20-07-2022, 10:48 AM
‘‘उमा की बच्ची, दे मुझे,’’ कहती ऋ तु उस के पीछे भागी. पर उमा ने एक न सुनी, तसवीर ले जा कर ऋतु की मम्मी को दे दी और बोली, ‘‘यह लो आंटी, आप का होने वाला दामाद.’’
मां ने पहले तसवीर को, फिर ऋतु को देखा तो वह शरमा कर वहां से भाग गई. लड़का डाक्टर था और उस का परिवार भी काफी संपन्न व उच्च विचारों वाला था. एक लड़की जो भी गुण अपने पति में चाहती है वे सारे गुण उस के होने वाले पति कार्तिक में थे. और क्या चाहिए था उसे. उस की जिंदगी तो संवरने जा रही थी और वह यह सोच कर भी खुश थी कि अब शादी हो जाएगी तो पढ़ाई से पीछा छूटेगा. उस ने जितना पढ़ लिया, काफी था. पर लड़के वालों ने कहा कि उस का ग्रेजुएशन पूरा होने के बाद ही वे शादी करेंगे. ऋ तु की सहमति से रिश्ता तय हुआ और आननफानन सगाई की तारीख भी पक्की हो गई.
सगाई के दिन पिनाकी और उस का परिवार वहां मौजूद नहीं था. उस की दादी की बीमारी की खबर सुन कर वे लोग गांव चले गए थे. गांव से लौटने में उन्हें 15 दिन लग गए. वापस लौटा तो सब से पहले ऋ तु को ही देखना चाहता था पिनाकी. और ऋ तु भी उतावली थी अपने सब से प्यारे दोस्त को सगाई की अंगूठी दिखाने के लिए. जैसे ही उसे पता चला कि पिनाकी लौट आया है वह दौड़ीदौड़ी चली आई पिनाकी के घर. पिनाकी की नजर खिड़की के बाहर उस के घर की ओर ही लगी थी. जब उस ने ऋ तु को अपने घर की ओर आते देखा तो वह सोच रहा था आज कुछ भी हो जाए वह उसे अपने दिल की बात बता कर ही रहेगा. उसे क्या पता था कि उस की पीठ पीछे उस की दुनिया उजाड़ने की तैयारी हो चुकी है. ‘‘पिनाकी बाबू, किधर हो,’’ ऋतु शोर मचाती हुई अंदर दाखिल हुई.
‘‘हैलो ऋतु, आज खूब खुश लागछी तुमी?’’ पिनाकी की मां ने उस के चेहरे पर इतनी खुशी और चमक देख कर पूछा. ‘‘बात ही कुछ ऐसी है आंटी, ये देखो,’’ ऐसा कह कर उस ने अपनी अंगूठी वाला हाथ आगे कर दिया और चहकते हुए अपनी सगाई का किस्सा सुनाने लगी.
पिनाकी पास खड़ा सब सुन रहा था. उसे देख कर ऋ तु उस के पास जा कर अपनी अंगूठी दिखाते हुए कहने लगी, ‘‘देख ना, कैसी है, है न सुंदर. अब ऐसा मुंह बना कर क्यों खड़ा है, अरे यार, तुम लोग गांव गए थे और मुहूर्त तो किसी का इंतजार नहीं करता न, बस इसीलिए, पर तू चिंता मत कर, तुझे पार्टी जरूर दूंगी.’’
पिनाकी मुंह फेर कर खड़ा था, शायद वह अपने आंसू छिपाना चाहता था. फिर वह वहां से चला गया. ऋ तु उसे आवाज लगाती रह गई. ‘‘अरे पिनाकी, सुन तो क्या हुआ,’’ ऋ तु उस की तरफ बढ़ते हुए बोली.
मां ने पहले तसवीर को, फिर ऋतु को देखा तो वह शरमा कर वहां से भाग गई. लड़का डाक्टर था और उस का परिवार भी काफी संपन्न व उच्च विचारों वाला था. एक लड़की जो भी गुण अपने पति में चाहती है वे सारे गुण उस के होने वाले पति कार्तिक में थे. और क्या चाहिए था उसे. उस की जिंदगी तो संवरने जा रही थी और वह यह सोच कर भी खुश थी कि अब शादी हो जाएगी तो पढ़ाई से पीछा छूटेगा. उस ने जितना पढ़ लिया, काफी था. पर लड़के वालों ने कहा कि उस का ग्रेजुएशन पूरा होने के बाद ही वे शादी करेंगे. ऋ तु की सहमति से रिश्ता तय हुआ और आननफानन सगाई की तारीख भी पक्की हो गई.
सगाई के दिन पिनाकी और उस का परिवार वहां मौजूद नहीं था. उस की दादी की बीमारी की खबर सुन कर वे लोग गांव चले गए थे. गांव से लौटने में उन्हें 15 दिन लग गए. वापस लौटा तो सब से पहले ऋ तु को ही देखना चाहता था पिनाकी. और ऋ तु भी उतावली थी अपने सब से प्यारे दोस्त को सगाई की अंगूठी दिखाने के लिए. जैसे ही उसे पता चला कि पिनाकी लौट आया है वह दौड़ीदौड़ी चली आई पिनाकी के घर. पिनाकी की नजर खिड़की के बाहर उस के घर की ओर ही लगी थी. जब उस ने ऋ तु को अपने घर की ओर आते देखा तो वह सोच रहा था आज कुछ भी हो जाए वह उसे अपने दिल की बात बता कर ही रहेगा. उसे क्या पता था कि उस की पीठ पीछे उस की दुनिया उजाड़ने की तैयारी हो चुकी है. ‘‘पिनाकी बाबू, किधर हो,’’ ऋतु शोर मचाती हुई अंदर दाखिल हुई.
‘‘हैलो ऋतु, आज खूब खुश लागछी तुमी?’’ पिनाकी की मां ने उस के चेहरे पर इतनी खुशी और चमक देख कर पूछा. ‘‘बात ही कुछ ऐसी है आंटी, ये देखो,’’ ऐसा कह कर उस ने अपनी अंगूठी वाला हाथ आगे कर दिया और चहकते हुए अपनी सगाई का किस्सा सुनाने लगी.
पिनाकी पास खड़ा सब सुन रहा था. उसे देख कर ऋ तु उस के पास जा कर अपनी अंगूठी दिखाते हुए कहने लगी, ‘‘देख ना, कैसी है, है न सुंदर. अब ऐसा मुंह बना कर क्यों खड़ा है, अरे यार, तुम लोग गांव गए थे और मुहूर्त तो किसी का इंतजार नहीं करता न, बस इसीलिए, पर तू चिंता मत कर, तुझे पार्टी जरूर दूंगी.’’
पिनाकी मुंह फेर कर खड़ा था, शायद वह अपने आंसू छिपाना चाहता था. फिर वह वहां से चला गया. ऋ तु उसे आवाज लगाती रह गई. ‘‘अरे पिनाकी, सुन तो क्या हुआ,’’ ऋ तु उस की तरफ बढ़ते हुए बोली.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
