31-07-2022, 09:51 AM
उस दिन के बाद मैंने मैं जान बूझ कर इसके बारे में रेनू से कोई बात नहीं की और न ही रेनू ने इसका जिक्र मुझसे किया। लेकिन उस दिन के बाद हम एक दूसरे के साथ थोडा कम बात कर रहे थे, मुझे लगा की हम दोनों को ही थोडा समय चाहिए ताकि हम उस अनोखे अनुभव से उबर सकें। हालाँकि यह भी सच था कि आज तक हमको चुदाई में इतना मजा नहीं आया जितना की उस दिन पूल में सेक्स करके आया था, और इसकी वजह साफ़ थी, हमारी चुदाई के दौरान वहां राजेश का उपस्थित होना।
करीब 10 दिन बाद एक दिन डिनर करते वक़्त रेनू ने धीरे से मुझसे पूछा, “क्या तुम उस दिन के बारे में बात करना चाहते हो?”।
“यार अब उसमे बात करने के लिए क्या है? हम दोनों ने काफी पी ली थी, राजेश भी नशे में था और तुम्हारी कातिल खूबसूरती ने मुझे और राजेश को बहुत उत्तेजित कर दिया था और नशे में तुम भी पूरा मस्ती के मूड में थी, फिर तो जो हुआ वो होना ही था।” मैं रुका, “अब इस बारे में सोचना छोडो मेरी जान।”
“नहीं, यह ठीक नहीं हुआ। हम लोग शादीशुदा हैं और हमारी सोसाइटी में शादीशुदा लोग इस तरह का व्यवहार नहीं करते हैं।”
“अरे रेनू। आजकल शादीशुदा लोग क्या नहीं करते। उसके मुकाबले तो हमने कुछ नहीं किया। और जो हुआ उसमें तुम भी जिम्मेदार थी, सबसे पहले कपडे तुमने ही उतारे थे लेकिन इसमें कुछ भी गलत नहीं हुआ।” मैंने मैं उसे समझाते हुआ कहा, “तुमको क्या गिल्ट फील हो रहा है... तो ये बेवजह है, थोड़ी सी मस्ती करने में क्या गलत है?”
वह अपनी थाली में खाने को इधर उधर करते हुए बोल रही थी, “पता नहीं, मैं... वो मुझे कुछ सही नहीं लग रहा। राजेश को इतनी छूट...”
मैं उसकी बात बीच में ही काट कर बोला, “मैंने तुम्हें इतना खुश कभी नहीं देखा, तुम एक पूरी तरह से एक अलग औरत लग रही थीं। अब फालतू की बाते मत सोचो और वैसे ही रहो जैसे उस दिन थी, तुम्हारे उस दिन के व्यव्हार में कोई गलती नहीं थी। सच सच बताओ क्या तुम्हे उस दिन मज़ा नहीं आया था”।
मेरे इस सवाल से वह शरमा गई, “...नहीं ये तो मैंने मैं नहीं कहा।” उसने कहा।
मैं उसकी ओर देखकर मुस्कुराया, उसकी जवाब से मुझे राहत मिली, “लेकिन राजेश को उतना मज़ा नहीं आया होगा।”
इस बात से उसका चेहरा थोडा लाल हो गया और वह मुस्कुराई, “क्यों?”
