11-07-2022, 05:49 PM
भईया एक प्रावेट कंपनी में काम करते हैं तो उनके पास काम की कोई कमी नहीं रहती है.
दिन भर उनको अपने काम की पड़ी रहती है और इसी के चलते भैया, भाभी को ठीक से समय नहीं दे पाते हैं.
जिस कारण से भाभी ज्यादातर उदास ही रहती हैं.
मैं उनको समझाने और उनकी उदासी को दूर करने के लिए उनके साथ हंसी मज़ाक करके उनकी उदासी दूर करने की कोशिश करता रहता था.
इसका यह नतीजा हुआ कि भाभी धीरे-धीरे मुझे काफी अच्छा लड़का समझने लगीं और मुझसे खुल कर अपनी बात साझा करने लगी थीं.
भाभी मुझसे अपनी कोई भी बात नहीं छुपाती थीं … हर बात को मुझे बता देती थीं. जैसे वो आज कौन से कपड़े पहनेंगी, उनको कौन सा रंग पसंद है … आदि कई प्रकार की बातों के बारे में वो मुझसे बात करती थीं.
इस प्रकार से भाभी अब पूरी तरह से बदल गई थीं और उनका अब लगाव भईया से कम हो गया था.
साथ ही साथ उनको भईया से कोई लेना देना नहीं रहता था, उनको तो अब मुझसे लेना देना रहता था.
अब भाभी मेरे साथ हमेशा मस्ती मजाक में रहना सीख गई थीं. उनको कोई उदासी या किसी से कोई ज्यादा लेना देना नहीं रहता था.
भाभी को हर वक्त सिर्फ मुझको देखने और मेरे साथ हंसी मजाक करने की पड़ी रहने लगी थी.
अगर मैं किसी रोज किसी काम के लिए बाहर चला जाता था तो भाभी मेरे पास हर आधे-आधे घंटे में कॉल करके पूछती रहती थीं कि कितने समय तक घर आ जाओगे.
वे कहती थी- आपके बिना मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा है, जल्दी घर आ जाओ न … मैं आपको बहुत ज्यादा याद कर रही हूँ.
दोस्तो, मैं आपको बता देना चाहता हूँ कि वो इस तरह से कभी भी अपने पति के पास भी कॉल करके उनको नहीं बोलती थीं.
वस्तुस्थिति ये हो गई थी कि मेरी भाभी को भैईया में अपना भविष्य का कुछ भी दिखाई नहीं पड़ रहा था.
इस प्रकार से भाभी की मेरे प्रति चिंता करना और मेरे बारे में सभी जानकारी रखना, साथ ही साथ मुझे बार-बार कॉल करना और घर जल्दी आने की कहना मेरे ऊपर एक अलग सा प्रभाव छोड़ने लगा था.
मुझे घर में ना पाकर उनकी उदासी ने, मुझे भाभी के बारे में और ज्यादा सोचने के लिए मजबूर कर दिया था. मुझे लगने लगा था कि मुझे भाभी से उनकी चाहत के बारे में बात करनी ही चाहिए कि वो मुझसे इतना अधिक लगाव क्यों रखने लगी हैं. क्या उनके मन में मेरे लिए इस चाहत में कुछ और भी शामिल है.
फिर एक दिन वो समय आ ही गया जब मुझे मौक़ा मिल गया कि मैं भाभी को इन सभी बातों के बारे में पूछ लूं.
मैंने पूछ भी लिया कि भाभी जी आपको मेरा इतना चिन्ता क्यों रहती है? जबकि आपको तो भईया की चिंता रहनी चाहिए.
भाभी मेरी इस बात पर थोड़ा उदास हो गईं और चुप हो गईं.
मैंने बात को टालते हुए किसी और बात के बारे में बात करना शुरू कर दिया.
फिर थोड़ी देर बाद भाभी पुनः मेरे पिछले सवाल की ओर आ गईं, जिसमें मैंने पूछा था कि भाभी आपको मेरी इतनी फिक्र क्यों रहती है.
मेरी उस बात का जवाब भाभी ने देना शुरू कर दिया.
भाभी ने बताया- आप मुझे बहुत प्रिय हो, साथ ही साथ आप मुझको बहुत अच्छी तरह से समझते हो और मुझे कभी भी उदास देखना आपको पसंद नहीं है. इसलिए मैं भी आपको हमेशा खुश देखना चाहती हूं. इसी लिए मुझे आपकी बड़ी फिक्र रहती है. इसके अलावा और कोई बात नहीं है मेरे देवर बाबू … समझे!
मैंने भी बोल दिया- अगर ऐसी बात है मेरी प्यारी भाभी जी, तो आपको पहले बताना था ना!
भाभी- पहले बता देने से क्या ख़ास हो जाता देवर जी!
भाभी जी के मुँह से इस तरह की बात सुनने के बाद मुझे भाभी के साथ मजाक करने की सूझी.
मैंने भाभी को मज़ाक में बोल दिया कि आपको इसलिए पहले बताना था, ताकि मैं पहले ही आपको अपनी बीवी बना लेता. भईया को मैं आपसे शादी करने ही नहीं देता. जब आप मेरे बारे में इतना सोचती हो और मेरे लिए आप इतना फिक्र करती हो, तो मैं भी आपकी हर तरह की जरूरत को पूरी कर देता.
