17-07-2022, 03:19 PM
कमरे में 0 वॉट का बल्ब जल रहा था...उसकी मद्धम रोशनी में अंजलि नंगी लेटी हुई अपनी चूत अजय से चटवा रही थी...अनिल की नींद शायद कोई सपने की वजह से या फिर अंजलि और अजय की आवाज़ सुनकर खुली थी..एक तो नशे की हालत और उपर से मद्धम रोशनी की वजह से वो अपनी अधखुली आँखो से कुछ देखने की कोशिश कर रहा था..पर पूरी कोशिश करने के बाद भी उसकी पलकें खुल ही नही पा रही थी.
अंजलि का दिमाग़ तेज़ी से चल रहा था...वैसे तो उसे अच्छी तरह से पता था की वो कुछ देर तक बैठकर सो जाएगा...लेकिन उसने वापिस सोने से पहले अगर अजय को देख लिया तो उसकी नींद और नशा एक पल में ही उड़ जाना था..इसलिए वो तुरंत उठकर बैठ गयी...और उठकर बैठे हुए अनिल के कंधे को पकड़कर उसे वापिस नीचे लिटाने की कोशिश करने लगी ...और ऐसा करते हुए उसने अपनी लात से धक्का देकर अपनी चूत चूस रहे अजय को भी नीचे की तरफ धकेल दिया..
अजय को जब एकदम से अंजलि की ये हरकत महसूस हुई तो उसे बड़ा गुस्सा आया, क्योंकि अभी तक तो वो बड़े ही मज़े से उसकी चूत चाट रहा था..और जैसे ही मज़ा आने लगा, अंजलि ने उसे अपनी टाँगो से धक्का देकर बेड से नीचे खिसका दिया..और उसने ऐसा क्यो किया, जानने के लिए जैसे ही उसने अपना मुँह उपर उठाया, अनिल को बेड पर बैठा हुआ देखकर उसकी हालत बिगड़ गयी...उसकी तो सिट्टी-पिट्टी गुम हो गयी...लेकिन फिर इसे एहसास हुआ की अनिल अभी भी आधी नींद में ही उंघ रहा है..और शुक्र है नींद की वजह से उसकी नज़र अजय पर नही पड़ी..वरना काफ़ी गड़बड़ हो जाती.उसने मन ही मन अंजलि के तेज दिमाग़ की दाद दी और खुद बेड से नीचे खिसक कर दम साध कर लेट गया.बस अब वो यही चाह रहा था की अंजलि किसी तरह अपने पति को वापिस सुला दे.
पर अंजलि ने जब अनिल को ज़बरदस्ती लिटाने की कोशिश की तो उसकी आँख पूरी तरह से खुल गयी...और बगल में नंगी अंजलि को देखकर तो वो जैसे नींद से जागा..और हैरान होते हुए बोला : "अंजलि....ये ...ये क्या...तुम ऐसी हालत में ...''
अंजलि : "ओफफो....यही तो प्राब्लम है तुम्हारी...पीने के बाद पता नही क्या हो जाता है....अभी खुद ही तो मुझे नंगी होने के लिए कह रहे थे...अपने आप को भी तो देखो...अपने कपड़े भी उतार चुके हो तुम...अब ऐसे में तुम्हे मना करू तो गालियां सुनने को मिलती है...और कपडे उतार दूँ तो ऐसे शॉक लग रहा है जैसे तुम्हारे लिए नही बल्कि और किसी के लिए नंगी हुई हूँ ...''
नीचे लेटे हुए अजय की हँसी निकलते-2 बची अंजलि की बाते सुनकर..अब रंगे हाथो पकड़े जाने के बाद अंजलि अपने हिसाब से अनिल को हेंडल कर रही थी.
और ये सब नाटक करते हुए अंजलि ने भी ये नही सोचा था जो अगले ही पल अनिल ने कह डाला
अनिल : "चल फिर...देख क्या रही है...शुरू हो जा...''
अंजलि की आँखे फैल गयी...अब वो खुद ही अपनी बात में फँस चुकी थी..भले ही अनिल अभी पूरे होश में नही था...लेकिन उसे अब मना करके गुस्सा चढ़ाकर वो उसे पूरी तरह से होश में नही लाना चाहती थी...वैसे भी जिस दिन वो बिना पीए सोता था, चुदाई भी एक तरह से नशे का ही काम करती थी उसके लिए..चोदने के बाद भी वो घोड़े बेचकर ठीक उसी तरह से सोता था जैसे दारू पीने के बाद...
अजय के लंड को अपने अंदर लेने की तड़प अंजलि से इस समय कुछ भी करवा सकती थी, इसलिए जल्द से जल्द अनिल को सुलाने के लिए उसकी बात को मानने के अलावा उसके पास कोई और चारा भी नही था..
बेचारी ने बेमन से अपना हाथ अनिल के अंडरवीयर में क़ैद उसके सोए हुए चूहे पर रख दिया..भले ही अंजलि इस वक़्त पूरी तरह से उत्तेजित थी पर अनिल तो सोया हुआ सा बैठा था वहां ..
उसके अंडरवीयर को नीचे खिसका कर अंजलि ने उसके लंड को अपनी हथेली में लेकर हिलाना शुरू कर दिया...पर उसमे कोई हरकत ही नही हुई...उसका 5 इंच का लंड इस वक़्त सिर्फ़ 2 इंच का माँस का टुकड़ा बनकर पड़ा था... अंजलि समझ गयी की इसे तैयार करने के लिए उसे कुछ अलग ही करना पड़ेगा...
