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Thriller रश्मि का आरंभ- रश्मि मंडल
#32
उसकी यह बात सुन कर मेरे तन बदन में जो आग लगी थी वह भड़क पड़ी. मैंने बिना कोई देर किए अपना दूसरा हाथ भी आगे बढ़ाकर उसके बाएँ, तिकोने, कड़े  अलफांसों आम जैसी वक्ष को पकड़ लिया और दोनों वक्षों को  जोर से एक साथ  मसलते हुए उसके कान के पास अपना होंठ ले जाकर कहा "धीरे करूँ आलिया?" "स्स्स आःह्ह्ह  दीदी. कब से तरस रहे हैं ये आपकी हाथों से मसले जाने के लिए". मैंने अपनी दोनों बाँहों से उसे कस कर अपनी ओर खींच लिया और अपनी दोनों हथेलियों को पूरी तरह फैला कर उसके दोनों छोटे पर कड़े वक्षों को जोर-जोर से मसलना जारी रखा. पीछे से अपना होंठ आगे की और ले जाकर उसकी तपती गले के दायें भाग पर रख दिया. "स्स्स्स आह्ह्ह स्स्स्स आःह्ह" बस अब आलिया के मुंह से निकल रहा था. उसका पीठ मेरी स्तनों में गड़ा हुआ था. आलिया अपना मुंह थोड़ा सा खोल, आँख बंद किए, अपना सिर थोड़ा सा ऊपर उठाए मेरी होंठो को अपने गले और हाथों को अपने वक्षों पर महसूस कर रही थी. आलिया वासना की आग में तप रही थी.

आलिया कुरैशी, अपनी पीठ पर रश्मि के गुदाज स्तनों को महसूस कर रही थी. वह रश्मि के हाथों को अपने वक्षों पर पाकर उत्तेजना से तप रही थी. उसकी कितनी पुरानी इच्छा पूरी हो रही थी. तीन साल पहले, जब वह रश्मि से पहली बार मिली थी. तबसे उसके मन में यह प्रश्न  था "इस मिश्र की देवी जैसी लड़की का बदन इतना ज्यादा भरा-भरा और आकर्षक क्यों है? इसकी उंचाई, उसके नितंभ और इसके वक्ष इतने बड़े क्यों हैं? एकदम गोल, कठोर और पुष्ट. मन करता है छू लूँ इनको. ये इतनी स्मार्ट, रमणीय, आकर्षक और कामुक हैं, साथ में इन्हें मार्शल आर्ट, कराटे आदि भी आती है. शूटिंग में भी चैम्पियन हैं. ऐसा सभी लड़कियों को होना चाहिए. क्या मैं कभी इनको छू पाऊँगी? कपड़ों के नीचे इसका शानदार बदन कैसा दिखता होगा?". आलिया जो पिछले 3 वर्षों से रश्मि के लिए आतुर थी. आज रश्मि का  होंठ अपने गले पर, उसका हाथ अपने वक्षों पर और अपनी पीठ पर रश्मि के स्तनों को पाकर, आलिया अपना होश-ओ-हवास खो बैठ रही थी.

इधर मैं उसे कोई मौका नहीं देना चाहती थी. उस रात के बाद से मेरे अन्दर जो आलिया को दबोच लेने की कामना थी वह आज पूरी हो रही थी. उसके वक्षों के अधूरे दर्शन ने मुझे उसके लिए लालायित कर दिया था. उसके वो वक्ष अब मेरी हथेलियों में थे. अपना दायाँ हाथ मैं उसके टी-शर्ट के ऊपर से उसके बाएं वक्ष में धीरे गोल-गोल घुमा रही थी, उसके पुष्ट छोटी गोलाइयों के चारों ओर और उसके उभारों के बीच में उसके निप्पल के ऊपर भी. बायाँ हाथ मैंने उसके बाएँ वक्ष के ऊपर रखा हुआ था. उसकी बाँहों पे, उसके पेट पर, उसके ऊपरी जांघों में, उसके नितम्भों के पास और उसके वक्षों पर मैं अपना हाथ ले जाकर उसके अंगों को सहला रही थी. आलिया थोड़ा पीछे झुक कर, अपने पीठ के बल मुझ पर टिकी हुई थी, उसकी आंख्ने बंद थी और वह अपने छरहरी बदन पर मेरे छुवन को महसूस कर रही थी. अपनी हथेलियों को ले जाकर मैंने उसके दोनों वक्षों को सहलाते हुए, अपने दोनों हाथों को उसके उभारों की गोलाइयों में घुमाने लगी. दोनों उभारों को पकड़ कर मैं उन्हें हल्के-हल्के प्यार से दबाने लगी.

