25-07-2022, 03:05 PM
मुझे समझते देर न लगी कि ये संगीता का मल है। मेरा लंड पूरा संगीता के मल से सन गया। संगीता भी समझ गई कि मेरा लंड उसकी गांड में उसके मल से लिपट गया है, इसलिए वह खड़ी नहीं हुई।
मैंने उसके कान में कहा- लंड गांड से बाहर मत निकालना, बिस्तर खराब हो जाएगा। वो कराहती हुई बोली- अमन जाग जाएगी … इसे बाहर निकालो प्लीज़। मैंने कहा- पर तुम्हारे मल से बिस्तर खराब हो गया तो? वह शर्मा कर मुँह छिपाने लगी।
मुझे लगा कहीं अमन ना जाग जाए इसलिए मैं संगीता को यूं ही अपनी गोद में उठाकर बाथरूम में ले गया और लंड को बाहर निकाल दिया। मेरा लंड मल से सना हुआ था। जिसे देख संगीता ने मुझे गुस्से से देखा और शर्माती हुई बोली- भाई तुम बहुत गंदे हो।
मैं हंस दिया और कहा- तुम पहले भी अपनी गांड में लंड ले चुकी हो क्या? उसने कुछ नहीं कहा, बस मुस्कुरा दी। मैं खड़ा खड़ा उसे देखता रहा। मैंने फिर से पूछा तो उसने कहा- तुम पहले हो, मैं उधर कुछ डालती रहती थी।
फिर वो मल साफ़ करके और अपने कपड़े ठीक करके अपने बिस्तर में जाकर लेट गई। मैंने भी अपना लौड़ा साफ किया और बिस्तर में जाकर लेट गया। उसने मेरी तरफ पीठ कर रखी थी तो मैंने उससे चिपक कर पूछा- क्या हुआ? वो कुछ नहीं बोली। मैं सीधा लेट गया।
उसके बाद उसने मुझसे कम ही बात की। तब भी जितने दिन मेरे माता पिता नहीं आए, वो मेरे पास ही सोती और मैं रोज उसकी गांड में लंड डाल कर सोता। वो कुछ नहीं बोलती। बस रात को गांड में लंड डलवा लेती और चिपकी रहती।
सारे दिन में मुझसे ज्यादा बात नहीं करती मगर रोज रात को मेरी तरफ गांड करके सो जाती। मैं उसकी गांड में लंड डाल देता और सुबह तक लंड गांड में रखता। वो भी रात को लंड गांड से बाहर नहीं निकलने देती, पर चूत को हाथ तक नहीं लगाने देती। फिर वो दोनों अपने घर चली गईं।
मैंने उसके कान में कहा- लंड गांड से बाहर मत निकालना, बिस्तर खराब हो जाएगा। वो कराहती हुई बोली- अमन जाग जाएगी … इसे बाहर निकालो प्लीज़। मैंने कहा- पर तुम्हारे मल से बिस्तर खराब हो गया तो? वह शर्मा कर मुँह छिपाने लगी।
मुझे लगा कहीं अमन ना जाग जाए इसलिए मैं संगीता को यूं ही अपनी गोद में उठाकर बाथरूम में ले गया और लंड को बाहर निकाल दिया। मेरा लंड मल से सना हुआ था। जिसे देख संगीता ने मुझे गुस्से से देखा और शर्माती हुई बोली- भाई तुम बहुत गंदे हो।
मैं हंस दिया और कहा- तुम पहले भी अपनी गांड में लंड ले चुकी हो क्या? उसने कुछ नहीं कहा, बस मुस्कुरा दी। मैं खड़ा खड़ा उसे देखता रहा। मैंने फिर से पूछा तो उसने कहा- तुम पहले हो, मैं उधर कुछ डालती रहती थी।
फिर वो मल साफ़ करके और अपने कपड़े ठीक करके अपने बिस्तर में जाकर लेट गई। मैंने भी अपना लौड़ा साफ किया और बिस्तर में जाकर लेट गया। उसने मेरी तरफ पीठ कर रखी थी तो मैंने उससे चिपक कर पूछा- क्या हुआ? वो कुछ नहीं बोली। मैं सीधा लेट गया।
उसके बाद उसने मुझसे कम ही बात की। तब भी जितने दिन मेरे माता पिता नहीं आए, वो मेरे पास ही सोती और मैं रोज उसकी गांड में लंड डाल कर सोता। वो कुछ नहीं बोलती। बस रात को गांड में लंड डलवा लेती और चिपकी रहती।
सारे दिन में मुझसे ज्यादा बात नहीं करती मगर रोज रात को मेरी तरफ गांड करके सो जाती। मैं उसकी गांड में लंड डाल देता और सुबह तक लंड गांड में रखता। वो भी रात को लंड गांड से बाहर नहीं निकलने देती, पर चूत को हाथ तक नहीं लगाने देती। फिर वो दोनों अपने घर चली गईं।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.