11-08-2022, 02:05 PM
मेरे ऊपर बैठे-बैठे ही उसने अपनी शर्ट भी उतार दी और मुझसे बोली कि मैं भी उसके बूब्स को दबाऊँ तो मैं भी हाथ बढ़ा के उसके बूब्स को अपने हाथ में लेकर मसलने लगी। ताहिरा की चूचियाँ मेरी चूचियों से थोड़ी सी बड़ी थीं। लाईट बंद होने से कुछ दिखायी नहीं दे रहा था, बस दोनों एक दूसरे की चूचियों को दबा रहे थे। ऐसे ही दबाते-दबाते वो मेरी टाँगों पे आगे पीछे होने लगी। हमारी चूतें एक दूसरे से मिल रही थीं और एक अजीब सा मज़ा चूत में आने लगा। अब वो मेरे ऊपर लेट गयी और मेरी चूँची को चूसने लगी। मेरे मुँह से “आआआआआहहहहह” निकल गयी और मैं उसके सर को पकड़ के अपनी चूचियों में घुसाने लगी। थोड़ी देर ऐसे ही चूसने के बाद वो थोड़ा आगे हटी और अपनी चूँची मेरे मुँह में घुसेड़ डाली और मैं चूसने लगी। वो भी “आआआआहहहह” की आवाज़ें निकाल-निकाल के मज़े लेने लगी।
अब हम दोनों मस्त हो चुके थे। वो थोड़ा सा पीछे खिसक गयी और मेरी चूत पे हाथ रख दिया तो मेरी गाँड अपने आप ही ऊपर उठ गयी। हम अब कोई बात नहीं कर रहे थे बस एक दूसरे से मज़े ले रहे थे। उसने मेरी सलवार का नाड़ा खोल दिया और साथ में अपना भी और खुद अपने घुटनों पे खड़ी हो के अपनी सलवार निकाल दी और नंगी हो गयी और मेरी सलवार को भी पकड़ के नीचे खिसका दिया। मैंने भी अपनी गाँड उठा के उसको निकालने में मदद की। अब हम दोनों नंगे थे। अभी हमारी चूतों पे ठीक से बाल आने भी नहीं शुरू हुए थे। एक दम से चिकनी चूतें थीं हम दोनों की। अब फिर से वो ऐसे बैठ गयी जिससे हम दोनों की चूतें टच हो रही थी। वो आगे पीछे होने लगी और बताया कि “मेरी अम्मी जब अब्बू के ऊपर बैठती है तो ऐसे ही हिलती रहती है।“
हमारी चूतें एक दूसरे से रगड़ खा रही थी और हमें बहुत ही मज़ा आ रहा था। दोनों की चिकनी-चिकनी बिना बालों वाली मसके जैसी चूतें आपस में रगड़ रही थी। फिर वो थोड़ा सा नीचे को हो गयी और मेरी चूत पे किस कर दिया तो मैं पागल जैसी हो गयी और मैंने उसका सर पकड़ के अपनी चूत में घुसा दिया और वो किस करते-करते अब मेरी चूत के अंदर जीभ डाल कर चूसने लगी तो मेरे जिस्म में लहू तेज़ी से सर्क्यूलेट होने लगा और दिमाग में साँय-साँय होने लगा। मुझे लगा जैसे कोई चीज़ मेरी चूत के अंदर से बाहर आने को बेताब है पर नहीं आ रही है और मुझे लगा जैसे सारा कमरा गोल-गोल घूम रहा हो। इतना सारा मज़ा आ गया और मैं अपनी चूत उसके मुँह में रगड़ती रही। थोड़ी देर में ये कंडीशन खतम हो गयी तो वो बगल में आकर लेट गयी और मुझे अपनी टाँगों के बीच में लिटा लिया और मेरा सर पकड़ के अपनी चूत में घुसा दिया। उसकी मक्खन जैसी चिकनी चूत को किस करना बहुत अच्छा लग रहा था और अब उसने मेरे सर को पकड़ के अपनी चूत में घुसाना शुरू कर दिया और मेरे मुँह में अपनी चूत को रगड़ने लगी। उसकी चूत का टेस्ट मुझे कुछ नमकीन लगा पर वो टाईम ऐसा था के हम दोनों मज़े ले रहे थे और फिर उसने मेरे मुँह में अपनी चूत को और भी तेज़ी से रगड़ना शुरू कर दिया और मुँह से अजीब आवाज़ें निकालने लगी और फिर वो शाँत हो गयी। मेरा खयाल है कि कॉलेज के दिनो में ऐसी फ्रैंड्स जो एक दूसरे के घर रात बिताती हैं, ये चूचियों को दबाना या चूत को मसाज करना या किस करना सब नॉर्मल सी बात होगी क्योंकि ताहिरा ने मुझे अपनी और दो फ्रैंड्स के बारे में बताया कि वो भी ऐसे ही करती हैं। शायद ये उम्र ही ऐसी होती है।
