28-07-2022, 05:25 PM
उसका लंड मेरी चूत के सुराख में फंस गया और एक ही झटके में मेरी गीली चूत के अंदर आधा घुस गया तो मेरे मुँह से “आआआहहहहह” और “ईईईईईई” की सिसकरी निकल गयी और मेरी आँखें फटी रह गयी। उसने अब अपना लंड आधा ही अंदर बाहर करना शुरू कर दिया तो मुझे बहुत मज़ा आने लगा। मैं अपनी गाँड उठा-उठा के उसका लंड अपनी चूत के अंदर लेने की कोशिश करने लगी। सुहैल ने अब अपना पूरा लंड सुपाड़े तक चूत से बाहर निकाल के एक ज़ोरदार झटका मारा तो मेरे मुँह से “आआआआईईईईईईईई” की आवाज़ निकली और मैं उससे ज़ोर से लिपट गयी। मेरा अंदर का दम अंदर और बाहर का बाहर रह गया। चूत पूरी स्ट्रैच हो चुकी थी मेरी चूत में एक दफ़ा फिर से जलन होने लगी।
सुहैल थोड़ी देर तक तो ऐसे ही लंड को चूत के अंदर घुसाये हुए लेटा रहा और मुझे फ्रेंच किस करने लगा। दोनों एक दूसरे की ज़ुबान चूस रहे थे। थोड़ी ही देर में चूत के अंदर की जलन खतम हो गयी और मुझे उसका लोहे जैसा सख्त लंड अपनी चूत के अंदर बेहद अच्छा लगने लगा। सुहैल ने चुदाई शुरू कर दी। वो पूरा लंड बाहर तक निकाल-निकाल के चोद रहा था। उसके पैर पीछे को थे और बेड की लकड़ी की पट्टी से टिके हुए थे और मेरी टाँगें उसके चूतड़ पे कैंची की तरह से जकड़ी हुई थी। वो लकड़ी की बैक का सहारा लेकर अपने लंड को पूरा चूत में से बाहर निकाल-निकाल के ज़ोर-ज़ोर से चुदाई कर रहा था। जैसे ही उसका लंड चूत से बाहर निकलता तो मुझे लगाता जैसे मेरी चूत एक दम से खाली हो गयी हो और फिर जब लंड चूत के अंदर घुस जाता तो लगाता जैसे चूत पूरी तरह से भर गयी है और वो मुझे चोदता ही चला गया। वो ज़ोर-ज़ोर से चोद रहा था और उसकी दोनों कोहनियाँ मेरे जिस्म के दोनों तरफ़ थीं। उसके पैर पीछे और मेरे पैर उसकी गाँड पे क्रॉस थे। मुझे अब बहुत ही मज़ा आने लगा था उसकी चुदाई से।
उसके हर धक्के से मेरी चूचियाँ आगे पीछे होने लगी तो उसने अपने मुँह से उनको चूसना शुरू कर दिया। मस्ती से मैं पागल हो गयी थी। मेरी छोटी सी टाइट चूत के अंदर उसका इतना बड़ा लोहे का डंडा बहुत मज़ा दे रहा था। चुदाई में बहुत ही मज़ा आ रहा था। मेरी चूत में से जूस लगातार निकल रहा था और फच-फच की आवाज़ें कमरे में गूँजने लगी। मुझे ये चुदाई का म्युज़िक बहुत मस्त लग रहा था। मैं अपनी गाँड उठा-उठा के उस से चुदवा रही थी जैसे म्युज़िक की ताल से ताल मिला रही होऊँ।
सुहैल के धक्के तेज़ हो चुके थे और मुझे भी लग रहा था कि मेरी चूत के अंदर कोई तूफान उठ रहा हो। मैं उससे लिपट गयी। सुहैल इतनी ज़ोर-ज़ोर से चोद रहा था कि मुझे ऐसे महसूस हो रहा था जैसे उसका लंबा मोटा लोहे जैसा सख्त लंड मेरी चूत को फाड़ के मेरे पेट तक घुस चुका है। वो दीवानों की तरह से चोद रहा था। मैं उससे ज़ोर से लिपट गयी और दोनों की साँसें तेज़ी से चल रही थी। मुझे लगा कि मेरी चूत में जो तूफान मचा हुआ था वो अब बाहर निकलने को मचल रहा हो और ठीक उसी वक्त सुहैल के