मैं कह सकती हूँ, आलिया पूरी तरह मेरी गिरफ्त में थी. और आलिया की कमसिन जवानी  मुझे भी कुछ और सोचने नहीं दे रहा थी. आह्ह, आलिया आखिरकार इस हालत में मेरे सामने थी. उसके वक्षों को हौले दबाते-सहलाते  अपना हाथ मैं नीचे की ओर ले गयी. आलिया के  पिंक टी-शर्ट और जीन्स के बीच का थोड़ा सा हिस्सा  खुला हुआ था. मैंने बड़ी नर्मी से अपने कांपते हाथों को उसकी भूरी और मखमली पेट पर रख दिया. मैं उसके पेट में उसके चिकने शरीर का अनुभव कर रही थी. दायें हथेली की 4 उँगलियाँ मोड़ कर मैं अपना मिडिल फिंगर उसके नाभि में डाल देती हूँ. और अपनी ऊँगली को वहां पर धीरे-धीरे हिलाने लगती हूँ. "ऊम्म्म, उन्ह्ह्ह" आलिया अपने मुंह से बस यही निकाल रही थी. अपनी पूरी हथेली खोल कर मैं उसके नाजुक चिकने पेट को सहला रही थी. उसके कमसिन बदन को छू कर मैं मदमस्त हो रही थी. मेरी सांसें तेज चल रही थी.

बाएं हाथ से उसके बाएं दूध को मसलते हुए मैं अपना दाहिना नीचे की और सरकाने लगी. उसके जीन्स के बटन पर पहुँच कर, मैं उसका बटन खोलने लगी. आलिया का शरीर कांप रहा था. जीन्स के बटन को खोल मैंने उसके जिप को पूरा नीचे कर दिया. आलिया की मुलायम त्वचा को छूकर से मैं बुरी तरह तप रही थी. उसके जीन्स के खुले बटन से अपना हाथ मैं उसकी दोनों टांगों की बीच की गहराइयों की तरफ ले जाने लगी. अपना दाहिना हाथ उसके जीन्स के अन्दर डाल मैंने अपनी उँगलियां उसकी अनछुई चूत के ऊपर पैंटी पर रख दिया. मैं धीरे-धीरे उसकी पैंटी को ऊपर से मसलने लगी. मेरा दूसरा हाथ उसके बाएँ उरोज पर टहल रहा था. "अहाह्हन ऊंह आह हहस्स्स्स" मेरी दोनों बाँहों के बीच फंसी आलिया के मुंह से यही आवाज निकल रही थी. "आआअह्ह' मैं लगातार उसकी चूत और नन्हे दूध को मसलती रही.