खैर तो मैं कह रही थी कि आँटी का सैंडल वाला पैर मेरी चूत पे लगने से मेरे जिस्म में एक आग जैसी लग रही थी। मेरा दिल और दिमाग अब ताहिरा और मेरी गुजरी हुई पुरानी हर्कतों से हट कर आँटी की तरफ़ आ गया था। पता नहीं आँटी ने अब तक क्या बोला..... मैं तो अपनी और ताहिरा की गुजरी हुई बातें ही याद कर रही थी। तब के बाद आज किसी फिमेल का लम्स मेरी चूत में महसूस हो रहा था। असल में मुझे ये फीमेल और फीमेल का सैक्स यानी लेस्बियनिज़्म पसंद नहीं है पर वो वक्त ऐसा ही था कि मैं फिर से बहक गयी और आँटी को अपनी चूत दे बैठी।
हम दोनों बालकोनी में ही लगभग आमने-सामने बैठे थे। अब आँटी के सैंडल की हील सलवार के ऊपर से ही मेरी चूत के लिप्स को खोल के ऊपर नीचे हो रही थी। आँटी कभी चूत के सुराख में सैंडल की हील डाल देती तो कभी क्लीटोरिस को मसल देती तो मेरा मस्ती के मरे बुरा हाल हो जाता। चूत में से लगातार जूस निकल रहा था और चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। हालांकि मुझसे कुर्सी पर ठीक से बैठा नहीं जा रहा था। ऐसा होने के बावजूद वो मुझसे बेहतर हालत में थीं। मुझे झूमते हुए देख कर उन्होंने मुझे सहारा देकर पहले ज़मीन पर बिठा दिया और मेरी सलवार और पैंटी उतार कर मुझे तकरीबन नंगा कर दिया और फिर मेरी चूत में उंगली करने लगीं। मैं तो नशे में मस्त थीं और बालकोनी में अपनी इस नंगी हालत की मुझे कोई फिक्र नहीं थी। मुझे पता भी नहीं चला कि कब आँटी ने भी अपने सारे कपड़े उतार दिये और मेरा हाथ लेकर अपनी चूत पे रख दिया। जब मेरा हाथ उनकी चूत में लगा तो मुझे ऐसा लगा जैसे मेरा हाथ किसी जलती हुई भट्टी या गरम चुल्हे में लगा दिया हो..... इतनी गरम थी आँटी की चूत। मैंने भी आँटी की चूत का मसाज शुरू कर दिया और कभी अपनी उंगली अंदर डाल के सुराख में घुसेड़ देती तो कभी क्लीटोरिस को मसल देती तो आँटी के मुँह से “आआआहहहह ऊऊऊऊईईईई” जैसी आवाज़ें निकल जाती। दोनों ज़ोर-ज़ोर से एक दूसरे की चूतों का मसाज कर रहे थे और मज़े से दोनों की आँखें बंद हो चुकी थी।
सलमा आँटी ने मुझे लिटा दिया और मेरे पैरों के बीच में बैठ गयीं और झुक कर मेरी टाँगें और पैर चूमने-चाटने लगीं। मैंने गर्दन उठा कर देखा तो दंग रह गयी कि वो मेरे पैरों में बंधे सैंडलों को भी बड़ी शिद्दत से चाट रही थीं। फिर वो मेरी सैंडल की लंबी हील को मुँह में लेकर इस तरह चूसने लगीं जैसे लंड चूस रही हों। ये नज़ारा देख कर मेरी चूत और भी फड़कने लगी। फिर उन्होंने आगे झुककर चूत पे किस किया और अपनी जीभ मेरी चूत के अंदर डाल कर चाटना शुरू किया तो मेरी मुँह से “आआआआआआ आआआहहहहह” की सिसकरी निकल गयी और मैंने आँटी का सर पकड़ के अपनी चूत में दबा दिया और उसी वक्त मेरी अंगारे जैसी गरम चूत झड़ने लगी। मेरी आँखें बंद हो चुकी थी और मस्ती में मैं गहरी-गहरी साँसें ले रही थी। फिर आँटी मेरे ऊपर सिक्स्टी-नाईन की पोज़िशन में आ गयी और मेरे मुँह पे अपनी चूत को रगड़ने लगी तो मेरा मुँह खुल गया और सलमा आँटी की चूत का इस्तक़बाल किया। उनकी गरम चूत में से नमकीन गाढ़ा जूस निकलने लगा। मैंने आँटी की पूरी चूत को अपने मुँह में लेकर दाँतों से काट डाला तो उनके मुँह से चींख निकल गयी, “आआआआहहहाह्ह ओंहओंहओंहओंहओंह आआआआआ ईईईईईईई ऊऊऊऊहहहहह”, और उनकी चूत में से जूस निकलने लगा और वो झड़ने लगी। बहुत देर तक हम बिना कोई बात किये ऐसे ही सिक्स्टी-नाईन की पोज़िशन में लेटे रहे। फिर थोड़ी देर के बाद आँटी ने कहा कि “आज मैं बहुत दिनों बाद इतना झड़ी हूँ और बहुत मज़ा
