04-08-2022, 05:27 PM
‘यार वापस जाएँगे तो बस ट्रॅफिक में घूमते रहेंगे.. एक काम करते हैं हम भी थोड़ी देर यही कहीं बैठ जाते हैं’
‘ह्म रेस्टोरेंट चलते हैं.. मुझे भूख भी लग रही है’
‘चलो’ दोनो गार्डन में बने रेस्टोरेंट में चले जाते हैं और राजेश दोनो के लिए स्नॅक्स और कॉफी का ऑर्डर कर देता है और कोने में एक खाली टेबल पे दोनो जा कर आमने सामने बैठ जाते हैं।
राजेश.. सोमया के हाथों को अपने हाथों में थाम लेता है और उसकी आँखों में झाँकने लगता है।
‘ऐसे क्या देख रहे हो.. पहले कभी देखा नही क्या’ सोमया नज़रें चुराते हुए बोली।
‘यार तुम इतनी सुंदर हो सोच रहा हूँ अपनी बुकिंग करा ही लूँ.. कहीं तुम्हारे मम्मी पापा कुछ और ही ना कर बैठे और मैं बेचारा तुम्हारे बच्चे का बाप बनने की जगह अंकल ना बन के रह जाऊं’
सोमया भी मज़े लेने के मूड में आ गयी।
‘हाँ ये बात तो है.. कल ही मम्मी बता रही थी की पापा अपने किसी दोस्त के बेटे के बारे में बात कर रहे थे’
‘ओ तेरी की.. अब तो आज ही डैड से बात करनी पड़ेगी’
‘अच्छा जी अगर मेरे पापा नही माने तो.. अभी तो तुम पढ़ रहे हो।’
‘यार तुमने भी तो सी.ए करनी है.. तुम्हारे मम्मी पापा को भी रुख़ के घरवालों की तरहा बुखार चड गया है क्या’
‘लड़की हूँ.. का तो शादी के बाद भी हो सकती है.. तुम कैसे कन्विन्स करोगे मेरे पापा को अभी तो ग्रॅजुयेशन भी पूरा नही हुआ तुम्हारा।’
‘लगता है अब वक़्त आ गया है तुम्हारे पापा को होने वाले दामाद से मिला ही दिया जाए.. और तुम्हें हमेशा के लिए फिक्स कर दिया जाए’
‘पापा के सामने बोल भी नही सकोगे.. आए बड़े होने वाले दामाद से मिलने चले’ सोमया हेस्ते हुए बोली।
‘चॅलेंज !’
‘हाँ चॅलेंज!’
‘ठीक है मेम साहिब आज से 15 दिन के अंदर तुम्हारे इन प्यारे हाथों में मेरे प्यार की अंगूठी होगी’
‘वादा’
‘ये तो तुम जानती हो एक बार कह दिया तो कर के दिखाऊंगा.. 15 दिन बाद दो सगाई एक साथ होंगी.. रुख़ की और तुम्हारी’
सोमया के दिल में लाडू फूटने लगे.. जितना वो राजेश से प्यार करती थी.. दिल ही दिल में एक दर भी समाया रहता था की कहीं ये प्यार बीच में अधूरा ना रह जाए.. राजेश के बिना जीने की तो वो कल्पना भी नही कर सकती थी।
इतने में स्नेक्स और कॉफी भी आ गये.. दोनो खाने पीने लगे और राजेश साथ साथ अपना दिमाग़ धोदने लगा.. 15 दिन में ये वादा कैसे पूरा करे।
कॉफी ख़तम होने के बाद राजेश सोमया को गार्डन में ले गया उस जगह जहाँ अच्छे अच्छे फूल खिले हुए थे।
‘चलो जानेमन.. मिशन सगाई.. शुरू अब ज़रा कुछ अच्छा सा पोज़ दो’
राजेश ने सोमया की कुछ तस्वीरें अपने मोबाइल से खींची और बाद में एक मेसेज असलम को कर दिया रुख़ की कुछ तस्वीरें खींच कर भेजने के लिए।
इसके बाद राजेश ने सोमया को उसके घर के पास छोड़ा और अपने घर जा कर अपने डेड के आने का इंतेजर करने लगा।
अपने घर जा कर अपने डेड के आने का इंतेजर करने लगा।
