11-07-2022, 05:50 PM
भाभी की इस गुस्से भरी भाषा को सुनकर पहले तो मैं चौंक गया.
फिर मैंने समझ लिया कि भाभी मेरे भाई से जरूरत से ज्यादा गुस्सा हैं इसलिए आज उन्होंने अपनी तड़फ मेरे सामने खोल कर रख दी.
मैंने फिर से भाभी को अपने आगोश में लिया और उन्हें समझाते हुए कहा- ठीक है स्वाति, आज से तुम सिर्फ मेरी हो. मैं तुम्हें अपनी पत्नी की तरह समझूंगा और हमेशा तुम्हें खुश रखूंगा.
भाभी एकदम से फफक फफक कर रो पड़ीं और कहने लगीं- प्रवीण, मुझे माफ़ कर दो, मैं खुद को रोक ही न पाई. मगर आज से मैं सिर्फ तुमसे प्यार करती हूँ. मुझे मेरे पति से कुछ भी लेना देना नहीं है.
मैंने भी भाभी को अपने सीने से चिपका लिया और उन्हें चुप कराने लगा.
अब हम दोनों ने एक दूसरे को अपनी बांहों में भर लिया और काफी देर बाद एक दूसरे से अलग हुए.
फिर मैंने भाभी से कहा- स्वाति, आज हम दोनों का पहला मिलन होने वाला है. इसलिए आज हम दोनों सुहागरात मनाएंगे.
भाभी कुछ नहीं बोलीं, केवल मुस्कुरा दीं.
फिर क्या था … मैंने भाभी को अपनी गोद में उठा लिया और भईया के कमरे में ले जाने लगा.
इस पर भाभी ने मुझे रोकते हुए कहा- मेरे पति का कमरा ये नहीं है, मेरे पति का कमरा वो है.
अर्थात भाभी मुझे मेरे कमरे में जाने की कह रही थीं.
फिर मैं भाभी को अपने कमरे में ले गया और अपने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया.
मैंने भाभी को चुम्बन करना शुरू कर दिया. पांच मिनट तक मैं भाभी के होंठों को बड़ी ही बेहरमी से चूसता रहा. भाभी भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं.
भाभी के मुलायम और गुलाबी होंठ चूसे जाने से और भी ज्यादा गुलाबी हो गए थे.
स्वाति भाभी बड़ी ही सेक्सी और बहुत ही खूबसूरत माल हैं, तो मुझसे रहा नहीं जा रहा था.
मैं पहले से ही जोश में था, तो मैं भाभी को भी पूरे जोश में लाना चाह रहा था.
मैं भाभी के सम्पूर्ण गदराए बदन और शरीर को अपने होंठों से बड़ी ही बेहरमी से चुम्बन किए जा रहा था.
कुछ ही देर में भाभी भी पूरे जोश में आ गई थीं और उनके मुँह से ‘आह … आह …’ की मादक आवाजें निकल रही थीं जो मुझे और भी ज्यादा और भी उत्तेजित कर रही थीं.
अब मैं और देर नहीं करना चाह रहा था.
फिर मैंने समझ लिया कि भाभी मेरे भाई से जरूरत से ज्यादा गुस्सा हैं इसलिए आज उन्होंने अपनी तड़फ मेरे सामने खोल कर रख दी.
मैंने फिर से भाभी को अपने आगोश में लिया और उन्हें समझाते हुए कहा- ठीक है स्वाति, आज से तुम सिर्फ मेरी हो. मैं तुम्हें अपनी पत्नी की तरह समझूंगा और हमेशा तुम्हें खुश रखूंगा.
भाभी एकदम से फफक फफक कर रो पड़ीं और कहने लगीं- प्रवीण, मुझे माफ़ कर दो, मैं खुद को रोक ही न पाई. मगर आज से मैं सिर्फ तुमसे प्यार करती हूँ. मुझे मेरे पति से कुछ भी लेना देना नहीं है.
मैंने भी भाभी को अपने सीने से चिपका लिया और उन्हें चुप कराने लगा.
अब हम दोनों ने एक दूसरे को अपनी बांहों में भर लिया और काफी देर बाद एक दूसरे से अलग हुए.
फिर मैंने भाभी से कहा- स्वाति, आज हम दोनों का पहला मिलन होने वाला है. इसलिए आज हम दोनों सुहागरात मनाएंगे.
भाभी कुछ नहीं बोलीं, केवल मुस्कुरा दीं.
फिर क्या था … मैंने भाभी को अपनी गोद में उठा लिया और भईया के कमरे में ले जाने लगा.
इस पर भाभी ने मुझे रोकते हुए कहा- मेरे पति का कमरा ये नहीं है, मेरे पति का कमरा वो है.
अर्थात भाभी मुझे मेरे कमरे में जाने की कह रही थीं.
फिर मैं भाभी को अपने कमरे में ले गया और अपने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया.
मैंने भाभी को चुम्बन करना शुरू कर दिया. पांच मिनट तक मैं भाभी के होंठों को बड़ी ही बेहरमी से चूसता रहा. भाभी भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं.
भाभी के मुलायम और गुलाबी होंठ चूसे जाने से और भी ज्यादा गुलाबी हो गए थे.
स्वाति भाभी बड़ी ही सेक्सी और बहुत ही खूबसूरत माल हैं, तो मुझसे रहा नहीं जा रहा था.
मैं पहले से ही जोश में था, तो मैं भाभी को भी पूरे जोश में लाना चाह रहा था.
मैं भाभी के सम्पूर्ण गदराए बदन और शरीर को अपने होंठों से बड़ी ही बेहरमी से चुम्बन किए जा रहा था.
कुछ ही देर में भाभी भी पूरे जोश में आ गई थीं और उनके मुँह से ‘आह … आह …’ की मादक आवाजें निकल रही थीं जो मुझे और भी ज्यादा और भी उत्तेजित कर रही थीं.
अब मैं और देर नहीं करना चाह रहा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.