अब हम दोनों मस्त हो चुके थे। वो थोड़ा सा पीछे खिसक गयी और मेरी चूत पे हाथ रख दिया तो मेरी गाँड अपने आप ही ऊपर उठ गयी। हम अब कोई बात नहीं कर रहे थे बस एक दूसरे से मज़े ले रहे थे। उसने मेरी सलवार का नाड़ा खोल दिया और साथ में अपना भी और खुद अपने घुटनों पे खड़ी हो के अपनी सलवार निकाल दी और नंगी हो गयी और मेरी सलवार को भी पकड़ के नीचे खिसका दिया। मैंने भी अपनी गाँड उठा के उसको निकालने में मदद की। अब हम दोनों नंगे थे। अभी हमारी चूतों पे ठीक से बाल आने भी नहीं शुरू हुए थे। एक दम से चिकनी चूतें थीं हम दोनों की। अब फिर से वो ऐसे बैठ गयी जिससे हम दोनों की चूतें टच हो रही थी। वो आगे पीछे होने लगी और बताया कि “मेरी अम्मी जब अब्बू के ऊपर बैठती है तो ऐसे ही हिलती रहती है।“
हमारी चूतें एक दूसरे से रगड़ खा रही थी और हमें बहुत ही मज़ा आ रहा था। दोनों की चिकनी-चिकनी बिना बालों वाली मसके जैसी चूतें आपस में रगड़ रही थी। फिर वो थोड़ा सा नीचे को हो गयी और मेरी चूत पे किस कर दिया तो मैं पागल जैसी हो गयी और मैंने उसका सर पकड़ के अपनी चूत में घुसा दिया और वो किस करते-करते अब मेरी चूत के अंदर जीभ डाल कर चूसने लगी तो मेरे जिस्म में लहू तेज़ी से सर्क्यूलेट होने लगा और दिमाग में साँय-साँय होने लगा। मुझे लगा जैसे कोई चीज़ मेरी चूत के अंदर से बाहर आने को बेताब है पर नहीं आ रही है और मुझे लगा जैसे सारा कमरा गोल-गोल घूम रहा हो। इतना सारा मज़ा आ गया और मैं अपनी चूत उसके मुँह में रगड़ती रही। थोड़ी देर में ये कंडीशन खतम हो गयी तो वो बगल में आकर लेट गयी और मुझे अपनी टाँगों के बीच में लिटा लिया और मेरा सर पकड़ के अपनी चूत में घुसा दिया। उसकी मक्खन जैसी चिकनी चूत को किस करना बहुत अच्छा लग रहा था और अब उसने मेरे सर को पकड़ के अपनी चूत में घुसाना शुरू कर दिया और मेरे मुँह में अपनी चूत को रगड़ने लगी। उसकी चूत का टेस्ट मुझे कुछ नमकीन लगा पर वो टाईम ऐसा था के हम दोनों मज़े ले रहे थे और फिर उसने मेरे मुँह में अपनी चूत को और भी तेज़ी से रगड़ना शुरू कर दिया और मुँह से अजीब आवाज़ें निकालने लगी और फिर वो शाँत हो गयी। मेरा खयाल है कि कॉलेज के दिनो में ऐसी फ्रैंड्स जो एक दूसरे के घर रात बिताती हैं, ये चूचियों को दबाना या चूत को मसाज करना या किस करना सब नॉर्मल सी बात होगी क्योंकि ताहिरा ने मुझे अपनी और दो फ्रैंड्स के बारे में बताया कि वो भी ऐसे ही करती हैं। शायद ये उम्र ही ऐसी होती है।
खैर तो मैं कह रही थी कि आँटी का सैंडल वाला पैर मेरी चूत पे लगने से मेरे जिस्म में एक आग जैसी लग रही थी। मेरा दिल और दिमाग अब ताहिरा और मेरी गुजरी हुई पुरानी हर्कतों से हट कर आँटी की तरफ़ आ गया था। पता नहीं आँटी ने अब तक क्या बोला..... मैं तो अपनी और ताहिरा की गुजरी हुई बातें ही याद कर रही थी। तब के बाद आज किसी फिमेल का लम्स मेरी चूत में महसूस हो रहा था। असल में मुझे ये फीमेल और फीमेल का सैक्स यानी लेस्बियनिज़्म पसंद नहीं है पर वो वक्त ऐसा ही था कि मैं फिर से बहक गयी और आँटी को अपनी चूत दे बैठी।
