद मेरी चुदाई अपने बॉस के साथ होने लगी थी लेकिन मैं आँटी को इस बात का पता नहीं चलने देना चाहती थी। मैं अपना हर सीक्रेट उन्हें नहीं बताना चाहती थी, इसी लिये आँटी से नहीं कहा और उनके सामने ऐसी बनी रहती जैसे मेरी चूत बरसों कि प्यासी हो और उनके साथ मुझे बहुत ही मज़ा आता था।
 
हुआ यूँ कि मैं घर में अकेले रहते-रहते बोर होने लगी थी। सिवाय खाना पकाने के और कोई काम ही नहीं था। हर दूसरे दिन एक धोबन आ के हमारे कपड़े धो जाया करती थी। बोर होने की वजह से मैंने अशफाक से कहा कि अगर वो बुरा ना माने तो मैं कोई जोब कर लूँ ताकि मैं बिज़ी रह सकूँ। अशफाक को भी अपने बिज़नेस से फ़ुर्सत नहीं मिलती थी और अब तक तो उसको पता चल ही गया था कि मेरी चूत उसके लंड से और उसकी चुदाई से मुतमाईन नहीं है तो उसने कहा, “ठीक है मेरा एक फ्रैंड है, वो अपनी खुद की कंपनी चलाता है, मैं उससे बात कर लूँगा, तुम घर बैठे ही उसका काम कर देना ताकि तुम बिज़ी भी रहो और तुम्हारा दिल भी लगा रहे।फिर एक दिन अशफाक ने बताया कि उसने अपने दोस्त को डिनर पे बुलाया है और साथ में काम की भी बात कर लेते हैं, तो मैं खुश हो गयी और अच्छे से अच्छा खाना बना के अपने होने वाले बॉस को खिलाना चाहती थी इसलिये मैं किचन में डिनर की तैयारी में बिज़ी हो गयी।
 
रात के खाने के टाईम से पहले ही अशफाक का दोस्त आ गया। कॉलबेल बजी तो अशफाक ने दरवाजा खोला और हेलो, हाऊ आर यू”, कह कर अंदर बुला लिया। मैं देख के दंग रह गयी। वो तो एक अच्छा खासा स्मार्ट आदमी था। तकरीबन छः फ़ुट के करीब उसकी हाईट होगी, गोरा रंग, चौड़े कंधे। हट्टा कट्टा मज़बूत जवान लग रहा था। उसे देखते ही मेरी चूत में एक अजीब एक्साइटमेंट सी होने लगी और मुझे लगा के मेरी चूत गीली हो रही है। मुझे खुशी हुई कि मैंने उस दिन ठीक से मेक-अप करके चूड़ीदार सलवार और स्लीवलेस कमीज़ पहनी थी जिसका गला भी लो-कट था। खुशकिस्मती से मैंने चार इंच उँची हील के सैंडल पहने हुए थे जिससे मेरी हाईट बढ़ कर पाँच फुट सात इंच के करीब हो गयी थी उसकी ऊँचाई के मुनासिब लग रही थी। अशफाक ने इंट्रोड्यूस करवाया और कहा कि ये मेरे बचपन का दोस्त और क्लासमेट सुशांत कुमार श्रीवास्तव है जो अपनी फायनेंस कंपनी चलाता है। दोनों स्कूल से कॉलेज खतम होने तक क्लास-मेट रहे हैं और एक दूसरे से बहुत ही फ्री हैं। ऑफिस में वो एस-केके नाम से फेमस है। और फिर अशफाक ने कहा, “एस-के! ये मेरी वाइफ है स्मायरा!हम दोनों ने एक दूसरे को सलाम किया और हम सब अंदर ड्राईंग रूम में आ के सोफ़े पे बैठ गये। मैं खाना टेबल पे रखने के लिये चली गयी।
 
टेबल रेडी हो गयी तो मैंने दोनों से कहा कि चलिये डिनर रेडी है!वाश बेसिन पे हाथ धो के वो दोनों आ गये। सब मिलकर खाना खाने लगे। एस-के मेरे बनाये हुए खाने की बहुत तारीफ कर रहे थे। खाने में परांठे, दम का चिकन, आलू गोश्त का कोरमा, कबाब, टमाटर की चटनी, पुलाव बना के उस पे उबले अंडों को आधा काट कर सजा के रखा था और कस्टर्ड और आईसक्रीम थी। खाना सच में बहुत लज़ीज़ था। अशफाक कभी मुझे कुछ देता तो कभी एस-के कि प्लेट में कुछ डाल देता। खाना खाने के बाद फिर से वो दोनों ड्राईंग रूम में जा के सोफ़े पे बैठ गये और मैं टेबल साफ़ कर के वहीं आ गयी और हम सब साथ बैठ के बातें करने लगे।
 
अशफाक ने कहा, “यार एस-के! देखो तो स्मायरा घर में अकेली रहती है और अकेले रहते-रहते बोर हो गयी है..... वो अपने आप को मसरूफ रखने के लिये कोई काम करना चाहती है...... तुम्हारे पास अगर कोई ऐसा काम हो तो बताना।
 
एस-के ने कहा, “ये तो बहुत अच्छी बात है, मेरे पास डेटा एंट्री करने का काम पड़ा हुआ है। मेरे पास डेटा एंट्री का जो क्लर्क था वो चला गया। स्मायरा ऑफिस से इनवोयस और वाऊचर घर ला सकती है और घर बैठे-बैठे ही मेरा काम कर सकती है। ऑफिस तो तुम्हारे घर के करीब ही है। स्मायरा ऑफिस आके, डेली या वीकली, काम लेकर आ सकती है और घर बैठे ही काम कर सकती है। मैं शुरू में डेली आके चेक करता रहुँगा और उसको गाईड करता रहुँगा। मेरे पास ऑफिस में एक एक्स्ट्रा कंप्यूटर भी है, मैं वो भी स्मायरा के पास भेज दुँगा..... यहीं किसी रूम में रख लेना और वो आराम से घर बैठे ही काम कर लेगी।
 
अशफाक ने कहा कि ये तो बहुत अच्छी बात है, “स्मायरा कल ही तुम्हारे ऑफिस अआ जायेगी और काम भी देख लेगी!
 
दूसरे दिन मैं बेहद अच्छे से तैयार हो के एस-के के ऑफिस गयी। मैं साड़ी कुछ खास मौकों पर बहुत कम पहनती हूँ लेकिन उस दिन मैंने फिरोज़ी रंग की साड़ी इस तरह बांधी थी की मेरी पतली कमर और नाभी दिखायी दे और मेरा स्लीवलेस ब्लाऊज़ भी काफी लो-कट और लगभाग बैकलेस था। मैंने ब्रा नहीं पहनी थी क्योंकि मेरा ब्लाऊज़ किसी ब्रा से ज्यादा बड़ा नहीं था। साथ ही मैं चार इंच ऊँची हील के काले रंग के स्ट्रैपी सैंडल पहनना नहीं भूली क्योंकि एक तो इससे मेरी हाईट पौने छ: फुट के करीब हो गयी थी और दूसरा ये कि उँची हील के सैंडलों से मेरा फिगर और कयामत-खेज़ हो गया था क्योंकि मेरी छातियाँ बाहर को उघड़ रही थीं और चूतड़ भी और ज्यादा उभर आये थे और चाल में भी नज़ाकत आ गयी थी। मैंने अपने लंबे बाल खुले ही रखे थे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply


Messages In This Thread
RE: स्मायरा अहमद की कहानी - by neerathemall - 11-08-2022, 02:05 PM



Users browsing this thread: 1 Guest(s)