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Incest मुंबई की बारिश और .......................
#6
रश्मि को अपने बेटे की आवाज़ में एक अजब सी प्यास एक अजब सा दर्द महसूस होता है. वो अपने बेटे को कड़ाई से घूरती है. वो दरवाजे से टेक लगाए नीचे देख रहा था. वो उसे उसके पति राजिंदर की याद दिलाता था. असलियत में वो बिल्कुल वैसा ही था जैसा उसका बाप 18 वर्ष की आयु में था. अपने बेटे में अपने पति का अक्श देखकर उसके मन में एक बिजली सी कौंध जाती है. उसे वो समय याद आता है जब राजिंदर उसे पूरी रात चोदा करता था और उसे उत्तेजना और आनद के मारे सिसकियाँ भरने पर मजबूर कर देता था. वो अपने जिस्म में एक दर्द की लहर सी दौड़ती हुई महसूस करती है जो उसकी चूत तक पहुँचकर उसमे आग लगा रही थी.

रश्मि धीरे से अपने बेटे की आँखो में देखते हुए अपने हाथ अपने मम्मों और जाँघो पर से हटा लेती है और गीले और बदन से चिपके वस्त्रो में क़ैद अपनी लगभग नंगी काया अपने बेटे की आँखो के सामने कर देती है.

"क्या तुम्हे...क्या तुम्हे अच्छा लग रहा है जो तुम इस समय देख रहे हो?" वो धीरे से फुसफुसाती है

"माँ...आप..आप अंदाज़ा भी नही लगा सकती!" रवि धीरे से उखड़ते स्वर में जवाब देता है.

"क्या तुमने कभी चोरी छिपे मुझे देखने की भी कोशिश की है?"

"हां ...कुछ एक बार मेने झाँका है" रवि बुदबुदाता है. "केयी बार जब आप नीचे बैठती हैं और आपकी स्कर्ट उपर हो जाती है तो मेने आपकी कच्छि देखी है और कयि बार आपके सूट्स में जब आप नीचे झुकती हैं तो आपके गले में झाँका है"

इसके अलावा और क्या क्या किया है तुमने? बताओ मुझे?" कुतूहलवश और उत्तेजना में वो अपने बेटे के हर राज़ को जानना चाहती थी.

"उम्म...मम्मी... वो मेने आपकी कच्छि के साथ कयि बार.......उनको सूँघा है ...और उनमे अपना....अपना माल गिराया है. में यह सब जान बूझकर नही करता बस अपने आप हो जाता है, मुझसे कंट्रोल नही होता" रवि की आवाज़ अभी भी लड़खड़ा रही थी.

अपने बेटे की मुख से पाप स्वीकृति ने रश्मि के बदन की मादक तपिश को और भी भड़का दिया था. यह जानकर कि उसका सगा बेटा उसे चोदने के सपने देखता है और अपनी सग़ी माँ की कच्छि अपने लौडे पर लपेटकर मूठ मारता है और उसमे अपना माल गिराता है, उसे अपना जिस्म उत्तेजना से काँपता हुआ महसूस हो रहा था. उसके निपल बढ़ कर कड़े हो गये थे और गीली ब्रा में से उभरे हुए नज़र आ रहे थे. उसके मन पर जैसे किसी और का अधिकार हो गया हो और जो भी वो इस वक़्त कर रही थी उसमे उसे कोई शर्म या संकोच महसूस नही हो रहा था. उसे इसमे कुछ भी ग़लत नही लग रहा था बल्कि उसे एसा लग रहा था जैसे वो अपने जिस्म की एक मूल माँग पूरी कर रही थी जिसका कि उसे पूर्णतया अधिकार था.

"अब तक सिर्फ़ काल्पनिक मज़ा ही लिए हो?" रश्मि अपने बेटे की आँखो की गहराई में देखते हुए बोलती है उसके चेहरे पर एक कुटिल और रहस्यमयी मुस्कान थी जैसे उसके दिमाग़ में कोई साज़िश चल रही थी. और तब उसने वो लफ़्ज कहे जिनकी रवि ने कभी अपने सपने में भी आशा नही की थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: मुंबई की बारिश और ....................... - by neerathemall - 26-07-2022, 04:19 PM



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