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Adultery ठरकी दामाद (With Pics)
कार चलाते हुए अजय के दिमाग़ मे अंजलि भाभी का नंगा बदन ही घूम रहा था...क्या तराशा हुआ जिस्म था उनका...अजय की नज़र शुरू से ही थी उनपर...और अब जब उन्हे चोदने का सपना साकार होने जा रहा था तो उसे खुद पर ही विश्वास नही हो रहा था...वो सोचने लगा की लेपटॉप बंद करते समय अंजलि भाभी नंगी थी..तो क्या अभी भी वो ऐसे ही बैठी होंगी..

उसका लंड तो बैठने के नाम से ही विद्रोह कर रहा था..शायद उसे भी नयी चूत की खुश्बू आ चुकी थी.

15 किलोमीटर का रास्ता सिर्फ़ 8 मिनट में तय कर लिया उसने...अंजलि भाभी का घर काफ़ी हाइफाई टाइप की कॉलोनी में था...कॉलोनी के गेट पर चौकीदार नही था वरना इतनी रात को वहां आने का रीज़न देते हुए उसे भी परेशानी होनी थी.

गाड़ी उसने घर से थोड़ा दूर ही लगा दी..

उसके पैरों आहट सुनकर अंजलि खुद ही दरवाजा खोलने बाहर आ गयी

उन्होने अपनी छाती से जाँघो तक एक टावाल लपेट रखा था
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ड्रॉयिंग रूम में घुप्प अंधेरा था...उसे कुछ दिखाई ही नही दे रहा था...अंजलि ने टेबल लॅंप जला दिया, जिसकी मद्धम रोशनी से पूरा ड्रॉयिंग रूम नहा उठा.अब वो आराम से उन्हें देख सकता था , उस टावल में भी वो बला की सेक्सी लग रही थी.

अंजलि : "बड़ी जल्दी आ गये...सिर्फ़ 10 मिनट में ...उड़ कर आये हो क्या ''

अजय ने अपने लंड के उपर दबाव डालकर उसे नीचे बिठाते हुए कहा : "जब बुलाने वाले का तरीका ही इतना सेक्सी हो तो ऐसे ही उड़ कर आया जाता है...''

जवाब में अंजलि मुस्कुरा दी और धीरे - २ चलकर अजय की तरफ आ गयी..

और अगले ही पल दोनो एक दूसरे से ऐसे गले मिले जैसे बरसो से बिछड़े प्रेमी हो...अजय ने उस टावल में लिपटी हूरपरी के मखमली बदन को पकड़कर बुरी तरह से निचोड़ डाला...और दोनो एक दूसरे के होंठों पर ऐसे टूट पड़े जैसे सुबह से दोनो ने नाश्ता ही नही किया..दोनो को एक दूसरे के होंठ इतने लज़ीज़ लग रहे थे की करीब 5 मिनट तक तो वो साँस लेना भी शायद भूल गये थे..
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अजय तो ऐसे बेसबरा हुआ पड़ा था की अंजलि ने जब किस्स तोड़ी तो उसकी गर्दन को ड्रॅक्यूला की तरह से चूसने लगा..और फिर थोड़ा नीचे आकर टावल के उपर से ही उनके बूब्स को काट लिया जिसकी वजह से अंजलि तड़प उठी..शायद अजय जैसा जंगली उसे पहली बार नसीब हुआ था क्योंकि दर्द होने के बावजूद वो उसके जंगलिपन को एंजाय कर रही थी...ऐसे ही टावल के उपर से किस्स करता हुआ वो उनके पेट पर दाँत गाड़ रहा था..और नीचे बैठकर तो उसने एक जोरदार झटके से उनकी चूत को ही अपने मुंह की तरफ खींच लिया...पर बीच में टावल आ जाने की वजह से वो सीधा उसपर काट नही पाया..लेकिन उसमे से आ रही मादक खुश्बू को सूँघकर वो ये ज़रूर समझ गया की अंदर का क्या हाल है, गीली चूत में से निकल रहे जूस की गंध उसे विचलित कर रही थी..और वो उस जूस को पीने के लिए लालायित हो उठा.