और उसने अनिल को बेड पर लिटाया और उसके लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी...अंजलि की गर्म जीभ और रसीले होंठों की तपन से अनिल का लंड पिघल गया और धीरे-2 अपने आकार में आने लगा...एक मिनट के अंदर ही वो बुरी तरह से फुफ्कार रहा था...
वो उसकी बॉल्स को पूरी तरह मुंह में भरकर चूसती और फिर उन्हें निकालकर उसके लंड को चूसती
अंजलि का दिमाग़ तेज़ी से चल रहा था...वैसे तो उसे अच्छी तरह से पता था की वो कुछ देर तक बैठकर सो जाएगा...लेकिन उसने वापिस सोने से पहले अगर अजय को देख लिया तो उसकी नींद और नशा एक पल में ही उड़ जाना था..इसलिए वो तुरंत उठकर बैठ गयी...और उठकर बैठे हुए अनिल के कंधे को पकड़कर उसे वापिस नीचे लिटाने की कोशिश करने लगी ...और ऐसा करते हुए उसने अपनी लात से धक्का देकर अपनी चूत चूस रहे अजय को भी नीचे की तरफ धकेल दिया..
अजय को जब एकदम से अंजलि की ये हरकत महसूस हुई तो उसे बड़ा गुस्सा आया, क्योंकि अभी तक तो वो बड़े ही मज़े से उसकी चूत चाट रहा था..और जैसे ही मज़ा आने लगा, अंजलि ने उसे अपनी टाँगो से धक्का देकर बेड से नीचे खिसका दिया..और उसने ऐसा क्यो किया, जानने के लिए जैसे ही उसने अपना मुँह उपर उठाया, अनिल को बेड पर बैठा हुआ देखकर उसकी हालत बिगड़ गयी...उसकी तो सिट्टी-पिट्टी गुम हो गयी...लेकिन फिर इसे एहसास हुआ की अनिल अभी भी आधी नींद में ही उंघ रहा है..और शुक्र है नींद की वजह से उसकी नज़र अजय पर नही पड़ी..वरना काफ़ी गड़बड़ हो जाती.उसने मन ही मन अंजलि के तेज दिमाग़ की दाद दी और खुद बेड से नीचे खिसक कर दम साध कर लेट गया.बस अब वो यही चाह रहा था की अंजलि किसी तरह अपने पति को वापिस सुला दे.
पर अंजलि ने जब अनिल को ज़बरदस्ती लिटाने की कोशिश की तो उसकी आँख पूरी तरह से खुल गयी...और बगल में नंगी अंजलि को देखकर तो वो जैसे नींद से जागा..और हैरान होते हुए बोला : "अंजलि....ये ...ये क्या...तुम ऐसी हालत में ...''
अंजलि : "ओफफो....यही तो प्राब्लम है तुम्हारी...पीने के बाद पता नही क्या हो जाता है....अभी खुद ही तो मुझे नंगी होने के लिए कह रहे थे...अपने आप को भी तो देखो...अपने कपड़े भी उतार चुके हो तुम...अब ऐसे में तुम्हे मना करू तो गालियां सुनने को मिलती है...और कपडे उतार दूँ तो ऐसे शॉक लग रहा है जैसे तुम्हारे लिए नही बल्कि और किसी के लिए नंगी हुई हूँ ...''
नीचे लेटे हुए अजय की हँसी निकलते-2 बची अंजलि की बाते सुनकर..अब रंगे हाथो पकड़े जाने के बाद अंजलि अपने हिसाब से अनिल को हेंडल कर रही थी.
और ये सब नाटक करते हुए अंजलि ने भी ये नही सोचा था जो अगले ही पल अनिल ने कह डाला
अनिल : "चल फिर...देख क्या रही है...शुरू हो जा...''
अंजलि की आँखे फैल गयी...अब वो खुद ही अपनी बात में फँस चुकी थी..भले ही अनिल अभी पूरे होश में नही था...लेकिन उसे अब मना करके गुस्सा चढ़ाकर वो उसे पूरी तरह से होश में नही लाना चाहती थी...वैसे भी जिस दिन वो बिना पीए सोता था, चुदाई भी एक तरह से नशे का ही काम करती थी उसके लिए..चोदने के बाद भी वो घोड़े बेचकर ठीक उसी तरह से सोता था जैसे दारू पीने के बाद...
अजय के लंड को अपने अंदर लेने की तड़प अंजलि से इस समय कुछ भी करवा सकती थी, इसलिए जल्द से जल्द अनिल को सुलाने के लिए उसकी बात को मानने के अलावा उसके पास कोई और चारा भी नही था..
बेचारी ने बेमन से अपना हाथ अनिल के अंडरवीयर में क़ैद उसके सोए हुए चूहे पर रख दिया..भले ही अंजलि इस वक़्त पूरी तरह से उत्तेजित थी पर अनिल तो सोया हुआ सा बैठा था वहां ..
उसके अंडरवीयर को नीचे खिसका कर अंजलि ने उसके लंड को अपनी हथेली में लेकर हिलाना शुरू कर दिया...पर उसमे कोई हरकत ही नही हुई...उसका 5 इंच का लंड इस वक़्त सिर्फ़ 2 इंच का माँस का टुकड़ा बनकर पड़ा था... अंजलि समझ गयी की इसे तैयार करने के लिए उसे कुछ अलग ही करना पड़ेगा...
और उसने अनिल को बेड पर लिटाया और उसके लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी...अंजलि की गर्म जीभ और रसीले होंठों की तपन से अनिल का लंड पिघल गया और धीरे-2 अपने आकार में आने लगा...एक मिनट के अंदर ही वो बुरी तरह से फुफ्कार रहा था...
वो उसकी बॉल्स को पूरी तरह मुंह में भरकर चूसती और फिर उन्हें निकालकर उसके लंड को चूसती