19-07-2022, 03:05 PM
मैंने डार्क ब्लू रंग की हल्की फैडेड जीन्स और उसके ऊपर ब्राउन रंग की फुल स्लीव शर्ट अंडरशर्ट करके पहनी हुई थी. शर्ट में काले रंग की धारियां थीं. कमर में ब्राउन रंग की बेल्ट और खुले बाल दोनों कन्धों पर लटक रहे थे. नीचे ग्रे रंग की हाई हील सैंडल. मैं बहुत ही स्मार्ट, मॉडर्न और आत्मविश्वास से भरी हुई लग रही थी. मेरा हाहाकारी बदन ऐसे कपड़ों में बहुत शिष्ट और सभ्य लग रहा था. मुझे काम पर ऐसे ही सभ्य और शालीन बन कर जाना था.
मैं घर पर ताला लगा कर जल्दी-जल्दी घर से बाहर निकली. मैं बिलकुल भी समय बरबाद नहीं करना चाहती थी. आज मेरा आई.आई.ए. का पहला दिन था, और मैं आज ही लेट नहीं पहुँचाना चाहती थी. मैंने सचिन श्रीवास्तव को पहले ही कॉल कर दिया था, वो मेरी गाड़ी लेकर आता ही होगा. "क्या मुझे एक और गाड़ी ले लेनी चाहिए" मैं सोच रही थी.
.........[[[[[[रश्मि के पिता उदय प्रताप सिंह राणा जैसलमेर राज परिवार से थे. मृत्यु के बाद उन्होंने सारी संपत्ति रश्मि मंडल के नाम कर दी थी. रश्मि अकूत संपत्ति की मालकिन थी.-------- यह पेज 1 में पढ़िए]]]]]]]]...........
तभी मुझे सचिन आता हुआ दिखाई दिया. गाड़ी रोकते ही उसने मुझसे पूछा "क्या अमर सिंह रात भर यहाँ रुका हुआ था? मैंने उसे अभी जाते हुए देखा". उसके चेहरे पर अजीब से उलझन का भाव था. "हाँ, काफी लेट हो गया था" मैंने उसका बांह पकड़ कर उसे कार से बाहर निकालते हुए कहा. मैं जल्दी से अपने मंजिल की ओर बढ़ जाना चाहती थी.
"पर तुम्हें तो अमर कुछ खास पसंद नहीं था ना" सचिन ने चेहरे पर नाराजगी का भाव लाते हुए कहा. उसे लग रहा होगा, जो वो मुझसे चाहता है कहीं वह अमर ने हासिल तो नहीं कर लिया? पर मैं बहुत जल्दबाजी में थी. "काफी रात हो गयी थी, मुझे किसी इन्सान को ऐसे रात में नशे की हालत में भेजना अच्छा नहीं लगा. वो भी वह इन्सान जिसने मेरी मदद की हो. मेरा घर है, मैं जिसे भी रोकूं, तुझे क्या करना है?" मैंने बेटूक जवाब दिया. सचिन का मुंह उतर गया. मैं उसे वहीँ छोड़ कर अपना मालबोरो लाइट जलाते हुए आगे बढ़ गयी.
मैं 7:50 सुबह ऑफिस की पार्किंग में थी. मैंने बहुत फुर्ती से वहाँ गाड़ी पार्क की फिर लिफ्ट से बेसमेंट की तरफ जाने लगी. सिक्यूरिटी ऑफिसर्स अभी भी अपनी जगह चुस्ती से तैनात खड़े थे.नीचे पहुँचने पर मेरी पहली मुलाक़ात एजेंट पूजा से हुई. वही एजेंट पूजा जिन्हें हमारा फिजिकल एक्सामिनेशन करना था पर फिर उनके बदले खुद जूलिया मैम ने मेरा और लिली का फिजिकल एक्सामिनेशन लिया था. एजेंट पूजा से मुझे पता चला हम 5 लडकियाँ एजेंसी में सलेक्ट हुई हैं. मेरी ख़ुशी का ठिकाना ना था, मैंने इतनी सारी लड़कियों में टॉप 5 में अपना स्थान बनाया था. और टॉप 5 क्या मैं इस बैच की टॉपर थी, यह बात मुझे पता चली जब अभी एजेंट पूजा और एजेंट कामिनी ने मुझे आकर बधाई दी. मैं बहुत प्राउड फील कर रही थी.
