28-07-2022, 04:36 PM
मैंने भी दीपिका का साथ देते हुए उसे जगह जगह से चूमना और उसकी बड़ी बड़ी सुडौल चूचियों को मसलना और पीना चालू रखा. मैंने अपने हाथों को दीपिका के दोनों कोमल और चिकने नितम्बों पर रखा और उन्हें अपनी ओर खींचते हुए नोंचने लगा.
धीरे धीरे मैंने दीपिका की स्कर्ट को पूरा ऊपर उठा कर उसके चूतड़ों को नंगा कर दिया. साथ ही मैं उसके टॉप को भी उसके गले तक उठा कर उसकी भारी और कठोर चूचियों का मर्दन करता रहा.
मौसम हल्की बारिश का हो रहा था और मेरे म्यूजिक सिस्टम से हल्की आवाज़ में प्यार भरे गाने चल रहे थे. हम दोनों उस बालकॉनी में लव बर्ड्स की तरह एक दूसरे की काम वासना को शाँत करने में लगे हुए थे.
बालकॉनी काफी बड़ी थी और दोनों तरफ आगे तक दीवारें होने के कारण पूरी प्राइवेसी थी. दीपिका की हरकतें तेजी पकड़ने लगीं और उसने अपनी चूत को मेरे ऊपर की तरफ खड़े उल्टे लौड़े पर जोर जोर से रगड़ना शुरू कर दिया.
मैं भी दीपिका की एक चूची को अपने मुँह में भर कर, एक हाथ से उसकी कमर को संभालकर और दूसरे हाथ से उसके चूतड़ों को पकड़ कर अपनी ओर खींचता रहा.
दीपिका की स्पीड बढ़ गई और उसके नथुने तेज तेज चलने लगे. आनन्द के चलते दीपिका के मुँह से- आ.आ… आ … ईईई … ओह … ओह्हो … जैसी लगभग चिल्लाने की आवाजें निकलने लगीं और उसने पूरे जोर से अपनी चूत को रगड़ते हुए अपना पानी छोड़ दिया और मेरे गले में दोनों बाहें डाल कर निढाल हो गई.
लगभग आधा घण्टे तक चले इस ओरल सेक्स के बाद दीपिका उठी और बोली- मुझे बाथरूम जाना है.
उठ कर दीपिका अपने बेडरूम में अंदर चली गई. मैं भी अपने बाथरूम में चल गया.
बाथरूम में मैंने देखा कि मेरा लोअर मेरी जाँघों की जगह पर दीपिका की चूत के रगड़ने और डिस्चार्ज से बिल्कुल गीला हो गया था.
दीपिका बाथरूम जाने के बाद बाहर बालकॉनी में नहीं आई और अन्दर बेड पर ही पसर गई.
मैं उसके पास अंदर गया और पूछा- दीपिका, खाना कब खाना है?
दीपिका नशे में बोली- ऊऊं … राज … पहले मुझे प्यार तो करो, खाना बाद में खाएंगे.
इतना कह कर उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने ऊपर खींच लिया.
कमरे में पूरी लाइट थी. मैंने अपनी टीशर्ट निकाल दी और मेरी चौड़ी बालों वाली छाती नंगी हो गयी और मैं दीपिका के साथ अपनी नंगी छाती निकाल कर बेड पर लेट गया.
फिर उसके ऊपर झुक कर उसके होंठों को चूसने लगा. दीपिका ने अपनी बांहें मेरे गले में डाल दीं और अपने मुँह को मेरी छाती के बालों से रगड़ने लगी. मैंने दीपिका के टॉप को ऊपर उठा कर उसके गले में से निकाल दिया.
टॉप निकलते ही उसकी दोनों बड़ी बड़ी 38 साइज की सुडौल चूचियाँ बाहर निकल कर फड़फड़ाने लगीं. दोनों चूचियों की शेप, रंग और उन पर खड़े छोटे छोटे गुलाबी निप्पल कयामत ढहा रहे थे. मैंने उसके दोनों चूचों को अपने हाथों से पकड़ा और जोर जोर से मसलने लगा.