लंड में से मलाई के फुव्वारे छूटने लगे - एक दो तीन चार पाँच - उफफफफ मुझे तो मस्ती में पता ही नहीं चला के कितनी मलाई निकल रही है जबकि उसकी पहली मलाई के फुव्वारे ही से मेरी चूत में से तूफानी लावा निकलने लगा। मैं उससे ज़ोर से लिपट गयी थी। उसके धक्के अब धीमे होने लगे और वो अपना लंड मेरी चूत के अंदर ही छोड़ के मेरे ऊपर गिर गया। मेरी चुदी हुई चूत हम दोनों की मलाई से भर चुकी थी पर अभी तक बाहर नहीं निकली थी क्योंकि चूत के सुराख पे उसके लंड का टाइट ढक्कन लगा हुआ था। दोनों ऐसे हे गहरी-गहरी साँसें लेते रहे और मेरी ग्रिप भी अब लूज़ हो गयी थी। उसका लंड अभी भी मेरी चूत के अंदर ही था। ऐसे लग रहा था जैसे चूत के अंदर ही फूल के और मोटा हो रहा हो। अंधेरे कमरे में हमारी तेज़ी से चलती हुई साँसें सुनायी दे रही थी। मेरी आँखें बंद थी और सारे जिस्म में एक अजीब सी सनसनाहट हो रही थी। मेरे दिल और दिमाग का टोटल ब्लैक-आऊट हो गया था। शायद एक दो या तीन मिनट के लिये मैं सो गयी थी या पता नहीं मस्ती में बेहोश हो गयी थी।
मुझे थोड़ा सा होश आया तो महसूस हुआ कि सुहैल मेरे ऊपर पलट के आ चुका है और उसके लंड में से टपकती हुई हम दोनों की मिक्स मलाई के ड्रॉप्स मेरे लिप्स पे गिर रहे हैं। शायद वो अपना लंड चूत में से बाहर निकालते ही पलट के सिक्स्टी-नाईन पोज़िशन में आ गया था। मेरी टाँगें मुड़ी हुई थी और सुहैल मेरी चूत को चाटना शुरू कर चुका था। मेरे बंद लिप्स पे जब मलाई गिरी तो खुद-ब-खुद मेरी ज़ुबान बाहर निकली और मैंने मलाई को टेस्ट किया और फिर जैसे खुद-ब-खुद ही मेरा मुँह खुल गया और मैं सुहैल के आधे अकड़े हुए लंड को चूसने लगी। दोनों की मिक्स मलाई उसके लंड पे लगी हुई थी और मैं चाट रही थी और वो मलाई को मेरी चूत में से चाट रहा था। इस तरह से मैंने उसके लंड को साफ़ किया और उसने मेरी चूत को साफ़ किया।
अब फिर से सुहैल मेरे बगल में आ के लेट गया। वो मेरी पीठ के पीछे था और मेरी पीठ से उसका सीना लग रहा था। मैं ऐसे करवट से लेटी थी और वो मेरे पीछे मुझसे लिपटा हुआ करवट से लेटा था। मेरे चूतड़ पे उसका लंड महसूस हो रहा था। पर अभी तक मेरा दिमाग ठिकाने नहीं आया था और अभी तक कमरा मेरे आँखों के सामने घूम रहा था और मैं पूरी तरह से संतुष्ट हो चुकी थी।
उसका लंड मेरे चूतड़ से लग रहा था और उसने मेरे बगल से हाथ डाल के मेरी चूचियों को मसलना शुरू कर दिया। मेरे निप्पल बहुत सेंसटिव हो चुके थे और उसका हाथ लगने से कड़क हो गये थे। मैं अपनी टाँगों को मोड़ कर के ऐसे लेटी थी कि मेरे घुटने मेरी चूचियों के करीब थे और सुहैल मेरे पीछे से लंड को चूत पे टच कर रहा था और आहिस्ता-आहिस्ता से धक्के मार मार के पीछे से ही लेटे लेटे लंड के सिर को चूत के सुराख में घुसाने की कोशिश कर रहा था।