हम दोनों बालकोनी में ही लगभग आमने-सामने बैठे थे। अब आँटी के सैंडल की हील सलवार के ऊपर से ही मेरी चूत के लिप्स को खोल के ऊपर नीचे हो रही थी। आँटी कभी चूत के सुराख में सैंडल की हील डाल देती तो कभी क्लीटोरिस को मसल देती तो मेरा मस्ती के मरे बुरा हाल हो जाता। चूत में से लगातार जूस निकल रहा था और चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। हालांकि मुझसे कुर्सी पर ठीक से बैठा नहीं जा रहा था। ऐसा होने के बावजूद वो मुझसे बेहतर हालत में थीं। मुझे झूमते हुए देख कर उन्होंने मुझे सहारा देकर पहले ज़मीन पर बिठा दिया और मेरी सलवार और पैंटी उतार कर मुझे तकरीबन नंगा कर दिया और फिर मेरी चूत में उंगली करने लगीं। मैं तो नशे में मस्त थीं और बालकोनी में अपनी इस नंगी हालत की मुझे कोई फिक्र नहीं थी। मुझे पता भी नहीं चला कि कब आँटी ने भी अपने सारे कपड़े उतार दिये और मेरा हाथ लेकर अपनी चूत पे रख दिया। जब मेरा हाथ उनकी चूत में लगा तो मुझे ऐसा लगा जैसे मेरा हाथ किसी जलती हुई भट्टी या गरम चुल्हे में लगा दिया हो..... इतनी गरम थी आँटी की चूत। मैंने भी आँटी की चूत का मसाज शुरू कर दिया और कभी अपनी उंगली अंदर डाल के सुराख में घुसेड़ देती तो कभी क्लीटोरिस को मसल देती तो आँटी के मुँह से “आआआहहहह ऊऊऊऊईईईई” जैसी आवाज़ें निकल जाती। दोनों ज़ोर-ज़ोर से एक दूसरे की चूतों का मसाज कर रहे थे और मज़े से दोनों की आँखें बंद हो चुकी थी।
सलमा आँटी ने मुझे लिटा दिया और मेरे पैरों के बीच में बैठ गयीं और झुक कर मेरी टाँगें और पैर चूमने-चाटने लगीं। मैंने गर्दन उठा कर देखा तो दंग रह गयी कि वो मेरे पैरों में बंधे सैंडलों को भी बड़ी शिद्दत से चाट रही थीं। फिर वो मेरी सैंडल की लंबी हील को मुँह में लेकर इस तरह चूसने लगीं जैसे लंड चूस रही हों। ये नज़ारा देख कर मेरी चूत और भी फड़कने लगी। फिर उन्होंने आगे झुककर चूत पे किस किया और अपनी जीभ मेरी चूत के अंदर डाल कर चाटना शुरू किया तो मेरी मुँह से “आआआआआआ आआआहहहहह” की सिसकरी निकल गयी और मैंने आँटी का सर पकड़ के अपनी चूत में दबा दिया और उसी वक्त मेरी अंगारे जैसी गरम चूत झड़ने लगी। मेरी आँखें बंद हो चुकी थी और मस्ती में मैं गहरी-गहरी साँसें ले रही थी। फिर आँटी मेरे ऊपर सिक्स्टी-नाईन की पोज़िशन में आ गयी और मेरे मुँह पे अपनी चूत को रगड़ने लगी तो मेरा मुँह खुल गया और सलमा आँटी की चूत का इस्तक़बाल किया। उनकी गरम चूत में से नमकीन गाढ़ा जूस निकलने लगा। मैंने आँटी की पूरी चूत को अपने मुँह में लेकर दाँतों से काट डाला तो उनके मुँह से चींख निकल गयी, “आआआआहहहाह्ह ओंहओंहओंहओंहओंह आआआआआ ईईईईईईई ऊऊऊऊहहहहह”, और उनकी चूत में से जूस निकलने लगा और वो झड़ने लगी। बहुत देर तक हम बिना कोई बात किये ऐसे ही सिक्स्टी-नाईन की पोज़िशन में लेटे रहे। फिर थोड़ी देर के बाद आँटी ने कहा कि “आज मैं बहुत दिनों बाद इतना झड़ी हूँ और बहुत मज़ा
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
