11-07-2022, 05:53 PM
भाभी- ठीक है बाबा कर लो अपनी इच्छा की पूर्ति.
मैंने देर नहीं लगाई और चालू हो गया. मेरा लंड तो वैसे भी अभी भाभी की खूबसूरत जवानी को देखकर खड़े होने में ज्यादा टाइम नहीं ले रहा था.
जैसे ही लंड तन कर तैयार हुआ, वैसे ही मैंने भाभी की चूत में लंड धकेल दिया और बड़ी ही तेजी से चुदाई करना शुरू कर दिया.
भाभी ने भी अपनी टांगें चौड़ी कर दीं और बड़ी मस्ती से मेरा लंड अपनी चूत में लेने लगीं.
दोनों इस अद्भुत चुदाई का आनन्द ले रहे थे. इस बार काफी देर तक धमाधम चुदाई हुई और अंत में हम दोनों एक दूसरे को संतुष्ट करके झड़ गए.
मैं फिर भाभी के ऊपर से हट गया और बाथरूम में चला गया.
फ्रेश होकर जब वापस अपने कमरे में आया, तो देखा कि भाभी गहरी नींद में सो चुकी थीं.
भाभी बहुत ज्यादा थक चुकी थीं, इसलिए मैंने उनको नींद से नहीं जगाया, सोने दिया.
दो घंटे के बाद मैंने उनको जगाया तो वो उठकर बाथरूम गईं और फ्रेश होकर बाहर आ गईं.
भाभी बहुत मुस्कुरा रही थीं और बहुत खुश भी थीं.
हम दोनों मेरे कमरे से बाहर आ गए क्योंकि अब भईया का भी ऑफिस से घर आने का समय हो गया था. हम दोनों अपने अपने काम लग गए.
अब जैसे ही भईया अपने ऑफिस जाते हैं, तो मैं लग जाता हूँ और पूरे दिन भाभी मेरी बांहों में ही गुजारती हैं.
केवल रविवार को छोड़कर, क्योंकि उस दिन भईया घर पर रहते हैं. भाभी रविवार के दिन बहुत उदास रहती हैं, क्योंकि उनको मेरे पास आने का मौका नहीं मिलता है. मैं भी भाभी फक नहीं कर पाता.
पिछले तीन महीने से मैं और भाभी खूब चुदाई कर रहे हैं और मेरा और भाभी का प्यार खूब परवान चढ़ गया है.
मैंने देर नहीं लगाई और चालू हो गया. मेरा लंड तो वैसे भी अभी भाभी की खूबसूरत जवानी को देखकर खड़े होने में ज्यादा टाइम नहीं ले रहा था.
जैसे ही लंड तन कर तैयार हुआ, वैसे ही मैंने भाभी की चूत में लंड धकेल दिया और बड़ी ही तेजी से चुदाई करना शुरू कर दिया.
भाभी ने भी अपनी टांगें चौड़ी कर दीं और बड़ी मस्ती से मेरा लंड अपनी चूत में लेने लगीं.
दोनों इस अद्भुत चुदाई का आनन्द ले रहे थे. इस बार काफी देर तक धमाधम चुदाई हुई और अंत में हम दोनों एक दूसरे को संतुष्ट करके झड़ गए.
मैं फिर भाभी के ऊपर से हट गया और बाथरूम में चला गया.
फ्रेश होकर जब वापस अपने कमरे में आया, तो देखा कि भाभी गहरी नींद में सो चुकी थीं.
भाभी बहुत ज्यादा थक चुकी थीं, इसलिए मैंने उनको नींद से नहीं जगाया, सोने दिया.
दो घंटे के बाद मैंने उनको जगाया तो वो उठकर बाथरूम गईं और फ्रेश होकर बाहर आ गईं.
भाभी बहुत मुस्कुरा रही थीं और बहुत खुश भी थीं.
हम दोनों मेरे कमरे से बाहर आ गए क्योंकि अब भईया का भी ऑफिस से घर आने का समय हो गया था. हम दोनों अपने अपने काम लग गए.
अब जैसे ही भईया अपने ऑफिस जाते हैं, तो मैं लग जाता हूँ और पूरे दिन भाभी मेरी बांहों में ही गुजारती हैं.
केवल रविवार को छोड़कर, क्योंकि उस दिन भईया घर पर रहते हैं. भाभी रविवार के दिन बहुत उदास रहती हैं, क्योंकि उनको मेरे पास आने का मौका नहीं मिलता है. मैं भी भाभी फक नहीं कर पाता.
पिछले तीन महीने से मैं और भाभी खूब चुदाई कर रहे हैं और मेरा और भाभी का प्यार खूब परवान चढ़ गया है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
