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Incest भैया का पूरा साथ
#4
रोहित बात ये है कि तुम हो ही इतनी सुंदर की कोई भी तुम्हारे पीछे पड़ जाए, मन तो मेरा भी करता है कि तुम्हारे जैसी मेरी भी गर्लफ्रेंड हो, पर डरता हूँ की तुम बुरा ना मान जाओ। आज रोहित के मुहं से ये बातें सुनकर मैं थोड़ो हैरान हो गयी कि क्या ये वही रोहित है, जो मुझसे बात करने मे हमेशा कतराता था और आज इतना कुछ बिना किसी झिझक के बोल रहा है। खैर मैं भी यही चाह रही थी। मुझे आज मेरी मंज़िल दिखाई दे रही थी और मैने कहा रोहित सच तो यह है कि में भी तुम्हे बहुत प्यार करती हूँ। ये सुनकर रोहित कहा की सच और मेरे हाथों को अपने हाथों मे लेकर सहलाने लगा और मैने जान बूझकर अपना सर रख के आखें बंद करके खो गयी, जब मैं थोड़ो सम्भल कर सर को ऊपर किया तो मेरी नज़र घड़ी पर गयी। अब आठ बज गये थे और मैने घर पर फोन भी नहीं किया था। मैं हड़बड़ाकर उठी और रोहित से कहा रोहित अब मैं चलती हूँ, आज मुझे बहुत देर हो रही है। अभी रोहित भी गरम होने लगा था उसने मेरा हाथ पकड़ते हुए कहा प्लीज मत जाओ ना, तुम्हे घर ही तो जाना है। आज कोई बहाना कर दो। मैने हाथ छुडाते हुए कहा रोहित इतना उतावलापन भी ठीक नहीं है। मैं कहीं भागी थोड़ी ही जा रही हूँ, हम कल फिर मिलेंगे कहते हुए मैं सीढ़ियों से नीचे आ गयी और मुड़कर देखा तो पाया रोहित मुझे ऊपर से देख रहा था और मैं घर पर आ गयी।

घर पर भी मैं ठीक से खाना नहीं खा पाई। मुझे पर एक खुमारी सी छा गयी थी। रात को 10 बजे रोहित का फोन आया और मैं बेडरूम मे थी। इसलिए मम्मी पापा को पता नहीं चला और हम बातें करते रहे और फोन पर ही प्लान बनाया की कल हम ऑफीस ना जाकर रोहित के रूम मे मिलेंगे। फिर में सुबह का इंतज़ार करने लगी। मेरे मन मे हज़ारों अरमान मचलने लगे और मुझे आने वाले कल के बारे मे सोचकर नींद नहीं आ रही थी। खैर मैने जैसे तैसे आँखों ही आँखों में रात काटी और सुबह नहाकर अपनी नयी साड़ी जो की पिंक कलर की थी, मेंचिंग ब्लाउस के साथ पहनी। अंदर ब्लैक कलर की पेंट और ब्लैक कलर की ब्रा पहन रखी थी और साथ ही मेचिंग पिंक कलर की लिपस्टिक लगाई और फिर रोहित के घर की और चल दी जैसे जैसे मैं रोहित के घर की और बढ़ रही थी मेरी सांसे तेज़ी से चलने लगी और में रोहित के घर पहुँची। रोहित का घर खुला हुआ था दरवाजे को धकेल कर मैं अंदर गई तो देखा कि रोहित घरेलू कपड़े मे पलंग पर लेटा हुआ था। मेरे अंदर आते ही उसने जाकर दरवाजा बंद कर दिया और मुड़कर मेरी ओर देखने लगा। तो मैने कहा क्या देख रहे हो उसने कहा आज तो तुम स्वर्ग की अप्सरा लग रही हो।
उसकी बात सुनकर मेरी गर्दन शरम से झुक गयी उसने मुझे हाथों से पकड़कर पलंग पर बिठा दिया और खुद भी पलंग पर बैठ गया और मेरे चेहरे को अपने हाथों से थामकर अपनी ओर किया और मेरे होंठो पर अपने होंठ रख दिये, मैं जानबूझ कर दिखावे के लिए नाटक करने लगी। रोहित ने होठों को किस करते हुए मुझे अपने से सटा लिया जिससे मेरे बूब्स रोहित की छाती से दबने लगे और मेरे मुहं से सिसकारियाँ निकालने लगी, मैं अह्ह्ह की आवाज करने लगी जिससे रोहित की और हिम्मत बढ़ी और उसने अपना एक हाथ मेरे बाई तरफ के बूब्स पर रख दिया और मेरे बूब्स पर अपने हाथ फेरने लगा जिससे मेरी सांसे और तेज़ी से चलने लगी और रोहित ने अपना हाथ मेरे बूब्स पर जमा दिये और ज़ोर -ज़ोर से दबाने लगा जिससे मुझे दर्द होने लगा। लेकिन साथ ही साथ मैं परम सुख की अनुभूति कर रही थी और मेरे मुहं से जोरो की सिसकारियाँ निकालने लगी और मेरे मुहं से अह्ह्ह्ह की आवाजे निकालने लगी। रोहित भी मेरी मादक आवाज सुनकर गरम हो गया था।