दीपिका के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं. मैं एक एक करके दोनों चूचियों को अपने मुँह में भर कर चूसने लगा और एक हाथ से उसके पेट और जांघों को मसलता रहा.
वो रह रहकर अपनी चूत को झटके देती रही और मेरी कमर को नोंचती खसोटती रही. मैंने चूचियाँ छोड़कर दीपिका की स्कर्ट में हाथ डाला और पकड़ कर स्कर्ट को नीचे खींच दिया.
दीपिका ने स्कर्ट निकालने के लिए अपने चूतड़ों को थोड़ा ऊपर किया तो मैंने उसे उसकी टाँगों में से निकाल कर पास रखी चेयर पर फेंक दिया. स्कर्ट निकलने के बाद दीपिका मेरे सामने सेक्स की देवी की तरह पूरी नंगी पड़ी थी.
गज़ब की सुन्दर जाँघें, केले के तने के समान सेक्सी पट और टाँगें, उभरा हुआ सुंदर, चिकना, गोरा और मुलायम चूत के ऊपर का हिस्सा जिस पर कोई बाल नहीं थे.
मैंने दीपिका को उसके माथे से लेकर पांव के पंजे तक निहारा तो लगा कि भगवान ने उसके हर अंग को स्पेशल तरीके से बनाया था. दीपिका ने अपनी आंखें बंद कर रखी थीं और बार बार अपनी जांघों को भींच कर अपनी चूत की कामवासना को शांत करने की कोशिश कर रही थी.
अब मैंने दीपिका के सुंदर शरीर को ऊपर से चूमना शुरू किया. उसका माथा, आंखें, होंठ, ठुड्डी, गर्दन, चूचियों से होते हुए उसका सुंदर पेट, पेट के अंदर धंसी हुई सुंदर गोल नाभि को मैंने प्यार से चूम लिया. जिस भी अंग पर मेरे गर्म होंठ लगते तभी दीपिका के मुंह से गर्म आह्ह निकल जाती थी.
धीरे धीरे मैंने दीपिका की स्कर्ट को पूरा ऊपर उठा कर उसके चूतड़ों को नंगा कर दिया. साथ ही मैं उसके टॉप को भी उसके गले तक उठा कर उसकी भारी और कठोर चूचियों का मर्दन करता रहा.
मौसम हल्की बारिश का हो रहा था और मेरे म्यूजिक सिस्टम से हल्की आवाज़ में प्यार भरे गाने चल रहे थे. हम दोनों उस बालकॉनी में लव बर्ड्स की तरह एक दूसरे की काम वासना को शाँत करने में लगे हुए थे.
बालकॉनी काफी बड़ी थी और दोनों तरफ आगे तक दीवारें होने के कारण पूरी प्राइवेसी थी. दीपिका की हरकतें तेजी पकड़ने लगीं और उसने अपनी चूत को मेरे ऊपर की तरफ खड़े उल्टे लौड़े पर जोर जोर से रगड़ना शुरू कर दिया.
मैं भी दीपिका की एक चूची को अपने मुँह में भर कर, एक हाथ से उसकी कमर को संभालकर और दूसरे हाथ से उसके चूतड़ों को पकड़ कर अपनी ओर खींचता रहा.
दीपिका की स्पीड बढ़ गई और उसके नथुने तेज तेज चलने लगे. आनन्द के चलते दीपिका के मुँह से- आ.आ… आ … ईईई … ओह … ओह्हो … जैसी लगभग चिल्लाने की आवाजें निकलने लगीं और उसने पूरे जोर से अपनी चूत को रगड़ते हुए अपना पानी छोड़ दिया और मेरे गले में दोनों बाहें डाल कर निढाल हो गई.