आलिया मेरी हरकतों से पूरी तरह उत्तेजित होकर मेरे सीने में धंसी हुई थी. उसके पीठ का दबाव मैं अपने उभारों में महसूस कर रही थी. मैंने उसका टी-शर्ट अपनी बायीं हाथ से पकड़ कर उठा दिया. गुलाबी ब्रा में लिपटे उसके छोटे तिकोने वक्ष मेरी आँखों के नीचे थे. मुझसे रहा ना गया, मैंने बाएं हाथ को नीचे से उसकी ब्रा के अन्दर डाल दिया. उसकी कसी हुई नुकीली चूची अब मेरे हाथ में थी. उसकी मुलायम त्वचा को छू कर मेरा रोम-रोम सहर उठा. उसकी कड़े हुए उग्र निप्पल को मैं उमेठने लगी. "अआई, आआह्ह्ह, अस्स्स्स स्स्स्स, दीदी धीरे, धीरे दीदी धीरे आआह्ह स्स्श्हाह" आलिया बोली. उसकी सिसकारी सुन मैं बुरी तरह उज्जेतिज हुई. अपना दूसरा हाथ मैंने थोड़ा पीछे कर उसकी पैंटी के अन्दर डाल कर उसकी मुलायम, चिकनी चूत को छू लिया. "आःह, कितनी गरम है ये" तुरंत मेरे दिमाग में ख़याल आया.

उसकी योनी पूरी तरह गीली थी. मैं अपनी उँगलियों का थाप उसकी चूत पर देने लगी. दूसरी ओर मैंने उसकी बाएं तरफ के ब्रा को पूरी तरह ऊपर उठा कर उसके भूरे निप्पल को अपनी उँगलियों के बीच दबाने लगी. आलिया आपनी आंख्ने उठा कर मुझे देखे जा रही थी. वह पूरी तरह से मुझ पर टिक कर लेट गयी थी. दोनों हाथों से वह मेरी जांघों को मसल रही थी. मैंने दोनों हाथ पीछे लेकर उसके छोटे, कठोर नितम्भों को पकड़ कर उसे थोड़ा ऊपर उठाया और उसका जीन्स उतारने का प्रयास करने लगी. आलिया मेरा इशारा समझ गयी, उसने खुद अपनी गांड ऊपर उठा कर अपना जीन्स निकाला और बिस्तर पर रख दिया. दो गोरी, चिकनी जांघों के बीच गुलाबी पैंटी अब मेरे सामने थी. आआआह, आलिया की मस्त भरी हुई गदराई जांघों को देखकर मेरे मुंह में पानी आ गया. कपड़ों के ऊपर से आलिया को देख कर बिलकुल भी नहीं लगता ऐसी कसी हुई मांसल जांघ आलिया की होगी. वह अपना दोनों टांग मोड़कर, अपनी दोनों जांघों को पूरी तरह फैला कर फिर से मेरी गुलाम की तरह मेरे आगोश में बैठ गयी. उसकी टांगों को फैला कर बैठने से मुझे साफ समझ आ गया वह क्या चाहती थी. मैंने उसे आगे झुकाया और उसकी पीठ में अपने हाथ ले जाकर उसके ब्रा के स्ट्रैप को खोल दिया. उसे खींच कर अपने सीने में टिका दिया. उसके टी-शर्ट को पकड़ कर मैंने ऊपर गले तक चढ़ा दिया. उसकी गुलाबी ब्रा को ऊपर उठा कर उसके दोनों जवान उरोजों को उन्मुक्त कर दिया. उसकी कसी हुई  तिकोने वक्षों को देख कर मुझे मन हुआ इसको पलटा कर चूस लूँ इन्हें पर जब मेरी नजर नीचे गयी तो आलिया अपना हाथ पैंटी के ऊपर रख कर अपनी कमसिन  योनी को सहला रही थी.