अब उसने मेरी साड़ी का पल्लू कंधे से नीचे गिरा दिया और किस करना छोड़ कर मेरी साड़ी को खींचने लगा जल्दी ही उसे कामयाबी मिल गयी और मैं पेटीकोट और ब्लाउस में आ गयी। अब उसने बिना समय गँवाए अब वो मेरे ब्लाउस के बटन खोलने लगा और कुछ समय मे मेरे ब्लाउस को मेरे शरीर से अलग कर दिया और मैं रोहित के सामने सिर्फ़ ब्लैक ब्रा मे थी। जिसमे से मेरे बूब्स ब्रा को फाड़कर बाहर आने को तड़प रहे थे। उधर रोहित बिना रुके मेरे पेटीकोट की ओर बढ़ा और देखते ही देखते मैं ब्लैक पेंटी और ब्रा मे थी।

अब रोहित ने ब्रा के ऊपर से ही मेरे बूब्स को दबाने लगा और में मस्त होकर अह्ह्हन्ह्ह्ह करने लगी और रोहित ने अपने हाथ मेरी पीठ के पीछे लाकर ब्रा का हुक भी खोल दिया और ब्रा को मेरे शरीर से निकालकर मेरी गुलाबी निप्पल को देखने लगा और फिर मेरे दोनो बूब्स को अपने दोनो हाथों से दबाने लगा और अपने मुहं से एक बूब्स को चूसने लगा मुझे गुदगुदी और उत्तेजना से अब मेरे रोंगटे खड़े हो गये और मैं आँखें बंद करके अपने दातों से अपने होठों को चबाने लगी थी।

मैं अब पूरी तरह से गरम हो चुकी थी। फिर रोहित ने अपना एक हाथ मेरी पेंटी मे डाल कर मेरी चूत मे अपनी उंगली डालने लगा। जैसे ही रोहित ने अपनी उंगली मेरी चूत मे डाली मैं चीख उठी और कुछ ही देर बाद मैं भी अपना चुतड उठाकर उसका जवाब देने लगी। अब मेरा सब्र का बाँध टूटने लगा था और इसी बेसब्री मे मेरा हाथ रोहित के लोवर के ऊपर उसके लंड पर चला गया। रोहित भी शायद मेरी बेताबी को समझ गया और मुझे छोड़कर वो अपने कपड़े उतारने लगा।