मैं थोड़ा चकित थी, अभी मैं वहां अकेली थी और बाकि 4 लड़कियां नदारत थी. "हो सकता है इन्होने सबको अलग-अलग समय पर बुलाया हो" मैंने सोचा. तभी एजेंट पूजा वहां आई और उसने मुझे बताया कि हमें अब शूटिंग ट्रेनिंग के लिए जाना था पर चूँकि मैं पहले से ही शूटिंग में अनुभवी थी और ना सिर्फ अनुभवी बल्कि मुझे तो निशानेबाजी में महारत हासिल थी. तो मुझे और एजेंट लिली को सीधे शूटिंग रेंज में टेस्ट के लिए जाना था. मुझे और लिली को छोड़कर बाकी तीनों एजेंट्स को शूटिंग प्रैक्टिस में भेज दिया गया है. अब मुझे समझ आया कि क्यों बाकि एजेंट्स मुझे वहाँ नहीं दिखी. पर लिली भी यहाँ नहीं थी, वो किसलिए यहाँ नहीं थी? मैं इसी उधेड़बुन में थी तभी मुझे लिली एक वृद्ध औरत के साथ आते हुए दिखी. ये वही थी जो हमारे इंटरव्यू में थी. वो दोनों काफी हस कर बात कर रहे थे, जैसे बरसों से एक दूसरे को जानते हों. "ओह तो यही है लिली की चाची, माया मैम" मैंने अंदाजा लगाया.
जीन्स टी-शर्ट पहले लिली गजब की लग रही थी. उसने एकदम चुस्त कपड़ा पहन रखा था, मैंने देखा वो दोनों मेरी ही तरफ आ रहे थे. लिली के सीने में जो छोटे और एकदम गोल स्तन थे वे उसके कड़े टी-शर्ट से बहार आने को ललायित थे. छोटे कद की लिली जब चलते हुए मेरी ओर आ रही थी तो उसकी टाईट जीन्स जो की जसकी जंघाओं से पूरी तरह से चिकपी हुई थी, उसके सुडौल जांघों और पैरों का अहसास दे रही थी. "लिली की ऊंचाई 5 फुट भी नहीं होगी" मैंने सोचा. वह अपने सुडौल नितम्भों को मटकाते हुए, अपने छोटे क़दमों को तेजी से चलाते हुए चल रही थी. उसे देखकर मेरे मन में विचार आया, "लिली भले ही छोटे कद की थी, पर थी क़यामत. मुझे लगता है आज सुबह जो मैं सोच रही थी उसे मुझे बदलना होगा. मैं सिर्फ रीमा और जूलिया मैम नहीं, लिली के शानदार बदन और खूबसूरती से भी अपने आप को प्रभावित होने से नहीं रोक पा रही थी. उम्र में मुझसे बड़ी होने के बावजूद लिली की ऊंचाई इतनी कम थी कि अगर वो गलती से मेरी गोद में बैठती है तो वह मेरे सामने एकदम बच्ची लगेगी और मैं उसके माँ जैसी. अपने इन विचारों के साथ मैं ज्यादा देर तक नहीं रह पायी.
लिली ने पास आकर रश्मि को जानी पहचानी स्माइल दी जिसका रश्मि ने वैसे ही उत्तर दिया. रश्मि ने माया मैम को गुड मॉर्निंग विश किया, उन्होंने उसे रुखाई से "हूँ" कहा और वहां से चली गयी. रश्मि को देखते ही लिली को एक अजीब सी ख़ुशी का अहसास हुआ. वह सोच रही थी "यह लड़की कितनी खूबसूरत है! और वैसी ही मादक शरीर. इसके आगे और पीछे के उभार कितने बड़े और गदराये हुए हैं. मैं चाहती थी इसका सलेक्शन हो जाये. और जैसा की माया चाची ने बताया यह निशानेबाजी की चैम्पियन है, लगता है हमारी खूब जमेगी". उन दोनों ने एक दूसरे को हाय-हलो किया. एजेंट कामिनी ने उस दोनों को एक ओर आने के लिए इशारा किया और वो दोनों बातें करते शूटिंग टेस्ट के लिए जाने लगे.लिली बहुत ही हसमुख स्वाभाव की लड़की थी.वह रास्ते भर रश्मि को हसाती रही.थोड़ी ही देर में उन दोनों में बहुत अच्छी दोस्ती हो गयी.
