03-08-2022, 01:20 AM
(This post was last modified: 11-08-2022, 04:20 PM by rashmimandal. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
"हैलो, आलिया, मेरी बहन, कैसी है?" मैंने कॉल उठा कर कहा. "कुछ खास नहीं दीदी" आलिया कुरैशी ने बुझे हुए स्वर से कहा. उसके आवाज में निराशा और परेशानी थी. "क्या हो गया? तू परेशान लग रही है!" मैंने पूछा. "वो सब मैं मिलकर बताती हूँ दीदी. सबसे पहले आपको बहुत-बहुत सारा बधाई, और सॉरी मैं आपकी पार्टी में नहीं आ सकी, बाहर थी ना मैं. हाँ पर मेरी पार्टी बची है ना!!" आलिया ने कहा. "कोई बात नहीं पगली, तू जब ले ले पार्टी, कोई मनाही नहीं है तुझे"मैंने उसे थोड़ा हंसाने का प्रयास करते हुए कहा. "दीदी, कहाँ हो अभी आप? आपके घर आ जाऊँ?" आलिया ने पूछा. "ऑफिस से घर जा रही हूँ, मुझे 15 मिनट लगेगा, तू तब तक आएगी तो चलेगा?" मैंने पूछा. "हाँ दीदी, बिलकुल" आलिया ने कहा. "ठीक है चल फिर मिल घर पर" मैंने जवाब दिया. "हाँ दीदी, बाय" आलिया ने कहा फिर मैंने फ़ोन कट कर दिया.
"क्या हो गया इस लड़की को, इतनी उदास तो नहीं लगती है कभी. चलो आने दो इसकी सारी उदासी दूर करती हूँ मैं" यह सब सोचते हुए मैं गाड़ी ड्राईव करने लगी. आलिया का खयाल आते ही मुझे पिछली सारी घटनाएँ याद आने लगी. किस तरह से आलिया का हाथ नींद में मेरी टी-शर्ट के अन्दर मेरी नंगी पेट में था. किस तरह से उसकी उँगलियाँ मेरी चिकनी पेट पर रेंग रही थी. यह सब करते हुए अपना दूसरा हाथ वह अपने छोटे वक्षों पर रखी हुई थी. आलिया के वक्ष, छोटे पर तने हुए, नुकीले, अलफांसों आम की तरह. मेरे दिमाग में उस रात का दृश्य घूमने लगा. जब उसके हल्के नीले रंग के पारदर्शी टी-शर्ट के अन्दर मैंने उसके बिना ब्रा पहने वक्षों को देखा था. आलिया के बाएँ वक्ष का नुकीला अग्र भाग जो उसके टी-शर्ट के ऊपर से काली बिंदु की तरह दिख रहा था. उसके सीने की गोलाइयाँ, मुझे अजीबो गरीब अहसास हो रहा था. आलिया मासूम परी लग रही थी उस दिन. मैं उसके वक्षों को टी-शर्ट के अन्दर से अच्छे से निहार लेना चाहती थी. उस दिन से पहले तक आलिया मेरे लिए सिर्फ एक छोटी बहन थी. पर उस दिन की घटना ने मेरे नजरिए को बदल दिया था. मैं आज तक यह समझने में नाकाम थी, जो उस दिन हुआ था, वह था क्या? आलिया सचमुच नींद में थी? या उसने यह सोच समझ कर किया. आलिया नींद में थी तो क्या वह स्वप्न में थी? और स्वप्न में थी तो मेरे साथ ऐसी हरकत क्यों कर रही थी वह? सपने में किसके साथ वह यह कर रही थी?
खैर अब मैं घर पहुँचने ही वाली थी. जाकर मैंने अपना जीन्स और टी-शर्ट निकाल फेंका. अब मैं सिर्फ अपने काले पैंटी और ब्रा में थी. "आह, कितना आराम है" मैंने कहा. फिर मुझे याद आया आलिया आने ही वाली होगी, मैं उठी और अपने वार्डरोब पर पहुँच कर एक नीले रंग का लेगिंग और सफ़ेद रंग का थोड़ा पारदर्शी टी-शर्ट पहन लिया. मैं आई और आईने के पास खड़ी हो गयी. मैं कयामत की बला लग रही थी. लेगिंग मेरी जांघों पर, पैरों पर, नितम्भों पर पूरी तरह से चिपका हुआ. मेरे मांसल और फुर्सत से तराशे गये पैरों और नितंभ का एक-एक कटाव स्पष्ट नुमाया था. ऊपर मेरी झीनी सफ़ेद टी-शर्ट, अन्दर के काले ब्रा और डीप नेक पैटर्न से स्तन के आकृति और कटाव का प्रदर्शन कर रही थी. मेरे दोनों पुष्ट उभारों के बीच का हिस्सा दो पहाड़ों के बीच की गहराई जैसी प्रतीत हो रही थी. मैंने पता नहीं क्यों ऐसे कपड़े पहने हुए थे सामान्यतः मैं घर में सिंपल सभ्य कपड़े पहनती हूँ.