लगभग आधा घण्टे तक चले इस ओरल सेक्स के बाद दीपिका उठी और बोली- मुझे बाथरूम जाना है.
उठ कर दीपिका अपने बेडरूम में अंदर चली गई. मैं भी अपने बाथरूम में चल गया.
बाथरूम में मैंने देखा कि मेरा लोअर मेरी जाँघों की जगह पर दीपिका की चूत के रगड़ने और डिस्चार्ज से बिल्कुल गीला हो गया था.
दीपिका बाथरूम जाने के बाद बाहर बालकॉनी में नहीं आई और अन्दर बेड पर ही पसर गई.
मैं उसके पास अंदर गया और पूछा- दीपिका, खाना कब खाना है?
दीपिका नशे में बोली- ऊऊं … राज … पहले मुझे प्यार तो करो, खाना बाद में खाएंगे.
इतना कह कर उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने ऊपर खींच लिया.
कमरे में पूरी लाइट थी. मैंने अपनी टीशर्ट निकाल दी और मेरी चौड़ी बालों वाली छाती नंगी हो गयी और मैं दीपिका के साथ अपनी नंगी छाती निकाल कर बेड पर लेट गया.
फिर उसके ऊपर झुक कर उसके होंठों को चूसने लगा. दीपिका ने अपनी बांहें मेरे गले में डाल दीं और अपने मुँह को मेरी छाती के बालों से रगड़ने लगी. मैंने दीपिका के टॉप को ऊपर उठा कर उसके गले में से निकाल दिया.
टॉप निकलते ही उसकी दोनों बड़ी बड़ी 38 साइज की सुडौल चूचियाँ बाहर निकल कर फड़फड़ाने लगीं. दोनों चूचियों की शेप, रंग और उन पर खड़े छोटे छोटे गुलाबी निप्पल कयामत ढहा रहे थे. मैंने उसके दोनों चूचों को अपने हाथों से पकड़ा और जोर जोर से मसलने लगा.
दीपिका के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं. मैं एक एक करके दोनों चूचियों को अपने मुँह में भर कर चूसने लगा और एक हाथ से उसके पेट और जांघों को मसलता रहा.
वो रह रहकर अपनी चूत को झटके देती रही और मेरी कमर को नोंचती खसोटती रही. मैंने चूचियाँ छोड़कर दीपिका की स्कर्ट में हाथ डाला और पकड़ कर स्कर्ट को नीचे खींच दिया.
दीपिका ने स्कर्ट निकालने के लिए अपने चूतड़ों को थोड़ा ऊपर किया तो मैंने उसे उसकी टाँगों में से निकाल कर पास रखी चेयर पर फेंक दिया. स्कर्ट निकलने के बाद दीपिका मेरे सामने सेक्स की देवी की तरह पूरी नंगी पड़ी थी.
गज़ब की सुन्दर जाँघें, केले के तने के समान सेक्सी पट और टाँगें, उभरा हुआ सुंदर, चिकना, गोरा और मुलायम चूत के ऊपर का हिस्सा जिस पर कोई बाल नहीं थे.
मैंने दीपिका को उसके माथे से लेकर पांव के पंजे तक निहारा तो लगा कि भगवान ने उसके हर अंग को स्पेशल तरीके से बनाया था. दीपिका ने अपनी आंखें बंद कर रखी थीं और बार बार अपनी जांघों को भींच कर अपनी चूत की कामवासना को शांत करने की कोशिश कर रही थी.
अब मैंने दीपिका के सुंदर शरीर को ऊपर से चूमना शुरू किया. उसका माथा, आंखें, होंठ, ठुड्डी, गर्दन, चूचियों से होते हुए उसका सुंदर पेट, पेट के अंदर धंसी हुई सुंदर गोल नाभि को मैंने प्यार से चूम लिया. जिस भी अंग पर मेरे गर्म होंठ लगते तभी दीपिका के मुंह से गर्म आह्ह निकल जाती थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.