लिली असम की थी और उसकी चाची माया मैम यहाँ काफी सीनियर मैनेजमेंट ऑफिसर थीं. 5 घंटे तक तक हम दोनों ने अलग-अलग दूरी के लिए अलग-अलग रेंज पर अपना टेस्ट दिया. यह मेरा पहला दिन है, मैं पूरे जोश में हूँ और मेरे साथ लिली भी. हमने खूब सारी बातें की, एक-दूसरे को जाना-समझा. लिली अभी अपनी चाची के घर ही रुकी हुई थी, उसने मुझे बताया वह रहने के लिए किराये में घर ढूढ़ रही है. मैंने सोचा अपने घर में ही रख लेती हूँ. इतनी जगह तो है, इतना बड़ा घर है. मेरा अकेलापन भी दूर हो जायेगा, रेंट भी नहीं लूंगी तो भी चलेगा मुझे तो. मैंने उसे कहा "मेरे घर पर रह लो, ऊपर का 2 फ्लोर पूरा खाली है. अकेले रहती हूँ इतने बड़े घर में भूत जैसे. मुझे रेंट भी मत देना तुम". "अरे रेंट क्यों नहीं दूँगी मैं, ऐसे थोड़ी अच्छा लगता है? मैं आती हूँ देखने कल और पसंद आया तो कल ही शिफ्ट भी हो जाउंगी". "पधारो फिर" मैंने उसे हँसते हुए कहा. हम दोनों के बातों का सिलसिला चल ही रहा था तभी एजेंट कामिनी ने हमें आकर बताया हम दोनों ने अच्छा किया और हमें यहाँ से क्लियर कर दिया गया है. हमें बताया गया कि कुछ ही दिनों में हमारी जूलिया मैम से मुलाक़ात होगी और वो हमें हमारे पहले मिशन के लिए सारा डिटेल्स देंगी. फिर हमें वहां से डिस्चार्ज कर दिया गया. मैंने लिली को बाय कहा और वहाँ से घर के लिए निकल गयी.
रश्मि घर पहुँचने वाली थी तभी उसका फ़ोन रिंग होना स्टार्ट हुआ. उसने दायें हाथ से स्टेरिंग ड्राइव करते हुए बाएं हाथ से फ़ोन उठा कर देखा, यह आलिया का कॉल था.
मैं घर पर ताला लगा कर जल्दी-जल्दी घर से बाहर निकली. मैं बिलकुल भी समय बरबाद नहीं करना चाहती थी. आज मेरा आई.आई.ए. का पहला दिन था, और मैं आज ही लेट नहीं पहुँचाना चाहती थी. मैंने सचिन श्रीवास्तव को पहले ही कॉल कर दिया था, वो मेरी गाड़ी लेकर आता ही होगा. "क्या मुझे एक और गाड़ी ले लेनी चाहिए" मैं सोच रही थी.
.........[[[[[[रश्मि के पिता उदय प्रताप सिंह राणा जैसलमेर राज परिवार से थे. मृत्यु के बाद उन्होंने सारी संपत्ति रश्मि मंडल के नाम कर दी थी. रश्मि अकूत संपत्ति की मालकिन थी.-------- यह पेज 1 में पढ़िए]]]]]]]]...........
तभी मुझे सचिन आता हुआ दिखाई दिया. गाड़ी रोकते ही उसने मुझसे पूछा "क्या अमर सिंह रात भर यहाँ रुका हुआ था? मैंने उसे अभी जाते हुए देखा". उसके चेहरे पर अजीब से उलझन का भाव था. "हाँ, काफी लेट हो गया था" मैंने उसका बांह पकड़ कर उसे कार से बाहर निकालते हुए कहा. मैं जल्दी से अपने मंजिल की ओर बढ़ जाना चाहती थी.
