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Incest भैया का पूरा साथ
#3
ये सभी बातें मुझे भी अच्छी लगती हैं क्योंकि कौन लड़की अपनी तारीफ़ नहीं सुनना चाहती है। मेरे पापा पोस्ट ऑफीस मे बाबू हैं और मेरी माँ हाउसवाईफ। मैं अपने घर मे शुरू से ही बहुत प्यार से पली बढ़ी हूँ। मेरे भैया और भाभी भी मुझे बहुत चाहते है और भैया खर्चे के लिए आए दिन पैसे देते रहते हैं। भाभी भी अक्सर घर आती है और मेरे लिए कुछ ना कुछ लाती ही हैं मेरी भी भाभी से खूब बनती है मेरी भाभी काफ़ी मजाकिया है।

मैं उनके साथ घंटों बैठ के बातें किया करती हूँ खाली समय पर मैं भैया भाभी के घर जाकर भाभी से गप्पे लड़ाती हूँ। मैं घर पर खुले माहौल मे रही हूँ। घर पर मेरी सारी जायज़ या नाजायज़ माँगों को माना जाता है। मेरी जिंदगी मे मुझे सब कुछ मिला, मोबाइल कॉम्पनी मे जॉब करने का आइडिया भी मेरा था। शुरू मे जब मैने ये बात बताई तो माँ ने कहा बेटी तेरी शादी की उम्र निकलती जा रही है, तेरे लिए कई रिश्ते आ रहे है, एक तो तू शादी नहीं करना चाहती और अब तू जॉब करना चाहती है। तुझे किसी चीज़ की कमी तो है नहीं, फिर तू जॉब क्यों करना चाहती है? तो मैने उनकी बात पर ज़्यादा ध्यान ना देते हुए अपनी मर्ज़ी से जॉब कर लिया। फिर माँ भी चुप हो गयी पर सच्चाई तो यही थी की मेरे साथ की लगभग सभी लड़कियों की शादी हो चुकी थी और जो भी लड़कियाँ बची थी उनकी शादी की बात चल रही थी ये बात कहीं ना कहीं मेरे मन मे भी थी। पर ये बात भी सच थी कि मैं अभी शादी नहीं करना चाहती थी। मैं तो जिन्दगी को और बहुत अच्छे से जीना चाहती थी।

लेकिन मेरे जज्बात अंदर से अंगड़ाई लेने लगे थे और में मन ही मन में वो सब करके देखना चाहती थी, जो एक औरत और एक मर्द आपस में करते हैं। मेरे ऑफीस मे हम तीन लड़कियाँ थी और बाकी सभी लड़के मेरे साथ की एक लड़की रीना का अफेयर हमारे बॉस से था। वैसे तो हमारे बॉस की नज़र मुझ पर थी, पर वो मुझे कभी भी ऐसे नहीं लगे। जिस पर मैं अपना दिल हार जाऊं इसलिए मैं उन्हे हमेशा उन्हे अनदेखा करती थी। मेरे साथ काम करने वाली लड़की रीना ने भी मुझे बॉस के मेरे बारे मे उनकी गंदी सोंच को बताया, पर मैने कभी भी ध्यान नहीं दिया, पर रीना ने मुझे अपने और बॉस के बीच में हुए सेक्स के बारे मे कई बार बताया था। जिसे सुनकर मेरे अंदर भी एक हलचल सी मच गयी और मेरे मन मे भी सेक्स करने की बहुत इच्छा हुई। हमारे ऑफीस मे मेरे साथ एक लड़का और काम करता था उसका नाम था रोहित वो कम बोलता था और देखने मे भी सीधा साधा था। ऑफीस के लड़को मे वो ही एक ऐसा था जो कि मुझसे कम बात करता था। हाँ लेकिन एक बार उसने मुझे चाय के लिए बाहर होटल मे जाने को ज़रूर बोला था।

लेकिन मुझे अच्छे से याद है कि उस वक़्त भी उसके पसीने छूट गये थे। मुझे उसकी मासूमियत भा गयी थी और मैं उसे मन ही मन चाहने लगी थी और अब जबकि रीना की बातों से मेरा मन मचल गया था। उस समय मेरे मन मे सिर्फ़ रोहित ही घूम रहा था मेरा मन रोहित के साथ में सेक्स करने को उतावला हो गया और मैं रोहित को पाटने के तरीके सोचने लगी और शाम को जब ऑफीस की छुट्टी हुई तो मैं रोहित के पास गयी और उससे बात करने लगी।

मैं : हाय रोहित क्या काम खत्म कर लिया तुमने?