बिना कोई समय व्यतीत किये मैंने अपनी दायें हाथ की उँगलियाँ उसके पैंटी के अन्दर डाल दी. बाएं हाथ से फिर से उसके नन्हें वक्ष को मसलने लगी. बीच की ऊँगली उसकी योनी के दाने पे रख कर मैं उसकी चूत को जोर से घिसने लगी. आलिया प्यासी मछली की तरह मेरी उँगलियों की गति से मचल रही थी. "आआआह्ह्ह्ह, उन्ह्ह्हह्ह आआह्ह्ह दीदी, आआह्ह्ह्ह दीदी, दीदी" आलिया पूरी तरह से काम वासना में जली जा रही थी. अपना दायाँ हाथ ले जाकर वह अपना दायाँ दूध दबाने लगी. "आआह्ह्ह्ह अल्ल्ल्लाह, आःह या अल्ल्लाह्ह, दीदी मैं झड़ जाउंगी अआह्ह" आलिया बस यही कह रही थी. मैं लगातार उसका चूट रगड़े जा रही थी. मुझे उस नाजुक लड़की को अपनी उँगलियों की हरकत पर तड़फते देख आनद आ गया. मेरे हाथ की गति तेजी से बढ़ रही थी. "अह्ह्हह्ह्ह्ह, आःह्ह्ह, स्स्स्सश्ह्ह आआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् दीदी" कहते हुए वह अपना एक हाथ ऊपर से मेरी हाथ में रख कर वह अपनी चूत की ओर दबाने लगी. "आअह्ह्ह्ह आआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्" की आवाज के साथ मैंने उसकी योनी से निकलते पानी को महसूस किया. वह कामुक नवयौवना एक बार झड़ चुकी थी.

आलिया अकड़ कर उठ के पलट कर मुझसे लिपट गयी. "दीदी, आप बहुत अच्छी हो, आपको क्या नहीं आता!!"
 उसने धीरे से कहा. "अच्छा! इतनी अच्छी हूँ मैं" मैंने मुस्कराते हुए कहा. "हाँ दीदी" कहते हुए आलिया पूरी तरह से मेरी तरफ घूम गयी. यह पहली बार था जब इस पूरे घटनाक्रम में हमारी नजरें मिल रही थी, आलिया अपनी नजरें चुरा रही थी साथ ही उसकी नजरें मेरी डीप नेक टी-शर्ट से झांकती उभारों में फिसल रही थी. उसे देख कर समझ आ रहा था वह उनके लिए पागल हो रही थी.

मैं उसके सामने घुटनों पर बैठ गयी, आगे झुककर उसके चेहरे को अपनी हाथों में लेकर अपनी तपती होंठों को उसकी गुलाबी मुलायम होंठों पर रख दिया. मैं प्यार से उस कच्ची कली को चूमने लगी. हाथ उठा कर मैं उसका टी-शर्ट और ब्रा निकाल फेंकी. आलिया अब मेरे सामने ऊपर से पूरी तरह नंगी थी. वह आसमान से उतरी हुई किसी हूर की तरह लग रही थी. उसके कसे हुए तिकोने उरोजों को अपनी हाथों में लेकर उसकी होंठों को चूमने लगी. अपने हाथों से उसे पकड़ कर अपनी ओर खींचते हुए उसके गले में चुम्बनों की बरसात कर दी. मेरे हाथ उसके शरीर के मुलायम अंगों, उसके दूध, पीठ और नितम्भों में मचल रहे थे. "आआआअह्ह्ह दीदी, पागल कर दोगे आप मुझे" आलिया ने कहा. "अच्छा!" मैंने उसे कामुक नजरों से देखते हुए कहा. और मैं अपना टी-शर्ट निकाल दी, मेरे पुष्ट स्तन अब आलिया के सामने काली ब्रा में छुपने का प्रयास के रहे थे.

टी-शर्ट खुलते ही आलिया भूखी नजरों से मेरे उभारों को देखने लगी. उसके हाथों को मैंने अपनी ब्रा के ऊपर से स्तन पर पाया. आलिया अपनी छोटी हथेलियों में मेरे स्तनों को पकड़ने का प्रयास कर रही थी. उसके उतावलेपन को देखते हुए मैंने उसका हाथ पकड़ पीछे अपनी ब्रा स्ट्रैप में ले जाकर उन्हें खोलने का इशारा किया. आलिया ने तुरंत मेरा आदेश माना, ब्रा की पट्टियाँ खुलते ही वह हाथों से होते हुए नीचे गिर गयी. खरबूजे के जैसे बड़े मेरे पुष्ट उभार अब आलिया के सामने पूरी तरह निर्वस्त्र थे. "अआह्ह दीदी" कहते हुए आलिया ने एक बच्ची की तरह मेरे पुष्ट उभारों को अपनी हाथों में ले लिया. "या अल्लाह, कितनी खूबसूरत हो दीदी आप" उसने मेरे उभारों को दबाते हुए कहा. "तूने पहले कभी देखा है इस तरह किसी के स्तनों को?" मदमस्त होते हुए मैंने पूछा. "हाँ, दीदी पर आपको थोड़ा अजीब लगेगा" उसने लड़खड़ाते हुए शब्दों से कहा. "किसकी" मैंने पूछा. उसने मेरी तरफ देखा और हिचकिचाते हुए धीरे से कहा "अम्मी की".

