Thread Rating:
  • 0 Vote(s) - 0 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
समलैंगिक डॉ राखी का खौफनाक कदम
#6
यही सब सोचसोच कर उस की रातें अकसर करवटें लेते बीतती थीं. देह की आग में वह सुलगती रहती थी. उसे वह अपनी सहेली कंचन से मिल कर शांत करने की कोशिश तो करती थी, लेकिन उस से पुरुष के देह सुख जैसा आनंद नहीं मिल पाता था, बल्कि उस की आग और भड़क जाती थी.

एक रात राखी कुछ ज्यादा ही बेचैन थी. उस के दिमाग में एक साथ कई बातें चल रही थीं. अपनी सहेली कंचन की कुछ बातों को ले कर वह गुस्से में भी थी. हालांकि कुछ दिन पहले उस की कंचन के साथ जो बहस हुई थी, उस में गलती उसी की ही थी. इस के लिए उस ने माफी भी मांग ली थी. फिर भी राखी को बारबार यह महसूस हो रहा था कि कंचन उस का भविष्य चौपट करना चाहती है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply


Messages In This Thread
RE: समलैंगिक डॉ राखी का खौफनाक कदम - by neerathemall - 20-07-2022, 11:47 AM



Users browsing this thread: 1 Guest(s)