11-07-2022, 05:49 PM
भाभी- अच्छा, एक बात बताओ कि तुम्हारे पास कोई लड़की नहीं है क्या?
मैं- नहीं भाभी. कोई लड़की पसंद ही नहीं आती केवल आप ही मुझे पसंद आती हो. आपको छोड़ कर मुझे सब बदसूरत लगती हैं.
मैंने मज़ाक में अपने दिल की बात भाभी से कह दी.
भाभी- हम्म … आप मुझको इतना पसंद करते हो, तो मुझको ही अपनी प्रेमिका बना लो न!
मैं- सच में भाभी बनोगी मेरी प्रेमिका?
भाभी- हां … हां … क्यों नहीं बनूंगी आपकी प्रेमिका. सच तो ये है देवर जी कि मैं आपको बहुत पसंद करती हूं. प्रवीण आई लव यू यार!
मैं इतना सुनते ही मैं भाभी के पास आ गया और उनको अपनी बांहों में भर लिया.
मैंने भी उनको ‘आई लव यू भाभी …’ बोल दिया.
इस पर उन्होंने दुबारा से मुझे ‘आई लव यू टू माय लव …’ कह दिया.
फिर भाभी जी और मैं एक दूसरे की बांहों से अलग हो गए.
अलग होते ही भाभी ने कहा- आज के बाद आप मुझको कभी भी भाभी नहीं बोलोगे. मेरा नाम स्वाति है और स्वाति कह कर ही बुलाओगे, ठीक है!
मैंने भी बोल दिया- ठीक है मेरी जान अब आप भी मुझे आप कह कर नहीं बुलाओगी.
इस पर स्वाति भाभी बहुत खुश हो गईं और उन्होंने भी मुझसे तुम कह कर बोलने की बात कह दी.
इसके बाद मैंने भाभी की कमर पर हाथ रखते हुए उनको अपनी ओर खींचा और उनके मुलायम व कोमल होंठों पर चुम्बन करना शुरू कर दिया.
मुझे चुम्बन करते हुए कुछ ही पल हुए थे कि भाभी ने मुझे धक्का देकर दूर कर दिया.
मैंने पूछा- क्या हुआ स्वाति?
इस पर स्वाति ने कहा- मैंने आज तक किसी भी लड़के को अपने शरीर को छूने नहीं दिया है और न ही किसी के साथ चुम्बन किया है.
मैंने कहा- तुम झूठ बोल रही हो स्वाति, भईया ने तो तुमको छुआ ही होगा और तुम्हारी चुदाई भी की होगी.
मेरे चुदाई शब्द बोलने से भाभी एकदम से गुस्सा हो गईं और मुझ पर चिल्ला कर बोलीं- अगर तेरा मादरचोद भईया मुझे तुम्हारी तरह मेरा ध्यान रखता और मुझे प्यार करता, तो मैं किसी और से आस नहीं लगाती. तुम जिस तरह से मेरी उदासी और मेरा पूरा ध्यान रखते आ रहे हो, तभी तो मैं तुम्हारी तरफ आकर्षित होती चली होती गई. मैं तुमसे सच्चा प्यार करने लग गई हूं प्रवीण. अब मेरे साथ कभी भी अपने मादरचोद भाई के बारे में बात नहीं करना और उसके बारे नहीं पूछना. उस लवड़े को अपनी बीवी की नहीं, हमेशा अपने काम की पड़ी रहती है. उसको मैं अपनी जिंदगी से कबका निकाल कर फैंक चुकी हूँ. अब मैं सिर्फ और सिर्फ तुमसे प्यार करती हूं, मुझे अपने पत्नी की तरह समझ लो प्रवीण … मुझे तुम्हारा प्यार चाहिए.
मैं- नहीं भाभी. कोई लड़की पसंद ही नहीं आती केवल आप ही मुझे पसंद आती हो. आपको छोड़ कर मुझे सब बदसूरत लगती हैं.
मैंने मज़ाक में अपने दिल की बात भाभी से कह दी.
भाभी- हम्म … आप मुझको इतना पसंद करते हो, तो मुझको ही अपनी प्रेमिका बना लो न!
मैं- सच में भाभी बनोगी मेरी प्रेमिका?
भाभी- हां … हां … क्यों नहीं बनूंगी आपकी प्रेमिका. सच तो ये है देवर जी कि मैं आपको बहुत पसंद करती हूं. प्रवीण आई लव यू यार!
मैं इतना सुनते ही मैं भाभी के पास आ गया और उनको अपनी बांहों में भर लिया.
मैंने भी उनको ‘आई लव यू भाभी …’ बोल दिया.
इस पर उन्होंने दुबारा से मुझे ‘आई लव यू टू माय लव …’ कह दिया.
फिर भाभी जी और मैं एक दूसरे की बांहों से अलग हो गए.
अलग होते ही भाभी ने कहा- आज के बाद आप मुझको कभी भी भाभी नहीं बोलोगे. मेरा नाम स्वाति है और स्वाति कह कर ही बुलाओगे, ठीक है!
मैंने भी बोल दिया- ठीक है मेरी जान अब आप भी मुझे आप कह कर नहीं बुलाओगी.
इस पर स्वाति भाभी बहुत खुश हो गईं और उन्होंने भी मुझसे तुम कह कर बोलने की बात कह दी.
इसके बाद मैंने भाभी की कमर पर हाथ रखते हुए उनको अपनी ओर खींचा और उनके मुलायम व कोमल होंठों पर चुम्बन करना शुरू कर दिया.
मुझे चुम्बन करते हुए कुछ ही पल हुए थे कि भाभी ने मुझे धक्का देकर दूर कर दिया.
मैंने पूछा- क्या हुआ स्वाति?
इस पर स्वाति ने कहा- मैंने आज तक किसी भी लड़के को अपने शरीर को छूने नहीं दिया है और न ही किसी के साथ चुम्बन किया है.
मैंने कहा- तुम झूठ बोल रही हो स्वाति, भईया ने तो तुमको छुआ ही होगा और तुम्हारी चुदाई भी की होगी.
मेरे चुदाई शब्द बोलने से भाभी एकदम से गुस्सा हो गईं और मुझ पर चिल्ला कर बोलीं- अगर तेरा मादरचोद भईया मुझे तुम्हारी तरह मेरा ध्यान रखता और मुझे प्यार करता, तो मैं किसी और से आस नहीं लगाती. तुम जिस तरह से मेरी उदासी और मेरा पूरा ध्यान रखते आ रहे हो, तभी तो मैं तुम्हारी तरफ आकर्षित होती चली होती गई. मैं तुमसे सच्चा प्यार करने लग गई हूं प्रवीण. अब मेरे साथ कभी भी अपने मादरचोद भाई के बारे में बात नहीं करना और उसके बारे नहीं पूछना. उस लवड़े को अपनी बीवी की नहीं, हमेशा अपने काम की पड़ी रहती है. उसको मैं अपनी जिंदगी से कबका निकाल कर फैंक चुकी हूँ. अब मैं सिर्फ और सिर्फ तुमसे प्यार करती हूं, मुझे अपने पत्नी की तरह समझ लो प्रवीण … मुझे तुम्हारा प्यार चाहिए.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.