उसका जवाब सुनते से ही मुझे रुखसाना कुरैशी आंटी की याद आ गयी. मेरे दिमाग में उनकी भींगे हुए स्तनों को नजारा घुमने लगा. मुझे एक लड़की बता रही है कि उसने उनके उन पुष्ट उरोजों को खुला देखा है और वो भी उनकी खुद की बेटी. मेरी उत्तेजना अपने चरम सीमा पर पहुँच गयी, आलिया के इस बात ने मेरे पूरे शरीर में विद्युत् की लहर दौड़ा दी. मैंने आलिया के सिर को पीछे से पकड़ा और उसे अपनी तरफ खींचते हुए अपना एक दूध उसके मुंह में डाल दिया. "चूस ले इनको" मैंने कहा. आलिया अपने दोनों हाथों से मेरे स्तनों को पकड़े हुए मेरे दायें निप्पल को बेतहाशा चूसने लगी. वह छोटी बच्ची की तरह मेरा पूरा दूध चूस लेना चाहती थी. कभी दाहिना तो कभी बायाँ, वह एक-एक करके मेरे कठोर स्तनों को चूसे जा रही थी. मैं आनंद से सराबोर हो गयी. बीच-बीच में उसका मुंह पकड़ मैं उसके होंठों को चूम लेती थी. आलिया जिस तरह से मेरे बड़े उरोजों को चूम रही थी, चाट रही थी, चूस रही थी लग रहा था जैसे उसकी बरसों की अधूरी इच्छा पूरी हो रही हो.

अब मुझसे रहा नहीं गया, मैंने आलिया को अलग किया और पीठ की बल लेट कर अपनी लेगिंस को निकाल फेंका. आलिया ने मेरे तराशे हुए मांसल जांघों और दोनों टांगों के जोड़ के पास पैंटी को ललचाई नजरों से देखते हुए अपनी हाथों को मेरी जांघों पर रख दिया. मेरी जांघों को मसलते हुए उसने अपना हाथ मेरी पैंटी के ऊपर से मेरी योनी पर रख दिया. "आआह्ह" काम वासना में जलती हुई मैं पीठ के बल लेट कर निढाल हो गयी. अलिया मेरी योनी को पैंटी के ऊपर से मसल दी. "आआह्ह्ह आलिया मेरी बच्ची" मैं बेकाबू हो चुकी थी. मेरे मुंह से यह बात सुनते ही आलिया ने मेरी पैंटी पकड़ कर नीचे सरकाते हुए उसे निकाल दिया. अब मैं आदमजात पूरी तरह से नंगी थी. मेरे गदराई हुई जांघों के बीच का जन्नत का नजारा अब आलिया के सामने था.

वह नीचे झुक कर मेरी नाभि को मेरे पेट को चूमने लगी. "कैसे देखा तूने रुखसाना आंटी के दूध को?" मैंने पूछा. "दीदी!!" उसने सिर उठा कर मुझे शिकायत के लहजे में देखते हुए कहा. "अरे! मैं बस पूछ रही हूँ, इतना तो बता ही सकती है" मैंने कहा. "हूँ" कहते हुए वह फिर से मेरी एक जांघ को चूमने लगी. अपने एक हाथ मेरे उन्नत उभारों को दबाते हुए, मेरी जांघ को धीरे-धीरे चुमते हुए उसने कहा "एक बार मैं उनके रूम में बिना नॉक किए चली गयी थी, वो तुरंत नहा कर आयीं थी और ड्रेस चेंज कर रही थीं. जब मैं अन्दर गयी तो उन्होंने ऊपर कुछ नहीं पहना हुआ था". "अच्छा" मैंने कहा. आलिया का होंठ अब मेरे पैर के जोड़ के पास मेरी योनी के निकट था. मेरी जांघों को हाथों से सहलाते हुए उसने अपना होंठ मेरी चूत पर रख दिया. "अआह्ह्ह, आलिया" मेरे मुंह से निकला.

