21-07-2022, 04:58 PM
सुनीता एक छोटे गांव के गरीब और पुराने विचारोंवाले घर से आयी थी इसलिए उसे चुदाई के बारे में कुछ भी ज्ञान नहीं था. दस दिन के हमारे हनीमून पर मैंने उसे चुदाई के सारे पाठ पढ़ा दिए थे. उस दौरान मेरा लंड चूसना , सिक्स्टीनाइन करना , घोड़ी बनकर चुदाई, मेरा उसकी चूत चाटना, ब्लू फिल्म देखकर उत्तेजित होना और फिर चुदाई करना सुनीता ने सब अच्छे से एन्जॉय करना सीख लिया. शुरू शुरू में उसे मेरे वीर्य की एक बूँद चाटना भी अच्छा नहीं लगता था. जब उसने देखा की मैं उसकी योनि से बहता हुआ कामरस पूरी तरह मजे से चाट लेता हूँ तबसे उसने मेरे लंड के वीर्यको चाटना, पीना और निगल जाना शुरू कर दिया.
उसकी गदरायी हुई मदमस्त जवानी का मैं एकदम कायल हूँ और वो भी मुझे बिस्तर में पूरा मज़ा देती हैं . कुछ पति सिर्फ अपने सुख के बारे में ही सोंचते हैं मगर मैं जोरदार चुदाई के साथ साथ सुनीता की प्यारी और मीठी चुत का दाना चाटकर उसे बहुत आनंद दिया करता हूँ. चुत चाटने के बाद तो वह एकदम मदमस्त हो जाती हैं.
जैसे कपडेमें लपेटकर रसगुल्ले खाने का का मजा नहीं आता वैसे ही कंडोम लगाकर चुदाई करने में कोई मजा नहीं आता. जैसे ही हमारी मंगनी हुई, अगले ही दिन मैंने उसे कॉपर-टी लगवाने को कहा. जब वो शादीकी खरीदारी के लिए मुंबई आयी तभी उसने कॉपर-टी लगवा ली. इसलिए हम एकदम बिनधास्त होकर बिना कंडोम के दिन रात चुदाई कर लेते हैं.
उसकी गदरायी हुई मदमस्त जवानी का मैं एकदम कायल हूँ और वो भी मुझे बिस्तर में पूरा मज़ा देती हैं . कुछ पति सिर्फ अपने सुख के बारे में ही सोंचते हैं मगर मैं जोरदार चुदाई के साथ साथ सुनीता की प्यारी और मीठी चुत का दाना चाटकर उसे बहुत आनंद दिया करता हूँ. चुत चाटने के बाद तो वह एकदम मदमस्त हो जाती हैं.
जैसे कपडेमें लपेटकर रसगुल्ले खाने का का मजा नहीं आता वैसे ही कंडोम लगाकर चुदाई करने में कोई मजा नहीं आता. जैसे ही हमारी मंगनी हुई, अगले ही दिन मैंने उसे कॉपर-टी लगवाने को कहा. जब वो शादीकी खरीदारी के लिए मुंबई आयी तभी उसने कॉपर-टी लगवा ली. इसलिए हम एकदम बिनधास्त होकर बिना कंडोम के दिन रात चुदाई कर लेते हैं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.