मैने पहली बार किसी मर्द को पूरा नंगा देखा था। मुझे रोहित का लंड उस समय बहुत प्यारा लग रहा था और में एकटक उसके लंड को देख रही थी। इसी बीच रोहित ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया मैं भी उसके लंड को पकड़कर उसकी टोपी को आगे पीछे करने लगी और रोहित ने मुझे किस करना शुरू किया वो इस बार मेरे सारे चेहरे पर किस करने लगा और अचानक ही उसने मुझे किस करना छोड़ कर मुझसे बोला यार स्नेहा तुम इतनी सुंदर हो लेकिन तुम्हारे होंठों के नीचे ये मस्सा चाँद पर ग्रहण जैसा लग रहा है, प्लीज़ इसे हटा देना। इस पर मैने कहा की अगर तुम्हे पसंद नहीं तो मैं इसे कल ही काट दूँगी। मेरी इस बात को सुनकर रोहित ने मुझे जोश मे आकर गले से लगा लिया और मुझे उठा कर पलंग पर लिटा दिया और और मेरी चूंचियों को मसलने लगा।

मैं अपने जोश के चरम पर थी मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था। इसी जोश मे मैने रोहित से कहा की रोहित प्लीज़ तुम्हे जो करना है बाद मे कर लेना अभी मुझसे सहा नहीं जा रहा है प्लीज़ मेरी प्यास बुझाओ मेरी बात सुनकर रोहित ने मेरे पैरों को फैलाया और अपना लंड मेरी चूत मे रगड़ने लगा अब मेरी चूत मे तेज़ खुज़ली होने लगी और मैं रोहित के लंड अंदर डालने का इंतज़ार करने लगी और मैने आखें बंद कर ली अचानक ही मुझे मेरी चूत के पास कुछ गरम-गरम सा लगने लगा। मैने आखें खोल के देखा तो रोहित मेरी चूत पर अपना लंड रगड़ के ठंडा हो गया था शायद वो झड़ चुका था और मेरी बगल मे आखें बंद करके लेटा हुआ था।

तभी मैं गुस्से से तिलमिला उठी और बिना कुछ बोले बाथरूम मे जाकर अपनी चूत के पास से रोहित के वीर्य को साफ किया। वापस आकर जल्दी से मैने कपड़े पहनने लगी तब रोहित ने आखें खोलकर बोला, सॉरी ज़्यादा जोश की वजह से में जल्दी ही झड़ गया था। लेकिन तुम बिलकुल भी चिंता मत करो। मुझे कुछ देर का समय दो में तुम्हे दोबारा लंड दूँगा। मैने अपने कपड़े पहन लिए थे। मैने रोहित को गुस्से मे कहा कि तुम क्या मेरी प्यास बुझाओगे तुम तो दो मिनट में ही झड़ गये थे।

लेकिन तुम आज के बाद मुझसे किसी भी प्रकार का संबंध रखने की कोशिश मत करना वरना इसका अंजाम तुम सोंच भी नहीं सकते। रोहित ने पलंग से उठते हुए कहा स्नेहा मेरी बात तो सुनो पर मैंने उसकी एक भी बात बिना सुने ही उसके घर से बाहर आ गयी रोड पर चलते हुए अपने आप झल्लाई हुई सी जाने लगी। फिर मैने सोचा अभी घर जाना ठीक नहीं होगा वैसे भी मैं ऑफीस के नाम से घर से निकली थी, इससे अच्छा है की में भाभी के पास जाती हूँ।

इसी बहाने मेरा मन भी बहाल जाएगा, ये सोचकर मैं भैया के घर की ओर चल पड़ी …
फिर मैं ऑटो से भैया के घर पहुँची। डोर बेल बजाई तो दरवाज़ा भैया ने खोला। भैया बानियान और लूँगी मे थे। मुझे देखका बोले अरे स्नेहा तुम अभी तो तुम्हारा ऑफीस टाइम है, यहाँ कैसे तो मैने कहा आज भाभी से मिलने की इच्छा हुई तो आ गयी और ऑफीस से छुट्टी ले ली लेकिन आप आज घर पर कैसे? मैने पूछा जवाब मे भैया ने बताया की तुम्हारी भाभी कई दिनों से मायके जाने की ज़िद कर रही थी, तो मैं उसे अभी-अभी छोड़कर आ रहा हूँ
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: भैया का पूरा साथ - by neerathemall - 26-07-2022, 04:27 PM



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