मैंने मैं हँसते हुए बोला, “उसको हाथ से काम चलाना पड़ा, तुम्हे उसे एक मौका देना चाहिए था, लेकिन तुम्हें तो उसे चिढ़ाने में मज़ा आता है।”
“ओफ्फो, तुम फिर शुरू हो गए ...” उसने झुंझला कर कहा और फिर उसकी आँखों में लाल डोरे तैर गए और वो बोली “लेकिन मुझे विश्वास नहीं हुआ, उफ्फ्फ उसका कितना बड़ा था।” और फिर से शरमाते हुए चुप हो गई। “सॉरी... मैं”
मुझे तो पता ही था कि राजेश के लंड ने उसे बहुत आकर्षित किया है। “बेबी, मुझे पता है। किसने सोचा होगा कि एक औसत कद काठी वाले राजेश के पास इतना बड़ा लंड होगा, इसीलिए तो बोला की तुम्हे उसको एक मौका देना चाहिए था।”
वह कुछ नहीं बोली बस शरमा गई, और चुपचाप अपना डिनर खाने लगी। धीरे अपना भोजन समाप्त किया और मैं उसे बिस्तर पर ले गया। रेनू की चुदाई करते हुए मैंने फिर से राजेश के लंड का जिक्र छेड़ दिया, मैं उसके मुह से सच्चाई सुनना चाहता था।
“जानेमन बुरा मत मानो, लेकिन उसके लंड को देखकर तुम्हे काफी अच्छा लगा था न, मुझे यकीन है कि तुम्हें वो बहुत पसंद आया।”
ये कहकर मैंने मैं अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाला और एक जोरदार धक्के के साथ जड़ तक अन्दर घुसेड दिया। वो कराह कर बोली, “आःह्ह्ह कक्कक-क्या? उफ्फ्फ्फ़ नहीं- हीं मैं...आआह्ह”
मैंने मैं उसकी गांड पर कसकर तमाचा मारा, “ओह रेनू, जब तक मैं तुम्हें चोद रहा था, तुम उसके लंड को घूर रही थी।”
उसने कराहते हुए कहा, “मैं...वोआआह्ह्ह्ह तोह्ह्ह्ह मैंने मैं कभीईईइ.. ओह!... उफ्फ्फ्फ़ इतना बड़ाआआअ नहीं देखा।”
मैंने मैं नीचे झुक कर उसे चूमा, और धक्को की रफ़्तार बढ़ाते हुए कहा, “हाँ तो तुम्हे पसंद है न।”
वह इस बार जोर से कराह रही थी, और मैंने मैं फिर से लंड बाहर करके एक जोरदार धक्का मारा और बोला, “बस एक बार सच सच बता दो न!”
वह कराह उठी, “उफ्फ्फ्फ़ ओह!” और दाँत पीसते हुए बोली, “इस्स्स्सस्स्स ठीक हैआःह्ह! मुझे उसका लंड पसंद हईई... उफ्फ्फ्फ़ ओह! कितना बबबबबड़ा था... और
मोटाहाह्ह, उफफ्फ्फ्फ़ और जोरर्रर्र से करूऊओ!”
उसके ये कहते ही हम दोनों एक लगभग एक साथ की झड गए और मैं उसके ऊपर गिर पड़ा। उसके बाद ये अक्सर होने लगा की मैं चुदाई के दौरान राजेश का जिक्र कर देता और ये हम दोनों में एक उत्तेजना भर देता था।
करीब 10 दिन बाद एक दिन डिनर करते वक़्त रेनू ने धीरे से मुझसे पूछा, “क्या तुम उस दिन के बारे में बात करना चाहते हो?”।
“यार अब उसमे बात करने के लिए क्या है? हम दोनों ने काफी पी ली थी, राजेश भी नशे में था और तुम्हारी कातिल खूबसूरती ने मुझे और राजेश को बहुत उत्तेजित कर दिया था और नशे में तुम भी पूरा मस्ती के मूड में थी, फिर तो जो हुआ वो होना ही था।” मैं रुका, “अब इस बारे में सोचना छोडो मेरी जान।”
“नहीं, यह ठीक नहीं हुआ। हम लोग शादीशुदा हैं और हमारी सोसाइटी में शादीशुदा लोग इस तरह का व्यवहार नहीं करते हैं।”
“अरे रेनू। आजकल शादीशुदा लोग क्या नहीं करते। उसके मुकाबले तो हमने कुछ नहीं किया। और जो हुआ उसमें तुम भी जिम्मेदार थी, सबसे पहले कपडे तुमने ही उतारे थे लेकिन इसमें कुछ भी गलत नहीं हुआ।” मैंने मैं उसे समझाते हुआ कहा, “तुमको क्या गिल्ट फील हो रहा है... तो ये बेवजह है, थोड़ी सी मस्ती करने में क्या गलत है?”
वह अपनी थाली में खाने को इधर उधर करते हुए बोल रही थी, “पता नहीं, मैं... वो मुझे कुछ सही नहीं लग रहा। राजेश को इतनी छूट...”