तभी मुझे कॉल बेल की आवाज सुनाई दी. आलिया ही होगी मैंने सोचा और मैं गेट की तरफ बढ़ गयी. मैंने की-होल से देखा, सामने पिंक कलर का टीशर्ट और ग्रे कलर का जीन्स पहने आलिया दरवाजे की ओर निहार रही थी. मैंने दरवाजा खोला. कांग्राजुलेशंस दीदी कहते हुए आलिया मुझसे गले लग गयी. पहले जब भी आलिया मुझसे गले लगती थी, मैं उससे एक बड़ी बहन की तरह गले मिलती थी. पर आज, आज जब आलिया मुझसे गले मिल रही थी मेरा ध्यान उसके विभिन्न अंगों पर जा रहा था. मैं चाह कर भी अपने आप को नहीं रोक पा रही थी. अब मुझे लगता है, मुझे उन लड़कियों की लिस्ट बढ़ानी पड़ेगी जिनके बदन और खूबसूरती से मैं खुद प्रभावित थी. इसमें अब लिली के साथ-साथ दूसरी शायद आलिया भी शामिल हो रही थी.
.
28 साल की लिली, पता नहीं क्यों, पर शुरू से मुझे लगता है, लिली मुझ पर कुछ ज्यादा ही ध्यान देती है. जैसे वो मेरी इस भरी-पूरी शरीर पर मोहित हो. लिली उम्र में तो मुझसे बड़ी थी पर वो क़यामत मेरे सामने बच्ची ही लगती थी. गोल चेहरा, थोड़ी चपटी नाक. हमेशा जीन्स टी-शर्ट पहनने वाली लिली के टी-शर्ट के ऊपरी भाग में हमेशा दो पूर्णतः गोल, छोटे और कसे हुए पठार दिखाई देते थे. पठार इसलिए क्यूंकि लिली के स्तन को ऊपर से देख कर लगता था जैसे वह पूरी तरह से चांदे से खिंची गयी गोलाईयां थीं, सम्पूर्ण गोलाई, एक दोषहीन वृत्त. मैंने इतना उत्तम गोल स्तन अपनी जिंदगी में नहीं देखा था. गोलाई के बाद वे थोड़ा ऊपर उभर कर हमेशा चुस्त टी-शर्ट में बंधे हुए दिखाई देते थे. ऐसा लगता था जैसे उसके दोनों स्तन अन्दर दब कर, बाहर आने के लिए लगातार प्रयासरत हैं. उसके स्तन पठार जैसे ऊपर से सपाट और अगल-बगल से उभरे हुए दिखते थे. उसका नितंभ छोटा पर एकदम पुष्ट और कड़ा था, जिसका हर एक तराशा हुआ कटाव उसके चुस्त जीन्स से स्पष्ट दिखाई देता था. उसे पीछे से देखने पर किसी के लिए भी अपना हाथ वहां रखने से रोक पाना मुश्किल था. ऐसा फिगर, ऐसी बनावाट जो किसी को भी उसकी तरफ खीचने के लिए मजबूर कर दे. और उसके चुस्त जीन्स में उभरती उसकी सुडौल और कसी हुई जंघाएँ तो मदमस्त करने वाली थीं. पहले दिन, लिली की पहली मुस्कान से ही उसकी नजरों में अपने लिए प्रशंसा का भाव और एक अजीब से आकर्षण का अनुभव होता है. उसका पहले से मेरे साथ संवाद स्थापित करना, मुझे आल थे बेस्ट बोलना, उसका चोरी छिपे मुझे देखने का प्रयास करना, उसका मेरी नंगी बदन को ऊपर से नीचे तक लालची निहागों से ताड़ना. उफ्फ्फ, लिली ने तो मुझे पूरी तरह से नंगी भी देखा है. पता नहीं क्यों पर उस दिन मैं प्रफुल्लित थी कि अब जूलिया मैम लिली को भी पूरी तरह से नंगी होने कहेंगी. मेरे अन्दर तीव्र जिज्ञासा थी, अन्दर से लिली है कैसी यह जानने का.