"तो तुझे और कभी मन नहीं हुआ रुखसाना आंटी को वैसे देखने का? या ऐसे देखने का जैसी अभी मैं हूँ" मैंने सिसकारी लेते हुए कहा. "दीदी$$ प्लीज, नहीं ना" शिकायती लहजे में कहते हुए वह अपनी जीभ से मेरी मदमस्त जवान योनी को चाटने लगी. "आआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्, आलिया! ऐसे ही मेरी बच्ची, रुकना नहीं" मेरी बात सुनते ही वह बेकाबू होकर मेरी चूत चाटने लगी. अपना जीभ उसने मेरी योनी के अन्दर डाल दिया. वह मेरी चूत को पूरी तरह से खा जाना चाहती थी. "आआह्ह्ह्ह, अलिया आआह्ह मेरी बच्ची" कहते हुए मैंने उसका बाल पकड़ कर उसका मुंह अपनी चूत में डाल दिया. वह मेरी चूत को बेतहासा चूम रही थी, चाट रही थी. मैं अपनी गांड ऊपर उठा-उठा कर हिलाने लगी. आलिया ने अपना दोनों हाथ नीचे ले जाकर मेरी चूतड़ को पकड़ लिया. वह लगातार मेरी योनी को चाट रही थी. मैं आनंद की चरम पर थी, थोड़ी ही देर में उसका मुंह मेरे रस से भींगने वाला था. वह अपना मुंह रगड़ रगड़ कर मेरा चाटने लगी. "आआअह्ह्ह्ह आह्ह्ह्हह्ह अआह्ह्ह, आलिया ऐसे ही, रुकना मत" मैंने कहा और अकड़ते हुए मैं उस चरम पर पहुँच गयी. आलिया ने सिर उठा कर मुझे मुस्कराते हुए देखा.

उठ कर घुटने के बल बैठते हुए मैंने अपना एक दूध आलिया के मुंह में डालते हुए कहा "चूस, बहन चूस ले, तेरा फर्स्ट टाइम है ना ये आआह्ह्ह". "हाँ दीदी" मदहोश होते हुए आलिया ने कहा. मैंने उसे धक्का देते हुए पीछे किया, उसके होंठों को चूमने लगी, उसके कसी हुई वक्षों को दबाने लगी. अपनी दोनों टांग फैलाए वह बिस्तर में अपना दोनों हाथ पीछे टिका कर बैठी हुई थी. उसके साथ जबरदस्ती करते हुए, मैं उसकी दोनों टांगों के बीच में अपना पैर डाल कर क्रॉस पोजिसन में बैठ गयी, इस तरह कि हम दोनों की चूत एक दूसरे से टकरा रही थी. अब मैं अपनी गांड जोर-जोर से हिला कर उसे रौंदने लगी. मैं इतनी तेजी से अपना नितंभ हिला-हिला कर उसकी योनी से अपनी योनी को टकरा रही थी कि आलिया बेचारी "आआअह्हह्हह्ह आआह्ह्ह आआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह" के प्रलाप को छोड़कर और कुछ नहीं कर पा रही थी. धक्के मार-मार कर, रगड़ कर मैंने हम दोनों की योनी से फिर से रस निकाल दिया. तड़फती हुई आलिया चरम सुख को पाकर बिस्तर में निढाल हो गयी.  
मैं भी उसके बाजु में जाकर लेट गयी.
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RE: रश्मि का आरंभ- रश्मि मंडल - by rashmimandal - 12-08-2022, 04:54 AM



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