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Incest स्मायरा अहमद की कहानी
#5
सुहैल अपने लंड के सुपाड़े को मेरी छोटी सी टाइट चूत के अंदर बाहर करने लगा। मेरी चूत में से जूस निकलने की वजह से उसके लंड का टोपा अब अंदर-बाहर स्लिप हो रहा था। ऐसे ही करते-करते उसने अपने लंड को बाहर निकाला और एक झटका मारा तो उसका लोहे जैसा सख्त लंड मेरी चूत के अंदर आधा घुस गया और मेरे मुँह से चींख निकल गयी, “उउउउउउहहहह ईईईईईईई।“

लंड अब आधा अंदर घुस चुका था और मेरी चूत के अंदर जलन शुरू हो गयी। मैं उस से ज़ोर से लिपट गयी। सारा जिस्म अकड़ गया तो सुहैल ने धक्के मारना बंद कर दिया और मेरी चूचियों को चूसने लगा। थोड़ी देर में ही फिर से मुझे अच्छा लगने लगा और मेरी ग्रिप सुहैल पे थोड़ी ढीली हो गयी। उसने अपना लंड मेरी चूत के अंदर ऐसे हो छोड़ दिया और चूचियों को चूसने लगा। मुझे फिर से मज़ा आने लगा और उसका आधा घुसा हुआ लंड अच्छा लगने लगा।

जब उसने देखा के मेरी चूत ने उसके मोटे लंड को अपनी छोटे से सुराख में एडजस्ट कर लिया है तो उसने अपना लंड धीरे-धीरे अंदर बाहर करना शुरू कर दिया जिससे मुझे बहुत मज़ा आने लगा। मेरी चूत में से जूस लगातार निकलने लगा जिससे मेरी चूत बहुत ही गीली हो चुकी थी। अब सुहैल ने अपने हाथ मेरी बगल से निकाल के मेरे कंधों को पकड़ लिया और मुझे फ्रेंच किस करने लगा। पोज़िशन ऐसी थी कि दोनों के जिस्म के बीच में मेरे बूब्स चिपक गये थे। सुहैल मुझ पे झुका हुआ था और उसका लंड मेरी चूत में आधा घुसा हुआ था। सुहैल ने धीरे-धीरे लंड को अंदर-बाहर कर के मेरी चुदाई शुरू की और मैं मज़े से पागल होने लगी। मेरी चूत में उसका मोटा लंड फँसा हुआ था और अंदर-बाहर हो रहा था। मुझे फिर से लगने लगा के मेरी चूत के काफी अंदर कोई लावा जैसा उबल रहा है और बाहर निकलने को बेचैन है। उतने में ही सुहैल ने अपने लंड को मेरी चूत से पूरा बाहर निकाल लिया तो मुझे अपनी चूत खाली-खाली लगने लगी और फिर देखते ही देखते उसने इतनी ज़ोर का झटका मारा और मेरे मुँह से चींख निकल पड़ी, “ऊऊऊऊईईईईईई अल्लाह...आआआआआ ऊऊऊफफफ निकाल लो बाहर!! मार डाला..... ऊऊऊईईईई”, और मुझे लगा जैसे मेरे जिस्म को चीरता हुआ कोई मोटा सा लोहे का सख्त डंडा मेरी चूत के रासते मेरी टाँगों के बीच में घुस गया हो और मैं सुहैल से लिपट गयी उसको ज़ोर से पकड़ लिया और फिर एक दम से टोटल ब्लैक ऑऊट! शायद मैं एक लम्हे के लिये बे-होश हो गयी। कमरे में तो पहले से ही अंधेरा था। मुझे कुछ नज़र ही नहीं आ रहा था और फिर अचानक ऐसे चूत फाड़ झटके से तो मैं एक दम से बेहोश हो गयी। मुझे लगा जैसे सारा कमरा मेरे आगे घूम रहा हो। मुँह खुला का खुला रह गया था और आँखें बाहर निकल आयी थी और आँखों में से पानी निकल रहा था। मेरा मुँह तकलीफ के मारे खुल गया था। लगाता था जिस्म में खून ही नहीं हो और दिमाग काम नहीं कर रहा था।