रोहित- हाँ काम पूरा हो गया अब में घर पर ही निकल रहा था।

मैं : तो तुम घर जाकर टाइम पास के लिए क्या करते हो ?(यहाँ मैं आपको एक बात बता दूं की रोहित का परिवार दूसरे शहर का रहने वाला है और रोहित यहाँ पर एक किराए के कमरे मे अकेला रहता है।

रोहित : कुछ नहीं घूम फिर के या किताबें पढ़कर जैसे तैसे टाईम कट जाता है।

मैं : क्या कभी तुम्हे घर वालों की याद तो आती होगी?

रोहित : हाँ आती तो है पर क्या करूँ काम के कारण साल मे दो या तीन बार ही जा पता हूँ।

मैं : अरे लगता है मैने तुम्हे घरवालों की याद दिलाकर तुम्हे दुखी कर दिया है मुझे माफ़ कर दो प्लीज।

रोहित : ठीक है लेकिन ऐसी कोई बात नहीं है।

मैं : अच्छा चलो आज हम कहीं चाय पीने चलते है, मेरी ये बात सुनकर रोहित मेरी ओर एकटक देखने लगा, जैसे की मेरा चेहरा पढ़ रहा हो, उसका मेरी ओर इस तरह देखना अजीब सा लगा और मैने उसे टोकटे हुए कहा क्या हुआ, मेरी बात सुनकर वो हड़बड़ाते हुए बोला हाँ कुछ नहीं, फिर मैने कहा तो चाय पर चलें उसने मुस्कुराते हुए हाँ मे सर हिला दिया और बोला कहाँ चलें उसकी बात सुनकर मैं सोच मे पड़ गई फिर कुछ देर सोचने के बाद कहा क्यों ना तुम्हारे घर पर चलें एक बार फिर हैरत से मुझे देखने लगा मैं आज तक उसके घर नहीं गयी थी।
कुछ देर तक मुझे देखने के बाद उसने बिना कुछ बोले अपना बैग उठाया और हम ऑफीस से बाहर आ गये, मेरे इस तरह से खुलने के कारण ही शायद अब वो पूरे रास्ते मुझसे खुल के बातें करने लगा और हम इधर-उधर की बातें करते हुए उसके रूम पहुँचे उसका कमरा शहर के बीच मे दूसरी मंज़िल पर था। शहर के बीच मे होने के बावजूद भी मुझे उसके कमरे मे सन्नाटा सा लगा। रूम मे बैठ कर हम बातें करते रहे, फिर मैंने कहा चाय पीने तो आ गये, पर क्या तुम्हे चाय बनानी आती है।

तो जवाब मे उसने मुस्कुरा कर कहा तुम पी कर बताना और उठ कर चाय बनाने चला गया और इस बीच मैं सोचने लगी कि अब आगे क्या करूँ। रोहित चाय बनाकर ले आया और उसने एक कप मेरे हाथ मे थमा दिया और हम चाय पीने लगे फिर मैने कुछ सोचकर कहा तुम बहुत प्यारे हो रोहित, वरना आज कल के लड़के तो बस लड़कियों के पीछे ही लगे रहते हैं, तुम्हारी ये मासूमियत मुझे भा गयी है, ये सुनकर रोहित खुश होता हुआ बोला अगर तुम बुरा ना मानो तो में भी एक बात कहूँ तुम बुरा तो नहीं मानोगी।

मैने कहा अरे तुम तो बोलो ना मैं कभी बुरा नहीं मानूँगी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: भैया का पूरा साथ - by neerathemall - 26-07-2022, 04:25 PM



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