और उसने अपना मुँह उनके टावल के अंदर घुसेड कर अपनी बलिष्ट भुजाओं का प्रयोग करते हुए उन्हे उपर हवा में उठा लिया..अंजलि ने बड़ी मुश्किल से अपने दोनो पैरों को उसके कंधो के दोनो तरफ करके बॅलेन्स बनाया वरना वो गिर ही पड़ती और बाकी का सहारा उसे पीछे की दीवार से मिला...और वो बड़े मज़े से दीवार के सहारे अपनी पीठ लगाकर हवा में लटक कर अजय से अपनी चूत चुसवाने का मज़ा लेने लगी.
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अजय के होंठ जब उसकी रसीली चूत से टकराए तो उसे ऐसा लगा की मेंगो शेक से भरे बर्तन में मुँह डाल दिया है...इतना गाड़ा और रसीला रस निकल रहा था उसमे से की वो अपने उपर कंट्रोल ही नही रख पाया और उसने उसकी चूत के दाने तक को मुँह में लेकर चुभला डाला...अजय के दोनो हाथ उसकी गदराई गांड को भी गूंधने में लगे हुए थे..

अपनी क्लिट पर अजय की गर्म जीभ का हमला महसूस करते ही अंजलि तड़प उठी...और उसने सिसकारी मारते हुए अजय के बालों को पकड़ कर उसे और अंदर खींच लिया...और एक मिनट के अंदर ही वो झड़ भी गयी...

ऐसा पहली बार हुआ था अंजलि की लाइफ में जब वो इतनी जल्दी झड़ी थी ...और वो सोचने लगी की जब अजय ने सिर्फ़ एक मिनट के अंदर उसे झाड़ दिया है तो आने वाले घंटो में वो उसका क्या हाल करेगा इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल था काफ़ी..

अजय भी ढेर सारी मलाई का वेग अपने चेहरे पर महसूस करके समझ गया की अंजलि भाभी झड़ चुकी है..उसने धीरे-2 उन्हे अपनी क्रेन से नीचे उतार दिया..मुस्कुराती हुई अंजलि ने उसके चेहरे पर लगे अपने ही रस को चूसते हुए उसे एक बार फिर से एक गहरी स्मूच में बदल दिया.

अजय की टी शर्ट और पायजामा उतार कर अंजलि ने पल भर में ही उसे सिर्फ़ जोक्की में खड़ा कर दिया..और खुद उसके सामने सोफे पर बैठकर अंडरवीयर के उपर से ही उसके उभार को महसूस करते हुए सिसकारिया लेने लगी.

और उसकी आँखो में देखते हुए बोली : "काफ़ी तगड़ा शेर है तुम्हारे पिंजरे में ...''

अजय : "इसके तगड़ेपन का अंदाज़ा तो आपको तब होगा भाभी जब ये तुम्हारी मांड में घुसकर तुम्हे मज़े देगा...लेकिन उस से पहले इसे थोड़ा गीला तो कर दो..''

अंजलि को दोबारा बोलने की ज़रूरत नही पड़ी की अजय क्या चाहता है.

उसने तुरंत उसके लंड को बेपर्दा करते हुए अपनी जीभ से उसे सहलाया..उसे गीला किया , उसकी बॉल्स को चूसा और फिर धीरे-2 उसके सुपाड़े समेत पूरा का पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया..

अजय भी उसकी कलाकारी का कायल हो गया...उसके लंबे लंड को आज तक प्राची भी पूरा अंदर नही ले पाई थी...और अंजलि ने कितनी आसानी से उसे हलक तक अंदर लेकर चूस डाला..
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अजय : "उम्म्म्म...शाबाश भाभी....शाबाश....ऐसे ही करो....मज़ा आ रहा है....''
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RE: ठरकी दामाद (With Pics) - by badmaster122 - 17-07-2022, 03:05 PM



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