मैं उसकी बात बीच में ही काट कर बोला, “मैंने तुम्हें इतना खुश कभी नहीं देखा, तुम एक पूरी तरह से एक अलग औरत लग रही थीं। अब फालतू की बाते मत सोचो और वैसे ही रहो जैसे उस दिन थी, तुम्हारे उस दिन के व्यव्हार में कोई गलती नहीं थी। सच सच बताओ क्या तुम्हे उस दिन मज़ा नहीं आया था”।
मेरे इस सवाल से वह शरमा गई, “...नहीं ये तो मैंने मैं नहीं कहा।” उसने कहा।
मैं उसकी ओर देखकर मुस्कुराया, उसकी जवाब से मुझे राहत मिली, “लेकिन राजेश को उतना मज़ा नहीं आया होगा।”
इस बात से उसका चेहरा थोडा लाल हो गया और वह मुस्कुराई, “क्यों?”
मैंने मैं हँसते हुए बोला, “उसको हाथ से काम चलाना पड़ा, तुम्हे उसे एक मौका देना चाहिए था, लेकिन तुम्हें तो उसे चिढ़ाने में मज़ा आता है।”
“ओफ्फो, तुम फिर शुरू हो गए ...” उसने झुंझला कर कहा और फिर उसकी आँखों में लाल डोरे तैर गए और वो बोली “लेकिन मुझे विश्वास नहीं हुआ, उफ्फ्फ उसका कितना बड़ा था।” और फिर से शरमाते हुए चुप हो गई। “सॉरी... मैं”
मुझे तो पता ही था कि राजेश के लंड ने उसे बहुत आकर्षित किया है। “बेबी, मुझे पता है। किसने सोचा होगा कि एक औसत कद काठी वाले राजेश के पास इतना बड़ा लंड होगा, इसीलिए तो बोला की तुम्हे उसको एक मौका देना चाहिए था।”
वह कुछ नहीं बोली बस शरमा गई, और चुपचाप अपना डिनर खाने लगी। धीरे अपना भोजन समाप्त किया और मैं उसे बिस्तर पर ले गया। रेनू की चुदाई करते हुए मैंने फिर से राजेश के लंड का जिक्र छेड़ दिया, मैं उसके मुह से सच्चाई सुनना चाहता था।
“जानेमन बुरा मत मानो, लेकिन उसके लंड को देखकर तुम्हे काफी अच्छा लगा था न, मुझे यकीन है कि तुम्हें वो बहुत पसंद आया।”
ये कहकर मैंने मैं अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाला और एक जोरदार धक्के के साथ जड़ तक अन्दर घुसेड दिया। वो कराह कर बोली, “आःह्ह्ह कक्कक-क्या? उफ्फ्फ्फ़ नहीं- हीं मैं...आआह्ह”
मैंने मैं उसकी गांड पर कसकर तमाचा मारा, “ओह रेनू, जब तक मैं तुम्हें चोद रहा था, तुम उसके लंड को घूर रही थी।”
उसने कराहते हुए कहा, “मैं...वोआआह्ह्ह्ह तोह्ह्ह्ह मैंने मैं कभीईईइ.. ओह!... उफ्फ्फ्फ़ इतना बड़ाआआअ नहीं देखा।”
मैंने मैं नीचे झुक कर उसे चूमा, और धक्को की रफ़्तार बढ़ाते हुए कहा, “हाँ तो तुम्हे पसंद है न।”
वह इस बार जोर से कराह रही थी, और मैंने मैं फिर से लंड बाहर करके एक जोरदार धक्का मारा और बोला, “बस एक बार सच सच बता दो न!”
वह कराह उठी, “उफ्फ्फ्फ़ ओह!” और दाँत पीसते हुए बोली, “इस्स्स्सस्स्स ठीक हैआःह्ह! मुझे उसका लंड पसंद हईई... उफ्फ्फ्फ़ ओह! कितना बबबबबड़ा था... और
मोटाहाह्ह, उफफ्फ्फ्फ़ और जोरर्रर्र से करूऊओ!”
उसके ये कहते ही हम दोनों एक लगभग एक साथ की झड गए और मैं उसके ऊपर गिर पड़ा। उसके बाद ये अक्सर होने लगा की मैं चुदाई के दौरान राजेश का जिक्र कर देता और ये हम दोनों में एक उत्तेजना भर देता था।