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Incest स्मायरा अहमद की कहानी
#3
हम दोनों बगल बगल में बैठे थे। मैं घुटने मोड़ के बैठी थी और वो पालती मार के बैठा था। अब उसने मुझे समझाना शुरू किया कि, “ये है फीमेल का रीप्रोडक्टिव ऑर्गन, इसे ईंगलिश में वैजायना, पूसी या कंट कहते हैं और हिंदी में चूत कहते हैं।“

मैं शरम के मारे एक दम से लाल हो गयी पर कुछ कहा नहीं। फिर उसने डिटेल में बताना शुरू किया कि, “ये है लेबिया मजोरा जिसे पूसी के लिप्स कहते हैं और ये उसके अंदर लेबिया मायनोरा.... ये डार्क पिंक कलर का या लाल कलर का होता है और ये उसके ऊपर जो छोटा सा बटन जैसा बना हुआ है वो क्लिटोरिस या हिंदी में घुंडी या चूत का दाना भी कहते हैं और जब इसको धीरे-धीरे से रगड़ा जाता है या मसाज किया जाता है तो ये जो चूत का सुराख नज़र आ रहा है, इस में से पानी निकलना शुरू हो जाता है। या फिर अगर लड़की बहुत ही एक्साईटेड हो जाती है तो ये निकलने वाले जूस से चूत गीली हो जाती है जो कि रिप्रोडक्शन के इनिश्यल काम को आसान बना देती है।“

इतना सुनना था कि मेरी चूत में से समंदर जितना जूस निकलने लगा और चूत भर गयी।

अब ये देखो दूसरी फिगर, “ये मेल रीप्रोडक्टिव ऑर्गन है। इसे ईंगलिश में पेनिस या कॉक कहते हैं और हिंदी में लंड या लौड़ा कहते हैं। ये नॉर्मल हालत में ऐसे ही ढीला पड़ा रहता है जैसे कि पहली पिक्चर में है। और जब ये बेहद एक्साईटेड हो जाता है तो ये दूसरी फिगर की तरह खड़ा हो जाता है। ये पेनिस के अंदर जो ब्लड वैसल्स हैं, इन में लहू का बहाव बढ़ जाता है और उसकी वजह से मसल अकड़ के लंड लंबा मोटा और सख्त हो जाता है”, और उसने मेरा हाथ पकड़ के अपने अकड़े हुए लंड पे रख दिया और कहा, “ऐसे!”

अब मेरी साँसें तेज़ी से चलने लगी थी और जिस्म में इतनी गर्मी आ गयी थी कि मुझे लग रहा था मानो मेरा जिस्म किसी आग में जल रहा हो। “और ये देखो!” उसने मेरा हाथ लंड के नीचे किया और कहा, “इसके नीचे जो ये दो बॉल्स दिखायी दे रहे हैं, इन्हें ईंगलिश में टेस्टीकल्स या स्कोरटम और हिंदी में आँडे भी कहते हैं। ये असल में स्पर्म बनने की फ़ैक्ट्री है जहाँ स्पर्म बनते हैं। ये स्पर्म जब मेल के ऑर्गन से ट्राँसफर हो के फीमेल के ऑर्गन में जाता है तो बच्चा पैदा होता है।“

मेरा तो मानो बुरा हाल हो गया था। कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या कहूँ और सुहैल था के बस एक प्रोफेसर की तरह से लेक्चर दिये जा रहा था। मैं अंजाने में उसका तना हुआ लंड अपने हाथ में पकड़े बैठी थी। मुझे इतना होश भी नहीं था कि मैं अपना हाथ उसके लंड पे से हटा लूँ।

“जब मेल का ये इरेक्ट लंड फीमेल की चूत के अंदर जाता है और चुदाई करते-करते जब एक्साइटमेंट और मज़ा बढ़ जाता है तो अपना स्पर्म चूत के अंदर ये जो बच्चे दानी दिख रही है, उसके मुँह पे छोड़ देता है जिससे स्पर्म बच्चे दानी के खुले मुँह के अंदर चला जाता है और बच्चा पैदा होता है।“

मुझे पता ही नहीं चला के उसका एक हाथ तो मेरी चूत पे है जिसका वो मसाज कर रहा है और मेरा हाथ उसके लंड को पकड़े हुए था और मैं अंजाने में उसके मोटे लंड को दबा रही थी। ये पहला मौका था कि मैंने किसी के लंड को अपने हाथों में पकड़ा हो। उसने फिर कहा कि “देखो कैसी गीली हो गयी है तुम्हारी चूत, ऐसे ही हो जाती है एक्साइटमेंट के टाईम पे।“

तब मुझे एहसास हुआ कि ये मैं क्या कर रही हूँ और एक दम से अपना हाथ उसके लंड पे से खींच लिया। लेकिन उसने अपने हाथ मेरी चूत पे से नहीं हटाया। मेरी नाइटी में हाथ डाले हुए ही था और मेरी चूत का मसाज करता ही जा रहा था जिससे मेरी चूत बहुत गीली हो चुकी थी।

सुहैल हंसने लगा और बोला के “डरती क्यों हो, मैं तो तुम्हें थियोरी के साथ प्रैक्टीकल भी बता रहा था ताकि तुम अच्छी तरह से समझ सको।“

बस इतना कहा उसने और बिजली चली गयी और बल्ब बुझ गया और कमरे में अंधेरा छा गया। मैं तो बेतहाशा गरम और गीली हो चुकी थी। साँसें तेज़ी से चल रही थी, दिमाग और जिस्म में सनसनाहट दौड़ रही थी। ब्लड सरक्यूलेशन सौ गुना बढ़ चुका था, चेहरा लाल हो गया था और मैं गहरी-गहरी साँस ले रही थी। उसने मुझे धीरे से पुश किया और मैं बेड पे सीधे लेट गयी। वो मेरी साईड में था और उसका हाथ अभी भी मेरी चूत पे था। मुझे इतना होश भी नहीं था के मैं उसका हाथ पकड़ के हटा दूँ। बस ऐसे ही चित्त लेटी रही और अंजाने में मेरी टाँगें भी खुल गयी थी और वो मेरी चूत का अच्छी तरह से मसाज कर रहा था। मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था। अब उसने फिर मेरा हाथ पकड़ के अपने अकड़े हुए लंड पे रख दिया और मेरे हाथ को अपने हाथों से ऐसे दबाया जैसे मैं उसका लंड दबा रही हूँ। बहुत मोटा, सख्त और गरम था उसका लंड। उसने इलास्टिक वाला जॉगिंग पैंट पहना था जिसको उसने अपने घुटनों तक खिसका दिया था और मेरे हाथ में अपना लंड थमा दिया था और मैंने हमेशा की तरह बिना पैंटी और बिना ब्रेज़ियर के नाइटी पहनी थी। मुझे क्या मालूम था कि ऐसे होने वाला है। मैं तो रोज़ रात को सोने के टाईम पे अपनी पैंटी और ब्रेज़ियर निकाल के ही सोती थी।

उसका हाथ मेरे सर के नीचे था। उसने दूसरे हाथ से मुझे अपनी तरफ़ करवट दिला दी। अब हम दोनों एक दूसरे की तरफ़ मुँह करके करवट से लेटे थे। उसने मुझे किस करना शुरू किया तो मेरा मुँह अपने आप खुल गया और जल्द ही उसकी ज़ुबान मेरे मुँह के अंदर घुस चुकी थी और मैं उसकी ज़ुबान को ऐसे एक्सपर्ट की
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: स्मायरा अहमद की कहानी - by neerathemall - 20-07-2022, 03:42 PM



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