अपने घर जा कर अपने डेड के आने का इंतेजर करने लगा।
‘ह्म रेस्टोरेंट चलते हैं.. मुझे भूख भी लग रही है’
‘चलो’ दोनो गार्डन में बने रेस्टोरेंट में चले जाते हैं और राजेश दोनो के लिए स्नॅक्स और कॉफी का ऑर्डर कर देता है और कोने में एक खाली टेबल पे दोनो जा कर आमने सामने बैठ जाते हैं।
राजेश.. सोमया के हाथों को अपने हाथों में थाम लेता है और उसकी आँखों में झाँकने लगता है।
‘ऐसे क्या देख रहे हो.. पहले कभी देखा नही क्या’ सोमया नज़रें चुराते हुए बोली।
‘यार तुम इतनी सुंदर हो सोच रहा हूँ अपनी बुकिंग करा ही लूँ.. कहीं तुम्हारे मम्मी पापा कुछ और ही ना कर बैठे और मैं बेचारा तुम्हारे बच्चे का बाप बनने की जगह अंकल ना बन के रह जाऊं’
सोमया भी मज़े लेने के मूड में आ गयी।
‘हाँ ये बात तो है.. कल ही मम्मी बता रही थी की पापा अपने किसी दोस्त के बेटे के बारे में बात कर रहे थे’
‘ओ तेरी की.. अब तो आज ही डैड से बात करनी पड़ेगी’
‘अच्छा जी अगर मेरे पापा नही माने तो.. अभी तो तुम पढ़ रहे हो।’
‘यार तुमने भी तो सी.ए करनी है.. तुम्हारे मम्मी पापा को भी रुख़ के घरवालों की तरहा बुखार चड गया है क्या’
‘लड़की हूँ.. का तो शादी के बाद भी हो सकती है.. तुम कैसे कन्विन्स करोगे मेरे पापा को अभी तो ग्रॅजुयेशन भी पूरा नही हुआ तुम्हारा।’
‘लगता है अब वक़्त आ गया है तुम्हारे पापा को होने वाले दामाद से मिला ही दिया जाए.. और तुम्हें हमेशा के लिए फिक्स कर दिया जाए’
‘पापा के सामने बोल भी नही सकोगे.. आए बड़े होने वाले दामाद से मिलने चले’ सोमया हेस्ते हुए बोली।
‘चॅलेंज !’
‘हाँ चॅलेंज!’
‘ठीक है मेम साहिब आज से 15 दिन के अंदर तुम्हारे इन प्यारे हाथों में मेरे प्यार की अंगूठी होगी’
‘वादा’
‘ये तो तुम जानती हो एक बार कह दिया तो कर के दिखाऊंगा.. 15 दिन बाद दो सगाई एक साथ होंगी.. रुख़ की और तुम्हारी’
सोमया के दिल में लाडू फूटने लगे.. जितना वो राजेश से प्यार करती थी.. दिल ही दिल में एक दर भी समाया रहता था की कहीं ये प्यार बीच में अधूरा ना रह जाए.. राजेश के बिना जीने की तो वो कल्पना भी नही कर सकती थी।
इतने में स्नेक्स और कॉफी भी आ गये.. दोनो खाने पीने लगे और राजेश साथ साथ अपना दिमाग़ धोदने लगा.. 15 दिन में ये वादा कैसे पूरा करे।
कॉफी ख़तम होने के बाद राजेश सोमया को गार्डन में ले गया उस जगह जहाँ अच्छे अच्छे फूल खिले हुए थे।
‘चलो जानेमन.. मिशन सगाई.. शुरू अब ज़रा कुछ अच्छा सा पोज़ दो’
राजेश ने सोमया की कुछ तस्वीरें अपने मोबाइल से खींची और बाद में एक मेसेज असलम को कर दिया रुख़ की कुछ तस्वीरें खींच कर भेजने के लिए।
इसके बाद राजेश ने सोमया को उसके घर के पास छोड़ा और अपने घर जा कर अपने डेड के आने का इंतेजर करने लगा।
अपने घर जा कर अपने डेड के आने का इंतेजर करने लगा।
अपने घर जा कर अपने डेड के आने का इंतेजर करने लगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.