उसके लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के सुराख में लगते ही चूत में जैसे फिर से जान आने लगी और वो गीली होना शुरू हो गयी। वो मेरी चूचियों को मसल रहा था और धक्के मार मार के लंड के सुपाड़े को पीछे से ही चूत के अंदर घुसा रहा था। थोड़ी ही कोशिश के बाद मेरी चूत में उसका लंड आधा और फिर पूरा अंदर घुसने लगा। उसका लंड पूरी तरह से अकड़ गया था और फिर से एक दम से लोहे जैसा सख्त हो गया था।
सुहैल थोड़ी देर तक तो ऐसे ही लंड को चूत के अंदर घुसाये हुए लेटा रहा और मुझे फ्रेंच किस करने लगा। दोनों एक दूसरे की ज़ुबान चूस रहे थे। थोड़ी ही देर में चूत के अंदर की जलन खतम हो गयी और मुझे उसका लोहे जैसा सख्त लंड अपनी चूत के अंदर बेहद अच्छा लगने लगा। सुहैल ने चुदाई शुरू कर दी। वो पूरा लंड बाहर तक निकाल-निकाल के चोद रहा था। उसके पैर पीछे को थे और बेड की लकड़ी की पट्टी से टिके हुए थे और मेरी टाँगें उसके चूतड़ पे कैंची की तरह से जकड़ी हुई थी। वो लकड़ी की बैक का सहारा लेकर अपने लंड को पूरा चूत में से बाहर निकाल-निकाल के ज़ोर-ज़ोर से चुदाई कर रहा था। जैसे ही उसका लंड चूत से बाहर निकलता तो मुझे लगाता जैसे मेरी चूत एक दम से खाली हो गयी हो और फिर जब लंड चूत के अंदर घुस जाता तो लगाता जैसे चूत पूरी तरह से भर गयी है और वो मुझे चोदता ही चला गया। वो ज़ोर-ज़ोर से चोद रहा था और उसकी दोनों कोहनियाँ मेरे जिस्म के दोनों तरफ़ थीं। उसके पैर पीछे और मेरे पैर उसकी गाँड पे क्रॉस थे। मुझे अब बहुत ही मज़ा आने लगा था उसकी चुदाई से।
उसके हर धक्के से मेरी चूचियाँ आगे पीछे होने लगी तो उसने अपने मुँह से उनको चूसना शुरू कर दिया। मस्ती से मैं पागल हो गयी थी। मेरी छोटी सी टाइट चूत के अंदर उसका इतना बड़ा लोहे का डंडा बहुत मज़ा दे रहा था। चुदाई में बहुत ही मज़ा आ रहा था। मेरी चूत में से जूस लगातार निकल रहा था और फच-फच की आवाज़ें कमरे में गूँजने लगी। मुझे ये चुदाई का म्युज़िक बहुत मस्त लग रहा था। मैं अपनी गाँड उठा-उठा के उस से चुदवा रही थी जैसे म्युज़िक की ताल से ताल मिला रही होऊँ।
सुहैल के धक्के तेज़ हो चुके थे और मुझे भी लग रहा था कि मेरी चूत के अंदर कोई तूफान उठ रहा हो। मैं उससे लिपट गयी। सुहैल इतनी ज़ोर-ज़ोर से चोद रहा था कि मुझे ऐसे महसूस हो रहा था जैसे उसका लंबा मोटा लोहे जैसा सख्त लंड मेरी चूत को फाड़ के मेरे पेट तक घुस चुका है। वो दीवानों की तरह से चोद रहा था। मैं उससे ज़ोर से लिपट गयी और दोनों की साँसें तेज़ी से चल रही थी। मुझे लगा कि मेरी चूत में जो तूफान मचा हुआ था वो अब बाहर निकलने को मचल रहा हो और ठीक उसी वक्त सुहैल के लंड में से मलाई के फुव्वारे छूटने लगे - एक दो तीन चार पाँच - उफफफफ मुझे तो मस्ती में पता ही नहीं चला के कितनी मलाई निकल रही है जबकि उसकी पहली मलाई के फुव्वारे ही से मेरी चूत में से तूफानी लावा निकलने लगा। मैं उससे ज़ोर से लिपट गयी थी। उसके धक्के अब धीमे होने लगे और वो अपना लंड मेरी चूत के अंदर ही छोड़ के मेरे ऊपर गिर गया। मेरी चुदी