28-07-2022, 05:11 PM
मैं उसे लेकर उसके फ्लैट की तरफ़ चल दिया.
कुछ ही देर में हम पहुंच गए और मैं उसे बाहर छोड़कर जाने लगा.
तभी वो चाय के लिए जिद करने लगी.
मैं भी उसकी बात मानते हुए चला गया.
कमरे के अन्दर पहुंचकर सविता कपड़े बदलने के लिए चली गई और मैं बाहर सोफे पर बैठ गया.
कुछ समय में सविता आई और उसने आज फिर से वही गाउन पहन रखा था, जो उसने उस दिन पहना हुआ था.
उसने आज भी ब्रा नहीं पहनी हुई थी.
थोड़ी देर में उसने चाय बनाई और चाय पीते हुए हम दोनों में बातें होने लगीं.
इसी बीच मैंने उसे बताया कि इस समय मैं अकेला रह रहा हूँ क्योंकि बीवी बाहर गई हुई है.
इतना सुनकर सविता बोली- मैं जल्दी से खाना बनाती हूं, आप खाना यहीं खाइए.
मैंने मना किया लेकिन वो जिद करने लगी.
मैं खाना खाने के लिए तैयार हो गया.
सविता मेरे बारे में जानती थी कि मैं रात के खाने से पहले व्हिस्की पीता हूँ, इसलिए उसने कहा कि अगर आप पीना चाहते हैं, तो पास में ही वाइन शॉप है, आप अपने लिए व्हिस्की ला सकते हैं.
मुझे कोई दिक्कत नहीं थी क्योंकि मैं पहले भी उसके पति के साथ सविता के सामने पी चुका था.
मैं व्हिस्की लेने के लिए चला गया और सविता खाना बनाने चली गई.
जब मैं वापस आया तो सविता ने लगभग खाना तैयार कर लिया था.
उसने मेरे लिए प्लेट में काजू लाकर रख दिए.
मैं बाहर कमरे में बैठकर धीरे धीरे व्हिस्की पीने लगा और सविता किचन में खाना लगाने लगी.
तभी मेरे मन में एक ख्याल आया कि क्यों न आज सविता से अपने दिल की बात कह दी जाए.
ज्यादा से ज्यादा क्या होगा, वो मना ही तो कर देगी और क्या.
कुछ समय बाद सविता आई और मेरे सामने वाले सोफे पर बैठ गई.
वो बार बार छींक रही थी शायद बारिश में भीगने के कारण उसे सर्दी लग गई थी.
मुझे अब नशा आ गया था और मैंने मजाक में उससे कहा- तुम्हें सर्दी लग गई है, एक पैग लगा लो … सब सही हो जाएगा.
उसने कहा- अगर ऐसा है, तो आप ही मेरे लिए बना दीजिए.
मैंने उसे ग्लास लाने के लिए कहा और वो ग्लास ले आई.
मैंने उसे एक पैग बनाकर दिया और उसने उसे पी लिया.
शायद उसने पहले भी कभी शराब पी थी इसलिए बिना किसी दिक्कत के वो पी गई.
इसी तरह उसने एक एक करके तीन पैग लगा लिए.
अब वो भी नशे में मस्त हो गई थी.
हम दोनों अब खाना खाने के लिए डायनिंग टेबल पर चल दिए.
बातें करते हुए हम दोनों खाना खाते जा रहे थे.
फिर बात करते हुए उसके पति अमित के बारे में बातें होने लगीं और वो काफी उदास होकर रोने लगी.
किसी तरह हम दोनों ने खाना खत्म किया और मैं उसे समझाते हुए सोफे पर आ गया.
मैं उसके बिल्कुल बगल में बैठा हुआ था और उसे समझाते हुए पुरानी बातें भूलने के लिए कह रहा था.
उसी मौके का फायदा उठाते हुए मैंने उससे कहा- सविता, मैं तुम्हें पसंद करने लगा हूं. अगर तुम्हें बुरा न लगे तो क्या हम दोनों एक गहरे दोस्त बन सकते हैं?
पता नहीं कैसे, पर उसने बिल्कुल भी गुस्सा नहीं किया और अपना सर मेरे कंधे पर रखते हुए बोली- मैंने तो आपको अपना गहरा दोस्त आज से ही मान लिया है, बस हमारा रिश्ता दुनिया के सामने नहीं आना चाहिए.
मैंने कहा- बिल्कुल भी नहीं आएगा, कभी किसी को पता नहीं चलेगा.
बस क्या था अब तो मेरे दिल की ख्वाहिश पूरी हो गई थी.
सविता जैसी कम उम्र की खूबसूरत और हसीन लड़की मेरे पास थी.
मैंने उसी समय सोच लिया कि आज की रात यहीं गुजारनी है.
मैंने अपना एक हाथ उसके गले से डाला और उसली खुली हुई गोरी बांहों को सहलाने लगा.
सविता भी अपना एक हाथ मेरे हाथ पर रख दिया.
अब मेरी दिल की इच्छा .................................... पूरी होने वाली थी.
जिस लड़की को याद करके मैंने कई बार मुठ मारी थी, आज मैं उसे सच में चोदने वाला था.