"पर तुम्हें तो अमर कुछ खास पसंद नहीं था ना" सचिन ने चेहरे पर नाराजगी का भाव लाते हुए कहा. उसे लग रहा होगा, जो वो मुझसे चाहता है कहीं वह अमर ने हासिल तो नहीं कर लिया? पर मैं बहुत जल्दबाजी में थी. "काफी रात हो गयी थी, मुझे किसी इन्सान को ऐसे रात में नशे की हालत में भेजना अच्छा नहीं लगा. वो भी वह इन्सान जिसने मेरी मदद की हो. मेरा घर है, मैं जिसे भी रोकूं, तुझे क्या करना है?" मैंने बेटूक जवाब दिया. सचिन का मुंह उतर गया. मैं उसे वहीँ छोड़ कर अपना मालबोरो लाइट जलाते हुए आगे बढ़ गयी.
मैं 7:50 सुबह ऑफिस की पार्किंग में थी. मैंने बहुत फुर्ती से वहाँ गाड़ी पार्क की फिर लिफ्ट से बेसमेंट की तरफ जाने लगी. सिक्यूरिटी ऑफिसर्स अभी भी अपनी जगह चुस्ती से तैनात खड़े थे.नीचे पहुँचने पर मेरी पहली मुलाक़ात एजेंट पूजा से हुई. वही एजेंट पूजा जिन्हें हमारा फिजिकल एक्सामिनेशन करना था पर फिर उनके बदले खुद जूलिया मैम ने मेरा और लिली का फिजिकल एक्सामिनेशन लिया था. एजेंट पूजा से मुझे पता चला हम 5 लडकियाँ एजेंसी में सलेक्ट हुई हैं. मेरी ख़ुशी का ठिकाना ना था, मैंने इतनी सारी लड़कियों में टॉप 5 में अपना स्थान बनाया था. और टॉप 5 क्या मैं इस बैच की टॉपर थी, यह बात मुझे पता चली जब अभी एजेंट पूजा और एजेंट कामिनी ने मुझे आकर बधाई दी. मैं बहुत प्राउड फील कर रही थी.
मैं थोड़ा चकित थी, अभी मैं वहां अकेली थी और बाकि 4 लड़कियां नदारत थी. "हो सकता है इन्होने सबको अलग-अलग समय पर बुलाया हो" मैंने सोचा. तभी एजेंट पूजा वहां आई और उसने मुझे बताया कि हमें अब शूटिंग ट्रेनिंग के लिए जाना था पर चूँकि मैं पहले से ही शूटिंग में अनुभवी थी और ना सिर्फ अनुभवी बल्कि मुझे तो निशानेबाजी में महारत हासिल थी. तो मुझे और एजेंट लिली को सीधे शूटिंग रेंज में टेस्ट के लिए जाना था. मुझे और लिली को छोड़कर बाकी तीनों एजेंट्स को शूटिंग प्रैक्टिस में भेज दिया गया है. अब मुझे समझ आया कि क्यों बाकि एजेंट्स मुझे वहाँ नहीं दिखी. पर लिली भी यहाँ नहीं थी, वो किसलिए यहाँ नहीं थी? मैं इसी उधेड़बुन में थी तभी मुझे लिली एक वृद्ध औरत के साथ आते हुए दिखी. ये वही थी जो हमारे इंटरव्यू में थी. वो दोनों काफी हस कर बात कर रहे थे, जैसे बरसों से एक दूसरे को जानते हों. "ओह तो यही है लिली की चाची, माया मैम" मैंने अंदाजा लगाया.
जीन्स टी-शर्ट पहले लिली गजब की लग रही थी. उसने एकदम चुस्त कपड़ा पहन रखा था, मैंने देखा वो दोनों मेरी ही तरफ आ रहे थे. लिली के सीने में जो छोटे और एकदम गोल स्तन थे वे उसके कड़े टी-शर्ट से बहार आने को ललायित थे. छोटे कद की लिली जब चलते हुए मेरी ओर आ रही थी तो उसकी टाईट जीन्स जो की जसकी जंघाओं से पूरी तरह से चिकपी हुई थी, उसके सुडौल जांघों और पैरों का अहसास दे रही थी. "लिली की ऊंचाई 5 फुट भी नहीं होगी" मैंने सोचा. वह अपने सुडौल नितम्भों को मटकाते हुए, अपने छोटे क़दमों को तेजी से चलाते हुए चल रही थी. उसे देखकर मेरे मन में विचार आया, "लिली भले ही छोटे कद की थी, पर थी क़यामत. मुझे लगता है आज सुबह जो मैं सोच रही थी उसे मुझे बदलना होगा. मैं सिर्फ रीमा और जूलिया मैम नहीं, लिली के शानदार बदन और खूबसूरती से भी अपने आप को प्रभावित होने से नहीं रोक पा रही थी. उम्र में मुझसे बड़ी होने के बावजूद लिली की ऊंचाई इतनी कम थी कि अगर वो गलती से मेरी गोद में बैठती है तो वह मेरे सामने एकदम बच्ची लगेगी और मैं उसके माँ जैसी. अपने इन विचारों के साथ मैं ज्यादा देर तक नहीं रह पायी.
