28-07-2022, 04:39 PM
दीपिका कहने लगी- लेकिन मेरे हस्बैंड का तो उसके हस्बैंड के लण्ड से भी छोटा है. अब मैं उसे दिखाऊंगी कि ये होता है लण्ड!
मैंने कहा- इसे डिलीट कर दो, नहीं तो कोई मुसीबत हो जाएगी.
वो बोली- कुछ नहीं होता, इस पर कौन सा आपका नाम लिखा हुआ है? आप चिंता मत करो.
मैं दीपिका की दिलेरी का कायल हो गया.
फिर दीपिका ने मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी.
दीपिका ने अचानक लन्ड को बाहर निकाला और बोली- पता है राज, मेरे हस्बैंड के लाख कहने पर भी मैंने आज तक उनका मुँह में नहीं लिया है, मुझे अच्छा ही नहीं लगता. लेकिन आज तो दिल अपने आप ही चूसने का कर रहा है.
वो कहने लगी- आपकी तो गोलियाँ भी बहुत सख्त और टाइट हैं, मेरे हस्बैंड की तो लण्ड से भी नीचे लटकती हैं, मुझे उनका बिल्कुल अच्छा नहीं लगता.
मैंने दीपिका से कहा- चिंता मत करो, अब मैं तुम्हारी सभी इच्छायें पूरी कर दूँगा.
दीपिका कहने लगी- राज, आज से मुझे घोष से कोई शिकायत नहीं रही क्योंकि उसकी वजह से तुमसे मुलाकात हुई वरना मैं वहीं कोलकाता के आसपास ही घूमती रहती.
दीपिका बहुत ही खुश नजर आ रही थी.
वो बोली- आपके लण्ड का साइज देखकर एक पैग और पीने का दिल कर रहा है.
मैंने कहा- पहले ही दिन तुम्हारे लिए ज्यादा हो जाएगी.
वो बोली- प्लीज, एक बना लाओ ना राज … पिछली का तो अब असर खत्म हो गया है. मैं आज की रात को रंगीन बना कर जिंदगी भर याद रखना चाहती हूँ.
उसके कहने पर फिर मैं नँगा ही बालकॉनी में गया और ड्रिंक का सारा सामान अंदर ले आया. मैंने ड्रिंक बनाया और अपने लण्ड को ड्रिंक के गिलास में डुबोकर लण्ड को दीपिका की ओर कर दिया. उसने झट से लंड को मुँह में भरकर चूस लिया.
उसी वक्त दीपिका ने ड्रिंक में अपनी उंगलियां भिगोकर अपनी चूचियों पर लगा दीं. दीपिका का इशारा समझते ही मैंने दोनों चूचियों को बारी बारी से मुंह में भर कर चूसा और दोनों को ही चूस चूस कर साफ कर दिया.
फिर मैंने एक ड्रिंक का सिप लिया तो दीपिका ने भी एक बड़ा घूँट ले लिया और मुझे अपने ऊपर खींचने लगी. मैं बेड पर आकर दीपिका के पांव की ओर गया और उसके घुटनों को फैला कर मोड़ दिया.
दीपिका की सुन्दर चूत मेरे सामने थी. बाहर पहरेदार की तरह खड़े दोनों भगोष्ठों को मैंने अपने एक हाथ की उंगली और अंगूठे से अलग किया तो अंदर दो कोमल पत्तियों के बीच पानी से चिकना हुआ गुलाबी छेद सामने दिखाई दिया.
मैंने अपनी एक उंगली दीपिका के गुलाबी छेद में डाली तो दीपिका के पूरे शरीर में सिरहन दौड़ गई. उसने मेरी उंगली डले हाथ को अपनी जांघों में भींच लिया. मैंने दीपिका के घुटनों को फिर खोला और उसके सुलगते हुए गुलाबी छेद पर फिर से अपने होंठ रख दिये.
होंठ रख कर मैंने चूत के ऊपर छोटे अँगूर के समान तने क्लिटोरिस को जीभ से कुरेद दिया.
दीपिका की सिसकारी निकल गई और वो ज़ोर से बोली- आईईई … आआह … राज … ये ना करो, ओह्ह … मेरी जान … तुम तो जान ही निकाल दो मेरी … उफ्फ … ओह्हह … आह्ह … बहुत मजा आ रहा है, मैं फिर झड़ जाउंगी यार।
दीपिका के सीत्कार सुन कर मेरा मन कर रहा था कि उसकी गुलाबी चूत में अपना तपता हुआ लंड झटके से घुसा कर उसे इतनी चोदूं ..इतनी चोदूं कि वो बेहोश हो जाये. मगर एक तरह से उसको तड़पाने में मुझे मजा भी उतना ही आ रहा था.
वो सिसकारते हुए मिन्नतें करने लगी- ओह्ह … राज … प्लीज … मुझे अपने हथियार से चोदो न, प्लीज … डार्लिंग। मैं तुम्हारे लंड का स्वाद चखने के लिए मरी जा रही हूं.