कुछ ही देर में हम पहुंच गए और मैं उसे बाहर छोड़कर जाने लगा.
तभी वो चाय के लिए जिद करने लगी.
मैं भी उसकी बात मानते हुए चला गया.
कमरे के अन्दर पहुंचकर सविता कपड़े बदलने के लिए चली गई और मैं बाहर सोफे पर बैठ गया.
कुछ समय में सविता आई और उसने आज फिर से वही गाउन पहन रखा था, जो उसने उस दिन पहना हुआ था.
उसने आज भी ब्रा नहीं पहनी हुई थी.
थोड़ी देर में उसने चाय बनाई और चाय पीते हुए हम दोनों में बातें होने लगीं.
इसी बीच मैंने उसे बताया कि इस समय मैं अकेला रह रहा हूँ क्योंकि बीवी बाहर गई हुई है.
इतना सुनकर सविता बोली- मैं जल्दी से खाना बनाती हूं, आप खाना यहीं खाइए.
मैंने मना किया लेकिन वो जिद करने लगी.
मैं खाना खाने के लिए तैयार हो गया.
सविता मेरे बारे में जानती थी कि मैं रात के खाने से पहले व्हिस्की पीता हूँ, इसलिए उसने कहा कि अगर आप पीना चाहते हैं, तो पास में ही वाइन शॉप है, आप अपने लिए व्हिस्की ला सकते हैं.
मुझे कोई दिक्कत नहीं थी क्योंकि मैं पहले भी उसके पति के साथ सविता के सामने पी चुका था.
मैं व्हिस्की लेने के लिए चला गया और सविता खाना बनाने चली गई.
जब मैं वापस आया तो सविता ने लगभग खाना तैयार कर लिया था.
उसने मेरे लिए प्लेट में काजू लाकर रख दिए.
मैं बाहर कमरे में बैठकर धीरे धीरे व्हिस्की पीने लगा और सविता किचन में खाना लगाने लगी.
तभी मेरे मन में एक ख्याल आया कि क्यों न आज सविता से अपने दिल की बात कह दी जाए.
ज्यादा से ज्यादा क्या होगा, वो मना ही तो कर देगी और क्या.
कुछ समय बाद सविता आई और मेरे सामने वाले सोफे पर बैठ गई.
वो बार बार छींक रही थी शायद बारिश में भीगने के कारण उसे सर्दी लग गई थी.
मुझे अब नशा आ गया था और मैंने मजाक में उससे कहा- तुम्हें सर्दी लग गई है, एक पैग लगा लो … सब सही हो जाएगा.
उसने कहा- अगर ऐसा है, तो आप ही मेरे लिए बना दीजिए.
मैंने उसे ग्लास लाने के लिए कहा और वो ग्लास ले आई.
मैंने उसे एक पैग बनाकर दिया और उसने उसे पी लिया.
शायद उसने पहले भी कभी शराब पी थी इसलिए बिना किसी दिक्कत के वो पी गई.
इसी तरह उसने एक एक करके तीन पैग लगा लिए.
अब वो भी नशे में मस्त हो गई थी.
हम दोनों अब खाना खाने के लिए डायनिंग टेबल पर चल दिए.
बातें करते हुए हम दोनों खाना खाते जा रहे थे.
फिर बात करते हुए उसके पति अमित के बारे में बातें होने लगीं और वो काफी उदास होकर रोने लगी.
किसी तरह हम दोनों ने खाना खत्म किया और मैं उसे समझाते हुए सोफे पर आ गया.
मैं उसके बिल्कुल बगल में बैठा हुआ था और उसे समझाते हुए पुरानी बातें भूलने के लिए कह रहा था.
उसी मौके का फायदा उठाते हुए मैंने उससे कहा- सविता, मैं तुम्हें पसंद करने लगा हूं. अगर तुम्हें बुरा न लगे तो क्या हम दोनों एक गहरे दोस्त बन सकते हैं?
पता नहीं कैसे, पर उसने बिल्कुल भी गुस्सा नहीं किया और अपना सर मेरे कंधे पर रखते हुए बोली- मैंने तो आपको अपना गहरा दोस्त आज से ही मान लिया है, बस हमारा रिश्ता दुनिया के सामने नहीं आना चाहिए.
मैंने कहा- बिल्कुल भी नहीं आएगा, कभी किसी को पता नहीं चलेगा.
बस क्या था अब तो मेरे दिल की ख्वाहिश पूरी हो गई थी.
सविता जैसी कम उम्र की खूबसूरत और हसीन लड़की मेरे पास थी.
मैंने उसी समय सोच लिया कि आज की रात यहीं गुजारनी है.
मैंने अपना एक हाथ उसके गले से डाला और उसली खुली हुई गोरी बांहों को सहलाने लगा.
सविता भी अपना एक हाथ मेरे हाथ पर रख दिया.
अब मेरी दिल की इच्छा .................................... पूरी होने वाली थी.
जिस लड़की को याद करके मैंने कई बार मुठ मारी थी, आज मैं उसे सच में चोदने वाला था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