लिली ने पास आकर रश्मि को जानी पहचानी स्माइल दी जिसका रश्मि ने वैसे ही उत्तर दिया. रश्मि ने माया मैम को गुड मॉर्निंग विश किया, उन्होंने उसे रुखाई से "हूँ" कहा और वहां से चली गयी. रश्मि को देखते ही लिली को एक अजीब सी ख़ुशी का अहसास हुआ. वह सोच रही थी "यह लड़की कितनी खूबसूरत है! और वैसी ही मादक शरीर. इसके आगे और पीछे के उभार कितने बड़े और गदराये हुए हैं. मैं चाहती थी इसका सलेक्शन हो जाये. और जैसा की माया चाची ने बताया यह निशानेबाजी की चैम्पियन है, लगता है हमारी खूब जमेगी". उन दोनों ने एक दूसरे को हाय-हलो किया. एजेंट कामिनी ने उस दोनों को एक ओर आने के लिए इशारा किया और वो दोनों बातें करते शूटिंग टेस्ट के लिए जाने लगे.लिली बहुत ही हसमुख स्वाभाव की लड़की थी.वह रास्ते भर रश्मि को हसाती रही.थोड़ी ही देर में उन दोनों में बहुत अच्छी दोस्ती हो गयी.
लिली असम की थी और उसकी चाची माया मैम यहाँ काफी सीनियर मैनेजमेंट ऑफिसर थीं. 5 घंटे तक तक हम दोनों ने अलग-अलग दूरी के लिए अलग-अलग रेंज पर अपना टेस्ट दिया. यह मेरा पहला दिन है, मैं पूरे जोश में हूँ और मेरे साथ लिली भी. हमने खूब सारी बातें की, एक-दूसरे को जाना-समझा. लिली अभी अपनी चाची के घर ही रुकी हुई थी, उसने मुझे बताया वह रहने के लिए किराये में घर ढूढ़ रही है. मैंने सोचा अपने घर में ही रख लेती हूँ. इतनी जगह तो है, इतना बड़ा घर है. मेरा अकेलापन भी दूर हो जायेगा, रेंट भी नहीं लूंगी तो भी चलेगा मुझे तो. मैंने उसे कहा "मेरे घर पर रह लो, ऊपर का 2 फ्लोर पूरा खाली है. अकेले रहती हूँ इतने बड़े घर में भूत जैसे. मुझे रेंट भी मत देना तुम". "अरे रेंट क्यों नहीं दूँगी मैं, ऐसे थोड़ी अच्छा लगता है? मैं आती हूँ देखने कल और पसंद आया तो कल ही शिफ्ट भी हो जाउंगी". "पधारो फिर" मैंने उसे हँसते हुए कहा. हम दोनों के बातों का सिलसिला चल ही रहा था तभी एजेंट कामिनी ने हमें आकर बताया हम दोनों ने अच्छा किया और हमें यहाँ से क्लियर कर दिया गया है. हमें बताया गया कि कुछ ही दिनों में हमारी जूलिया मैम से मुलाक़ात होगी और वो हमें हमारे पहले मिशन के लिए सारा डिटेल्स देंगी. फिर हमें वहां से डिस्चार्ज कर दिया गया. मैंने लिली को बाय कहा और वहाँ से घर के लिए निकल गयी.
रश्मि घर पहुँचने वाली थी तभी उसका फ़ोन रिंग होना स्टार्ट हुआ. उसने दायें हाथ से स्टेरिंग ड्राइव करते हुए बाएं हाथ से फ़ोन उठा कर देखा, यह आलिया का कॉल था.