पता नहीं मैं कितनी देर उसको ज़ोर से चिपकी रही और कितनी देर तक बेहोश रही। जब होश आया तो देखा कि वो अपने लंड से मेरी फटी चूत को चोद रहा है उसका लंड अंदर-बाहर हो रहा है और मेरी चूत में जलन से जैसे आग लगी हुई हो। मेरी मुँह से “ऊऊऊऊईईईईई आआआआहहहह औंऔंऔंऔं आआआईईईई” जैसी आवाज़ें निकल रही थी लेकिन सुहैल था कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था। लगाता था जैसे पागल हो गया हो। ज़ोर-ज़ोर से चुदाई कर रहा था और मेरी फटी चूत में दर्द हो रहा था। मेरा जो लावा निकलने को बेताब था पता नहीं वो कहाँ चला गया था और मुझे बे-इंतहा दर्द हो रहा था। लगाता था जैसे कोई छूरी से मेरी चूत को काट रहा हो। चूत के अंदर बे-इंतहा जलन और दर्द हो रहा था।

सुहैल मुझे चोदे ही जा रहा था। अंधेरे में उसे पता भी तो नहीं चल रहा था कि मैं कितनी तकलीफ में हूँ। मैं उसके जिस्म से चिपकी हुई थी और उसके झटकों से मेरे बूब्स आगे पीछे हो रहे थे। थोड़ी ही देर में जब मेरी चूत उसके मोटे लंड को अपने छोटे से सुराख में एडजस्ट कर चुकी तो मुझे भी मज़ा आने लगा और मेरी ग्रिप उस पे से ढीली पड़ गयी और वो अब दनादन चोद रहा था। उसका लंड अंदर-बाहर हो रहा था और मुझे बेहद मज़ा आ रहा था, ऐसा मज़ा जो कभी सारी ज़िंदगी नहीं आया था। उसके हाथ अभी भी मेरे कंधों को पकड़े हुए थे और वो अपनी गाँड उठा-उठा के लंड को पूरा सिरे तक बाहर निकलता और जोर के झटके से चूत के अंदर घुसेड़ देता। उसके चोदने की स्पीड बढ़ गयी थी और अब मेरा लावा जो पता नहीं कब से निकलने को बेताब था, मुझे लगा कि अब वो फिर से बाहर आने वाला है और मुझे अपनी चूत के अंदर ही अंदर उसका लंड फूलता हुआ महसूस हुआ। उसने बहुत ज़ोर ज़ोर से चोदना शुरू किया और फायनली लंड को पूरा चूत से बाहर निकाला और एक इतनी ज़ोर से झटका मारा कि मेरा सारा जिस्म हिल गया और मेरे जिस्म में जैसे बिजली कि झटके लगने लगे और सारा जिस्म काँपने लगा।

मैंने फिर से सुहैल को ज़ोर से अपनी बांहों में जकड़ लिया। उसके साथ ही उसके लोहे जैसे सख्त लंड में से गरम- गरम मलाई के फुव्वारे निकलने लगे और मेरी चूत को भरने लगा। बस उसी टाईम पे मेरा लावा जो चूत के बहुत अंदर उबल रहा था, ऐसे बाहर निकलने लगा जैसे बाँध तोड़ के दरिया का पानी बाहर निकल जाता है। मुझे लगा जैसे सारे जहाँ में अंधेरा छा गया हो। जिस्म में झटके लग रहे थे और दिमाग में सनसनाहट हो रही थी और बहुत ही मज़ा आ रहा था। सुहैल अभी भी धीरे-धीरे चुदाई कर रहा था। जितनी देर तक उसकी मलाई निकलती रही, उसके धक्के चलते रहे और फिर वो अचानक मेरे जिस्म पे गिर गया जिससे मेरे बूब्स हम दोनों के जिस्म के बीच में सैंडविच बन गये। हम दोनों गहरी गहरी साँसें ले रहे थे। मैं उसके बालों में हाथ फिरा रही थी और मेरी ग्रिप बिल्कुल ढीली पड़ गयी थी। टाँगें खुली पड़ी थी और मैं चित्त लेटी रही। सुहैल का लंड अभी भी मेरी चूत के अंदर ही था पर अब वो धीरे-धीरे नरम होने लगा था और फिर एक प्लॉप की आवाज़ के साथ उसका लंड मेरी चूत के सुराख से बाहर निकल गया और मुझे लगा कि उसकी और मेरी मलाई जो चूत के अंदर जमा हो चुकी थी, वो बाहर निकल रही है और मेरी गाँड के क्रैक पे से होती हुई नीचे बेडशीट पे गिरने लगी।

सुहैल थोड़ी देर तक मेरे ऊपर ऐसे ही पड़ा रहा। जब दोनों को होश आया तो उसने मुझे एक फ्रेंच किस किया और बोला कि “कल रात फिर तुम्हें रीप्रोडक्टिव सिस्टम का अगला हिस्सा पढ़ाने आऊँगा।“
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: स्मायरा अहमद की कहानी - by neerathemall - 20-07-2022, 03:43 PM



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