"दीदी, कहाँ गुम हो गये आप? मुझे अन्दर भी नहीं बुलाओगे?" मुझसे अलग होते हुए आलिया बोली. "ओह्ह, सॉरी, आ, अन्दर आ- अन्दर आ" मैंने कहा. मैं थोड़ा झेंप सी गयी, ऐसा मेरे साथ होता नहीं था कि मैं ऐसे विचारों में खो जाऊं , मैं हमेशा चौकन्ना रहती थी. अभी मैं घर में थी इसलिए थोड़ा आराम से थी. और आलिया को देखकर मैं अपने सपनों की दुनिया में चली गयी थी. "आ जा बेडरूम में ही आराम से बैठ कर बात करते हैं आलिया, थोड़ा थकी हुई हूँ" मैंने कहा. "हाँ दीदी, कोई प्रॉब्लम नहीं है" अलिया ने कहा. हम बेडरूम में पहुंचे. "तू बैठ मैं आई" मैंने कहा और मैं किचन आयी और बढ़िया कड़क कॉफ़ी बनाने लगी.
"क्या हो गया इस लड़की को, इतनी उदास तो नहीं लगती है कभी. चलो आने दो इसकी सारी उदासी दूर करती हूँ मैं" यह सब सोचते हुए मैं गाड़ी ड्राईव करने लगी. आलिया का खयाल आते ही मुझे पिछली सारी घटनाएँ याद आने लगी. किस तरह से आलिया का हाथ नींद में मेरी टी-शर्ट के अन्दर मेरी नंगी पेट में था. किस तरह से उसकी उँगलियाँ मेरी चिकनी पेट पर रेंग रही थी. यह सब करते हुए अपना दूसरा हाथ वह अपने छोटे वक्षों पर रखी हुई थी. आलिया के वक्ष, छोटे पर तने हुए, नुकीले, अलफांसों आम की तरह. मेरे दिमाग में उस रात का दृश्य घूमने लगा. जब उसके हल्के नीले रंग के पारदर्शी टी-शर्ट के अन्दर मैंने उसके बिना ब्रा पहने वक्षों को देखा था. आलिया के बाएँ वक्ष का नुकीला अग्र भाग जो उसके टी-शर्ट के ऊपर से काली बिंदु की तरह दिख रहा था. उसके सीने की गोलाइयाँ, मुझे अजीबो गरीब अहसास हो रहा था. आलिया मासूम परी लग रही थी उस दिन. मैं उसके वक्षों को टी-शर्ट के अन्दर से अच्छे से निहार लेना चाहती थी. उस दिन से पहले तक आलिया मेरे लिए सिर्फ एक छोटी बहन थी. पर उस दिन की घटना ने मेरे नजरिए को बदल दिया था. मैं आज तक यह समझने में नाकाम थी, जो उस दिन हुआ था, वह था क्या? आलिया सचमुच नींद में थी? या उसने यह सोच समझ कर किया. आलिया नींद में थी तो क्या वह स्वप्न में थी? और स्वप्न में थी तो मेरे साथ ऐसी हरकत क्यों कर रही थी वह? सपने में किसके साथ वह यह कर रही थी?
खैर अब मैं घर पहुँचने ही वाली थी. जाकर मैंने अपना जीन्स और टी-शर्ट निकाल फेंका. अब मैं सिर्फ अपने काले पैंटी और ब्रा में थी. "आह, कितना आराम है" मैंने कहा. फिर मुझे याद आया आलिया आने ही वाली होगी, मैं उठी और अपने वार्डरोब पर पहुँच कर एक नीले रंग का लेगिंग और सफ़ेद रंग का थोड़ा पारदर्शी टी-शर्ट पहन लिया. मैं आई और आईने के पास खड़ी हो गयी. मैं कयामत की बला लग रही थी. लेगिंग मेरी जांघों पर, पैरों पर, नितम्भों पर पूरी तरह से चिपका हुआ. मेरे मांसल और फुर्सत से तराशे गये पैरों और नितंभ का एक-एक कटाव स्पष्ट नुमाया था. ऊपर मेरी झीनी सफ़ेद टी-शर्ट, अन्दर के काले ब्रा और डीप नेक पैटर्न से स्तन के आकृति और कटाव का प्रदर्शन कर रही थी. मेरे दोनों पुष्ट उभारों के बीच का हिस्सा दो पहाड़ों के बीच की गहराई जैसी प्रतीत हो रही थी. मैंने पता नहीं क्यों ऐसे कपड़े पहने हुए थे सामान्यतः मैं घर में सिंपल सभ्य कपड़े पहनती हूँ.
