25-07-2022, 03:03 PM
दस पन्द्रह मिनट बाद मैंने अपनी दूसरी उंगली भी अपनी बहन संगीता की गांड में डाल दी। अब मैं उसकी गांड में दोनों उंगलियों को घुमाने लगा। उसकी गांड का छेद काफी खुल गया था शायद उसे हल्का दर्द भी हो रहा था पर कुछ बोली नहीं।
उसका मुँह दूसरी तरफ था इसलिए मैं धीरे से उसकी रजाई में घुस गया पर मैंने अपनी उंगलियां उसकी गांड से नहीं निकालीं। मैं अब तक उसकी गांड में अपनी उंगलियां जड़ तक पेल चुका था। अब मेरा मन अपनी तीसरी उंगली डालने को करने लगा तो मैंने तीसरी उंगली भी डाल दी।
जैसे ही मैंने तीनों उंगलियां एक साथ गांड में घुसाईं तो वो आगे को खिसक गई। पर पलंग की उस साइड दीवार से चिपका था तो वो आगे नहीं हो पाई। मेरी तीनों उंगलियां अन्दर घुस गईं तो गांड का छेद पूरा खुल गया। उसने भी अपनी टांगों को खोल दिया था।
ये देख कर मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और सलवार नीचे कर दी। संगीता कुछ खास हलचल नहीं कर रही थी। मैंने अपनी पैन्ट खोल कर लंड बाहर निकाल लिया, यह सब मैंने एक हाथ से किया। उसकी गांड से उंगलियां बाहर नहीं निकालीं थीं।
अब मैंने जैसे ही गांड से उंगलियां निकालीं, झट से अपना लंड गांड के छेद पर रख दिया। गांड पहले से ही खुली थी तो लंड आराम से घुस गया। लंड की गर्मी पाकर संगीता ने गांड सिकोड़ ली जिससे लंड गांड में फिट हो गया। उसके मुँह से हल्की सी आह निकली और वो लंड खा गई। उसकी गांड की गर्मी से मेरा लंड भी पूरा टाइट हो गया। कुछ देर तक मैं गांड में लंड डाले लेटा रहा और अपनी एक उंगली चूत में घुसा दी।
चुत में उंगली देखकर संगीता ने मुझे रोकना चाहा और मेरा हाथ पकड़ लिया। गांड में लंड घुसवाने की इतनी देर बाद उसने कोई हलचल की थी। मैंने अपना हाथ उसकी चूत से हटा लिया और उसके चेहरे पर फेरने लगा। उसकी आंखों से आंसू निकल रहे थे।
वो धीमी आवाज में आहें भर रही थी। मैंने उसके कान में कहा- तुमको कैसा लग रहा है? जब वो कुछ नहीं बोली तो मैं अपना लंड उसकी गांड में हल्के हल्के से हिलाने लगा।
उसका मुँह दूसरी तरफ था इसलिए मैं धीरे से उसकी रजाई में घुस गया पर मैंने अपनी उंगलियां उसकी गांड से नहीं निकालीं। मैं अब तक उसकी गांड में अपनी उंगलियां जड़ तक पेल चुका था। अब मेरा मन अपनी तीसरी उंगली डालने को करने लगा तो मैंने तीसरी उंगली भी डाल दी।
जैसे ही मैंने तीनों उंगलियां एक साथ गांड में घुसाईं तो वो आगे को खिसक गई। पर पलंग की उस साइड दीवार से चिपका था तो वो आगे नहीं हो पाई। मेरी तीनों उंगलियां अन्दर घुस गईं तो गांड का छेद पूरा खुल गया। उसने भी अपनी टांगों को खोल दिया था।
ये देख कर मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और सलवार नीचे कर दी। संगीता कुछ खास हलचल नहीं कर रही थी। मैंने अपनी पैन्ट खोल कर लंड बाहर निकाल लिया, यह सब मैंने एक हाथ से किया। उसकी गांड से उंगलियां बाहर नहीं निकालीं थीं।
अब मैंने जैसे ही गांड से उंगलियां निकालीं, झट से अपना लंड गांड के छेद पर रख दिया। गांड पहले से ही खुली थी तो लंड आराम से घुस गया। लंड की गर्मी पाकर संगीता ने गांड सिकोड़ ली जिससे लंड गांड में फिट हो गया। उसके मुँह से हल्की सी आह निकली और वो लंड खा गई। उसकी गांड की गर्मी से मेरा लंड भी पूरा टाइट हो गया। कुछ देर तक मैं गांड में लंड डाले लेटा रहा और अपनी एक उंगली चूत में घुसा दी।
चुत में उंगली देखकर संगीता ने मुझे रोकना चाहा और मेरा हाथ पकड़ लिया। गांड में लंड घुसवाने की इतनी देर बाद उसने कोई हलचल की थी। मैंने अपना हाथ उसकी चूत से हटा लिया और उसके चेहरे पर फेरने लगा। उसकी आंखों से आंसू निकल रहे थे।
वो धीमी आवाज में आहें भर रही थी। मैंने उसके कान में कहा- तुमको कैसा लग रहा है? जब वो कुछ नहीं बोली तो मैं अपना लंड उसकी गांड में हल्के हल्के से हिलाने लगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.