मैंने कहा- इसे डिलीट कर दो, नहीं तो कोई मुसीबत हो जाएगी.
वो बोली- कुछ नहीं होता, इस पर कौन सा आपका नाम लिखा हुआ है? आप चिंता मत करो.
मैं दीपिका की दिलेरी का कायल हो गया.
फिर दीपिका ने मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी.
दीपिका ने अचानक लन्ड को बाहर निकाला और बोली- पता है राज, मेरे हस्बैंड के लाख कहने पर भी मैंने आज तक उनका मुँह में नहीं लिया है, मुझे अच्छा ही नहीं लगता. लेकिन आज तो दिल अपने आप ही चूसने का कर रहा है.
वो कहने लगी- आपकी तो गोलियाँ भी बहुत सख्त और टाइट हैं, मेरे हस्बैंड की तो लण्ड से भी नीचे लटकती हैं, मुझे उनका बिल्कुल अच्छा नहीं लगता.
मैंने दीपिका से कहा- चिंता मत करो, अब मैं तुम्हारी सभी इच्छायें पूरी कर दूँगा.
दीपिका कहने लगी- राज, आज से मुझे घोष से कोई शिकायत नहीं रही क्योंकि उसकी वजह से तुमसे मुलाकात हुई वरना मैं वहीं कोलकाता के आसपास ही घूमती रहती.
दीपिका बहुत ही खुश नजर आ रही थी.
वो बोली- आपके लण्ड का साइज देखकर एक पैग और पीने का दिल कर रहा है.
मैंने कहा- पहले ही दिन तुम्हारे लिए ज्यादा हो जाएगी.
वो बोली- प्लीज, एक बना लाओ ना राज … पिछली का तो अब असर खत्म हो गया है. मैं आज की रात को रंगीन बना कर जिंदगी भर याद रखना चाहती हूँ.
उसके कहने पर फिर मैं नँगा ही बालकॉनी में गया और ड्रिंक का सारा सामान अंदर ले आया. मैंने ड्रिंक बनाया और अपने लण्ड को ड्रिंक के गिलास में डुबोकर लण्ड को दीपिका की ओर कर दिया. उसने झट से लंड को मुँह में भरकर चूस लिया.
उसी वक्त दीपिका ने ड्रिंक में अपनी उंगलियां भिगोकर अपनी चूचियों पर लगा दीं. दीपिका का इशारा समझते ही मैंने दोनों चूचियों को बारी बारी से मुंह में भर कर चूसा और दोनों को ही चूस चूस कर साफ कर दिया.
फिर मैंने एक ड्रिंक का सिप लिया तो दीपिका ने भी एक बड़ा घूँट ले लिया और मुझे अपने ऊपर खींचने लगी. मैं बेड पर आकर दीपिका के पांव की ओर गया और उसके घुटनों को फैला कर मोड़ दिया.
दीपिका की सुन्दर चूत मेरे सामने थी. बाहर पहरेदार की तरह खड़े दोनों भगोष्ठों को मैंने अपने एक हाथ की उंगली और अंगूठे से अलग किया तो अंदर दो कोमल पत्तियों के बीच पानी से चिकना हुआ गुलाबी छेद सामने दिखाई दिया.
मैंने अपनी एक उंगली दीपिका के गुलाबी छेद में डाली तो दीपिका के पूरे शरीर में सिरहन दौड़ गई. उसने मेरी उंगली डले हाथ को अपनी जांघों में भींच लिया. मैंने दीपिका के घुटनों को फिर खोला और उसके सुलगते हुए गुलाबी छेद पर फिर से अपने होंठ रख दिये.
होंठ रख कर मैंने चूत के ऊपर छोटे अँगूर के समान तने क्लिटोरिस को जीभ से कुरेद दिया.
दीपिका की सिसकारी निकल गई और वो ज़ोर से बोली- आईईई … आआह … राज … ये ना करो, ओह्ह … मेरी जान … तुम तो जान ही निकाल दो मेरी … उफ्फ … ओह्हह … आह्ह … बहुत मजा आ रहा है, मैं फिर झड़ जाउंगी यार।
दीपिका के सीत्कार सुन कर मेरा मन कर रहा था कि उसकी गुलाबी चूत में अपना तपता हुआ लंड झटके से घुसा कर उसे इतनी चोदूं ..इतनी चोदूं कि वो बेहोश हो जाये. मगर एक तरह से उसको तड़पाने में मुझे मजा भी उतना ही आ रहा था.
वो सिसकारते हुए मिन्नतें करने लगी- ओह्ह … राज … प्लीज … मुझे अपने हथियार से चोदो न, प्लीज … डार्लिंग। मैं तुम्हारे लंड का स्वाद चखने के लिए मरी जा रही हूं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.