हुई चूत हम दोनों की मलाई से भर चुकी थी पर अभी तक बाहर नहीं निकली थी क्योंकि चूत के सुराख पे उसके लंड का टाइट ढक्कन लगा हुआ था। दोनों ऐसे हे गहरी-गहरी साँसें लेते रहे और मेरी ग्रिप भी अब लूज़ हो गयी थी। उसका लंड अभी भी मेरी चूत के अंदर ही था। ऐसे लग रहा था जैसे चूत के अंदर ही फूल के और मोटा हो रहा हो। अंधेरे कमरे में हमारी तेज़ी से चलती हुई साँसें सुनायी दे रही थी। मेरी आँखें बंद थी और सारे जिस्म में एक अजीब सी सनसनाहट हो रही थी। मेरे दिल और दिमाग का टोटल ब्लैक-आऊट हो गया था। शायद एक दो या तीन मिनट के लिये मैं सो गयी थी या पता नहीं मस्ती में बेहोश हो गयी थी।
मुझे थोड़ा सा होश आया तो महसूस हुआ कि सुहैल मेरे ऊपर पलट के आ चुका है और उसके लंड में से टपकती हुई हम दोनों की मिक्स मलाई के ड्रॉप्स मेरे लिप्स पे गिर रहे हैं। शायद वो अपना लंड चूत में से बाहर निकालते ही पलट के सिक्स्टी-नाईन पोज़िशन में आ गया था। मेरी टाँगें मुड़ी हुई थी और सुहैल मेरी चूत को चाटना शुरू कर चुका था। मेरे बंद लिप्स पे जब मलाई गिरी तो खुद-ब-खुद मेरी ज़ुबान बाहर निकली और मैंने मलाई को टेस्ट किया और फिर जैसे खुद-ब-खुद ही मेरा मुँह खुल गया और मैं सुहैल के आधे अकड़े हुए लंड को चूसने लगी। दोनों की मिक्स मलाई उसके लंड पे लगी हुई थी और मैं चाट रही थी और वो मलाई को मेरी चूत में से चाट रहा था। इस तरह से मैंने उसके लंड को साफ़ किया और उसने मेरी चूत को साफ़ किया।
अब फिर से सुहैल मेरे बगल में आ के लेट गया। वो मेरी पीठ के पीछे था और मेरी पीठ से उसका सीना लग रहा था। मैं ऐसे करवट से लेटी थी और वो मेरे पीछे मुझसे लिपटा हुआ करवट से लेटा था। मेरे चूतड़ पे उसका लंड महसूस हो रहा था। पर अभी तक मेरा दिमाग ठिकाने नहीं आया था और अभी तक कमरा मेरे आँखों के सामने घूम रहा था और मैं पूरी तरह से संतुष्ट हो चुकी थी।
उसका लंड मेरे चूतड़ से लग रहा था और उसने मेरे बगल से हाथ डाल के मेरी चूचियों को मसलना शुरू कर दिया। मेरे निप्पल बहुत सेंसटिव हो चुके थे और उसका हाथ लगने से कड़क हो गये थे। मैं अपनी टाँगों को मोड़ कर के ऐसे लेटी थी कि मेरे घुटने मेरी चूचियों के करीब थे और सुहैल मेरे पीछे से लंड को चूत पे टच कर रहा था और आहिस्ता-आहिस्ता से धक्के मार मार के पीछे से ही लेटे लेटे लंड के सिर को चूत के सुराख में घुसाने की कोशिश कर रहा था।
उसके लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के सुराख में लगते ही चूत में जैसे फिर से जान आने लगी और वो गीली होना शुरू हो गयी। वो मेरी चूचियों को मसल रहा था और धक्के मार मार के लंड के सुपाड़े को पीछे से ही चूत के अंदर घुसा रहा था। थोड़ी ही कोशिश के बाद मेरी चूत में उसका लंड आधा और फिर पूरा अंदर घुसने लगा। उसका लंड पूरी तरह से अकड़ गया था और फिर से एक दम से लोहे जैसा सख्त हो गया था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.