तभी मुझे कॉल बेल की आवाज सुनाई दी. आलिया ही होगी मैंने सोचा और मैं गेट की तरफ बढ़ गयी. मैंने की-होल से देखा, सामने पिंक कलर का टीशर्ट और ग्रे कलर का जीन्स पहने आलिया दरवाजे की ओर निहार रही थी. मैंने दरवाजा खोला. कांग्राजुलेशंस दीदी कहते हुए आलिया मुझसे गले लग गयी. पहले जब भी आलिया मुझसे गले लगती थी, मैं उससे एक बड़ी बहन की तरह गले मिलती थी. पर आज, आज जब आलिया मुझसे गले मिल रही थी मेरा ध्यान उसके विभिन्न अंगों पर जा रहा था. मैं चाह कर भी अपने आप को नहीं रोक पा रही थी. अब मुझे लगता है, मुझे उन लड़कियों की लिस्ट बढ़ानी पड़ेगी जिनके बदन और खूबसूरती से मैं खुद प्रभावित थी. इसमें अब लिली के साथ-साथ दूसरी शायद आलिया भी शामिल हो रही थी.
.
28 साल की लिली, पता नहीं क्यों, पर शुरू से मुझे लगता है, लिली मुझ पर कुछ ज्यादा ही ध्यान देती है. जैसे वो मेरी इस भरी-पूरी शरीर पर मोहित हो. लिली उम्र में तो मुझसे बड़ी थी पर वो क़यामत मेरे सामने बच्ची ही लगती थी. गोल चेहरा, थोड़ी चपटी नाक. हमेशा जीन्स टी-शर्ट पहनने वाली लिली के टी-शर्ट के ऊपरी भाग में हमेशा दो पूर्णतः गोल, छोटे और कसे हुए पठार दिखाई देते थे. पठार इसलिए क्यूंकि लिली के स्तन को ऊपर से देख कर लगता था जैसे वह पूरी तरह से चांदे से खिंची गयी गोलाईयां थीं, सम्पूर्ण गोलाई, एक दोषहीन वृत्त. मैंने इतना उत्तम गोल स्तन अपनी जिंदगी में नहीं देखा था. गोलाई के बाद वे थोड़ा ऊपर उभर कर हमेशा चुस्त टी-शर्ट में बंधे हुए दिखाई देते थे. ऐसा लगता था जैसे उसके दोनों स्तन अन्दर दब कर, बाहर आने के लिए लगातार प्रयासरत हैं. उसके स्तन पठार जैसे ऊपर से सपाट और अगल-बगल से उभरे हुए दिखते थे. उसका नितंभ छोटा पर एकदम पुष्ट और कड़ा था, जिसका हर एक तराशा हुआ कटाव उसके चुस्त जीन्स से स्पष्ट दिखाई देता था. उसे पीछे से देखने पर किसी के लिए भी अपना हाथ वहां रखने से रोक पाना मुश्किल था. ऐसा फिगर, ऐसी बनावाट जो किसी को भी उसकी तरफ खीचने के लिए मजबूर कर दे. और उसके चुस्त जीन्स में उभरती उसकी सुडौल और कसी हुई जंघाएँ तो मदमस्त करने वाली थीं. पहले दिन, लिली की पहली मुस्कान से ही उसकी नजरों में अपने लिए प्रशंसा का भाव और एक अजीब से आकर्षण का अनुभव होता है. उसका पहले से मेरे साथ संवाद स्थापित करना, मुझे आल थे बेस्ट बोलना, उसका चोरी छिपे मुझे देखने का प्रयास करना, उसका मेरी नंगी बदन को ऊपर से नीचे तक लालची निहागों से ताड़ना. उफ्फ्फ, लिली ने तो मुझे पूरी तरह से नंगी भी देखा है. पता नहीं क्यों पर उस दिन मैं प्रफुल्लित थी कि अब जूलिया मैम लिली को भी पूरी तरह से नंगी होने कहेंगी. मेरे अन्दर तीव्र जिज्ञासा थी, अन्दर से लिली है कैसी यह जानने का.
"दीदी, कहाँ गुम हो गये आप? मुझे अन्दर भी नहीं बुलाओगे?" मुझसे अलग होते हुए आलिया बोली. "ओह्ह, सॉरी, आ, अन्दर आ- अन्दर आ" मैंने कहा. मैं थोड़ा झेंप सी गयी, ऐसा मेरे साथ होता नहीं था कि मैं ऐसे विचारों में खो जाऊं , मैं हमेशा चौकन्ना रहती थी. अभी मैं घर में थी इसलिए थोड़ा आराम से थी. और आलिया को देखकर मैं अपने सपनों की दुनिया में चली गयी थी. "आ जा बेडरूम में ही आराम से बैठ कर बात करते हैं आलिया, थोड़ा थकी हुई हूँ" मैंने कहा. "हाँ दीदी, कोई प्रॉब्लम नहीं है" अलिया ने कहा. हम बेडरूम में पहुंचे. "तू बैठ मैं आई" मैंने कहा और मैं किचन आयी और बढ़िया कड़क कॉफ़ी बनाने लगी.