11-07-2022, 05:52 PM
2
मेरी स्वाति भाभी घर में हमेशा गाउन ही पहनती हैं.
मैं भाभी के गाउन के ऊपर से ही भाभी के दोनों स्तनों को बड़ी बेरहमी से दबा रहा था. इससे भाभी को मीठा दर्द हो रहा था.
भाभी ने तुरंत ही मेरा हाथ अपने स्तनों से हटा दिया और बोलने लगीं- अब तो मैं तुम्हारी बीवी हूँ, आराम से नहीं कर सकते हो क्या?
इसके बाद मैंने भाभी का गाउन खोल दिया, साथ ही साथ मैंने झट से भाभी की ब्रा और पैंटी को भी निकाल फैंका.
आह स्वाति भाभी तो एकदम अप्सरा लग रही थीं. उनके दो मध्यम आकार के गोल गोल तथा खूबसूरत चूचे देख कर तो मैं ठगा सा खड़ा रह गया. मेरी आंखें उनके दोनों स्तनों से हट ही नहीं रही थीं.
भाभी ने इठला कर अपने मम्मे हिलाए और कहा- क्या हुआ मेरी जान … इन्हें बस देखते ही रहोगे क्या? जल्दी से आगे बढ़ो ना यार!
मैं समझ गया कि इस समय भाभी बहुत गर्म हो गई थीं, उनको सब कुछ जल्दी-जल्दी करने का मन हो रहा था.
लेकिन मैं हर काम को आराम से पूरा समय देते हुए करना चाह रहा था.
अब मैं भाभी के दोनों स्तनों को बारी-बारी से स्वाद लेते हुए चूस रहा था.
भाभी भी अपने हाथ से अपने दोनों चूचों को बारी बारी से मेरे मुँह में दे रही थीं और कामुक आवाजें निकाल रही थीं- आह चूस लो मेरी जान … अह प्रवीण कब से इन्हें तुम्हारे होंठों का इन्तजार था.
मैं अपने शब्दों में भाभी के दोनों मम्मों के स्वाद का अहसास बयां नहीं कर सकता, बस इतना ही बोल सकता हूँ कि मैं भाभी के दोनों खूबसूरत संतरों के रस को चूस रहा था.
कुछ देर बाद भाभी ने कहा- मेरे पास और भी बहुत सारी चीजें ऐसी हैं जिनको तुम चूस कर मजा ले सकते हो.
मैं समझ गया और मम्मों को छोड़ कर मैं उनके पूरे शरीर को चूमते हुए नीचे आ गया. मैं भाभी की चूत के छेद पर आ गया.
मैंने देखा कि भाभी की चूत में हल्के-हल्के तथा भूरे-भूरे रंग के छोटे-छोटे बाल हैं. साथ ही साथ भाभी की चूत रसीली और थोड़ी गीली सी हो गई थी.
मैं देर न करते हुए भाभी की गीली रसीली चूत का स्वाद लेने का मन बना लिया.
फिर जैसे ही मैं उनकी चूत पर अपनी जीभ को लगाया, भाभी ने चूत ढकते हुए मुझे मना कर दिया- ये नहीं करो. मुझे तुमसे अपनी चूत नहीं चटवाना है.
मैंने कहा- क्यों इधर मेरा हक नहीं है क्या?
मेरे इतना कहते ही भाभी ने अपनी टांगें फैला दीं और मैंने उनकी चूत पर अपना मुँह रख दिया.
मैं चूत चाट रहा था और भाभी लगातार सिहर रही थीं.
कुछ ही देर में भाभी ने अपने जिस्म को अकड़ाना शुरू कर दिया.
मैं समझ गया कि भाभी अब झड़ने वाली हैं. मैं और जोर जोर से चूत को चाटने लगा.
भाभी एक तेज आवाज के साथ मेरे मुँह पर झड़ गईं और मैंने चूत का रस चाट लिया.
मेरी स्वाति भाभी घर में हमेशा गाउन ही पहनती हैं.
मैं भाभी के गाउन के ऊपर से ही भाभी के दोनों स्तनों को बड़ी बेरहमी से दबा रहा था. इससे भाभी को मीठा दर्द हो रहा था.
भाभी ने तुरंत ही मेरा हाथ अपने स्तनों से हटा दिया और बोलने लगीं- अब तो मैं तुम्हारी बीवी हूँ, आराम से नहीं कर सकते हो क्या?
इसके बाद मैंने भाभी का गाउन खोल दिया, साथ ही साथ मैंने झट से भाभी की ब्रा और पैंटी को भी निकाल फैंका.
आह स्वाति भाभी तो एकदम अप्सरा लग रही थीं. उनके दो मध्यम आकार के गोल गोल तथा खूबसूरत चूचे देख कर तो मैं ठगा सा खड़ा रह गया. मेरी आंखें उनके दोनों स्तनों से हट ही नहीं रही थीं.
भाभी ने इठला कर अपने मम्मे हिलाए और कहा- क्या हुआ मेरी जान … इन्हें बस देखते ही रहोगे क्या? जल्दी से आगे बढ़ो ना यार!
मैं समझ गया कि इस समय भाभी बहुत गर्म हो गई थीं, उनको सब कुछ जल्दी-जल्दी करने का मन हो रहा था.
लेकिन मैं हर काम को आराम से पूरा समय देते हुए करना चाह रहा था.
अब मैं भाभी के दोनों स्तनों को बारी-बारी से स्वाद लेते हुए चूस रहा था.
भाभी भी अपने हाथ से अपने दोनों चूचों को बारी बारी से मेरे मुँह में दे रही थीं और कामुक आवाजें निकाल रही थीं- आह चूस लो मेरी जान … अह प्रवीण कब से इन्हें तुम्हारे होंठों का इन्तजार था.
मैं अपने शब्दों में भाभी के दोनों मम्मों के स्वाद का अहसास बयां नहीं कर सकता, बस इतना ही बोल सकता हूँ कि मैं भाभी के दोनों खूबसूरत संतरों के रस को चूस रहा था.
कुछ देर बाद भाभी ने कहा- मेरे पास और भी बहुत सारी चीजें ऐसी हैं जिनको तुम चूस कर मजा ले सकते हो.
मैं समझ गया और मम्मों को छोड़ कर मैं उनके पूरे शरीर को चूमते हुए नीचे आ गया. मैं भाभी की चूत के छेद पर आ गया.
मैंने देखा कि भाभी की चूत में हल्के-हल्के तथा भूरे-भूरे रंग के छोटे-छोटे बाल हैं. साथ ही साथ भाभी की चूत रसीली और थोड़ी गीली सी हो गई थी.
मैं देर न करते हुए भाभी की गीली रसीली चूत का स्वाद लेने का मन बना लिया.
फिर जैसे ही मैं उनकी चूत पर अपनी जीभ को लगाया, भाभी ने चूत ढकते हुए मुझे मना कर दिया- ये नहीं करो. मुझे तुमसे अपनी चूत नहीं चटवाना है.
मैंने कहा- क्यों इधर मेरा हक नहीं है क्या?
मेरे इतना कहते ही भाभी ने अपनी टांगें फैला दीं और मैंने उनकी चूत पर अपना मुँह रख दिया.
मैं चूत चाट रहा था और भाभी लगातार सिहर रही थीं.
कुछ ही देर में भाभी ने अपने जिस्म को अकड़ाना शुरू कर दिया.
मैं समझ गया कि भाभी अब झड़ने वाली हैं. मैं और जोर जोर से चूत को चाटने लगा.
भाभी एक तेज आवाज के साथ मेरे मुँह पर झड़ गईं और मैंने चूत का रस चाट लिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
