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Incest स्मायरा अहमद की कहानी
#15
अशफाक के घर वाले शहर के आऊटर में रहते हैं और अशफाक एक बिज़नेसमैन है। उसका रेडीमेड गार्मेंट्स का बिज़नेस है जो काफी अच्छा चलता है। वो अपने बिज़नेस के लिये डेली आऊटर से शहर में नहीं आ सकता था और इसी लिये उसने एक शानदार फ्लैट शहर में ले रखा था जिस में हम दोनों ही रहते हैं। घर में किसी चीज़ की कमी नहीं थी। कभी-कभी उसके मम्मी और डैडी आ जाते या कभी उसकी बहन रुखसाना आ जाती तो एक या दो दिन रह के चले जाते। घर में मैं अकेली ही रहती हूँ।
 
वक्त ऐसे ही गुजरता रहा। वो मेरी चूत में सारी रात आग लगाता रहता और खुद सुबह सुबह उठ के चला जाता और मैं जलती हुई चूत के साथ सारा दिन गुजारती रहती। करती भी तो क्या करती। इसी तरह से तीन महीने गुज़र गये। बहुत बोर होती रहती थी घर में बैठे-बैठे। सब नये -ये लोग थे। किसी से भी कोई जान पहचान नहीं थी। हमारे घर के करीब ही एक लेडी रहती थी। उनका नाम था सलमा। वो होंगी कोई छत्तीस या सैंतीस साल की। काफी खुश अखलाक़ और तहज़ीब याफ्ता औरत थीं। वो अक्सर हमारे घर आ जाया करती हैं और इधर उधर की बातें करती रहती हैं। मैं उन्हें आँटी कहने लगी। वो जब आती तो दो-तीन घंटे गुज़ार के ही जाती। कभी खाना पकाने में भी मदद कर देती और कभी-कभी तो हम दोनों मिल के खाना भी खा लेते। वो अपने अपियरेंस का बेहद ख़याल रखती थीं और हमेशा सलीके से कपड़े, गहने वगैरह पहने होती थीं और हल्के से मेक अप में बेहद खूबसूरत दिखती थीं। मैंने भी उनसे काफी कुछ सीखा।
 
अशफाक तो बिज़नेस के सिल सिले में शहर से बाहर जाते ही रहते हैं और जब कभी किसी दूर के शहर जाना होता तो वो तीन-चार दिन के लिये जाते और मैं घर मैं अकेली ही रहती हूँ। कई बार आँटी ने कहा कि स्मायरा तुम अकेली रहती हो, अगर तुम कहो तो मैं तुम्हारे पास आ के सो जाया करूँ!
 
मैंने हमेशा हँसते हुए उनके इस इरादे को टाल दिया और अब वो मेरे साथ सोने की बात नहीं करती। कभी-कभी अगर बातें करते-करते रात को देर भी हो जाती तो वो अपने घर चली जाती थी। उनके शौहर मर्चेंट नेवी में इंजीनियर थे और साल में दो-तीन दफ़ा कुछ हफ़्तों की छुट्टियों में आते थे। उनकी बारह साल की एक बेटी थी जो बोर्डिंग स्कूल में पढ़ती थी। उनके पास एक बड़ा सा कुत्ता था जिसे वो दिल-ओ-जान से चाहती थीं। सलमा आँटी अपने कुत्ते के साथ अकेली रहती थीं।
 
एक दिन आँटी दोपहर के वक्त आ गयीं। मैं उसी वक्त बाहर से कुछ शॉपिंग करके वापस लौटी थी और चाय पी कर थोड़ा सुस्ताने का दिल कर रहा था क्योंकि आज बादल छाये हुए थे और कभी भी बारिश हो सकती थी और ठंडी हवा चल रही थी। हकीकत में मौसम सुहाना हो रहा था पर मुझे रात के गैर तसल्ली बक्श सैक्स से सारा जिस्म टूटा जा रहा था । मैंने घर में कदम रखा ही था और अभी सैंडल भी नहीं उतारे थे कि ठीक उसी टाईम पे आँटी आ गयी। आँटी ने पूछा कि मैं कहीं जा रही हूँ क्या तो मैने कहा. नहीं आँटी! बल्कि अभी-अभी आयी हूँतो आँटी ने पूछा के थक गयी होगी... कहो तो मैं तुम्हारा जिस्म दबा दूँतो मैंने हँस के कहा कि
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: स्मायरा अहमद की कहानी - by neerathemall - 11-08-2022, 01:55 PM



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