इस पर भाभी ने भी मज़ाक करना शुरू कर दिया- अच्छा … ऐसा है क्या … तो देवर जी अभी भी क्या बिगड़ा है? आप मुझे अभी अपनी बीवी बना लो. आपको तो भी अपनी भाभी की बड़ी चिंता रहती है ना?
मैंने भी बोल दिया- हां यार भाभी, आप उदास रहती हो ना, तो मुझे अच्छा नहीं लगता है. आपकी शक्ल पर मुझे खुशी बहुत अच्छी लगती है. देखिए न … आप अभी हंस रही हो, तो कितनी खूबसूरत लग रही हो.
भाभी- अच्छा-अच्छा अब तारीफ बंद करो.
मैंने कहा- सच में भाभी, काश आपकी तरह कोई खूबसूरत सी लड़की मुझे भी मिल जाए.
दिन भर उनको अपने काम की पड़ी रहती है और इसी के चलते भैया, भाभी को ठीक से समय नहीं दे पाते हैं.
जिस कारण से भाभी ज्यादातर उदास ही रहती हैं.
मैं उनको समझाने और उनकी उदासी को दूर करने के लिए उनके साथ हंसी मज़ाक करके उनकी उदासी दूर करने की कोशिश करता रहता था.
इसका यह नतीजा हुआ कि भाभी धीरे-धीरे मुझे काफी अच्छा लड़का समझने लगीं और मुझसे खुल कर अपनी बात साझा करने लगी थीं.
भाभी मुझसे अपनी कोई भी बात नहीं छुपाती थीं … हर बात को मुझे बता देती थीं. जैसे वो आज कौन से कपड़े पहनेंगी, उनको कौन सा रंग पसंद है … आदि कई प्रकार की बातों के बारे में वो मुझसे बात करती थीं.
इस प्रकार से भाभी अब पूरी तरह से बदल गई थीं और उनका अब लगाव भईया से कम हो गया था.
साथ ही साथ उनको भईया से कोई लेना देना नहीं रहता था, उनको तो अब मुझसे लेना देना रहता था.
अब भाभी मेरे साथ हमेशा मस्ती मजाक में रहना सीख गई थीं. उनको कोई उदासी या किसी से कोई ज्यादा लेना देना नहीं रहता था.
भाभी को हर वक्त सिर्फ मुझको देखने और मेरे साथ हंसी मजाक करने की पड़ी रहने लगी थी.
अगर मैं किसी रोज किसी काम के लिए बाहर चला जाता था तो भाभी मेरे पास हर आधे-आधे घंटे में कॉल करके पूछती रहती थीं कि कितने समय तक घर आ जाओगे.
वे कहती थी- आपके बिना मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा है, जल्दी घर आ जाओ न … मैं आपको बहुत ज्यादा याद कर रही हूँ.
दोस्तो, मैं आपको बता देना चाहता हूँ कि वो इस तरह से कभी भी अपने पति के पास भी कॉल करके उनको नहीं बोलती थीं.
वस्तुस्थिति ये हो गई थी कि मेरी भाभी को भैईया में अपना भविष्य का कुछ भी दिखाई नहीं पड़ रहा था.
इस प्रकार से भाभी की मेरे प्रति चिंता करना और मेरे बारे में सभी जानकारी रखना, साथ ही साथ मुझे बार-बार कॉल करना और घर जल्दी आने की कहना मेरे ऊपर एक अलग सा प्रभाव छोड़ने लगा था.
मुझे घर में ना पाकर उनकी उदासी ने, मुझे भाभी के बारे में और ज्यादा सोचने के लिए मजबूर कर दिया था. मुझे लगने लगा था कि मुझे भाभी से उनकी चाहत के बारे में बात करनी ही चाहिए कि वो मुझसे इतना अधिक लगाव क्यों रखने लगी हैं. क्या उनके मन में मेरे लिए इस चाहत में कुछ और भी शामिल है.
फिर एक दिन वो समय आ ही गया जब मुझे मौक़ा मिल गया कि मैं भाभी को इन सभी बातों के बारे में पूछ लूं.
मैंने पूछ भी लिया कि भाभी जी आपको मेरा इतना चिन्ता क्यों रहती है? जबकि आपको तो भईया की चिंता रहनी चाहिए.
भाभी मेरी इस बात पर थोड़ा उदास हो गईं और चुप हो गईं.
मैंने बात को टालते हुए किसी और बात के बारे में बात करना शुरू कर दिया.
फिर थोड़ी देर बाद भाभी पुनः मेरे पिछले सवाल की ओर आ गईं, जिसमें मैंने पूछा था कि भाभी आपको मेरी इतनी फिक्र क्यों रहती है.
मेरी उस बात का जवाब भाभी ने देना शुरू कर दिया.
भाभी ने बताया- आप मुझे बहुत प्रिय हो, साथ ही साथ आप मुझको बहुत अच्छी तरह से समझते हो और मुझे कभी भी उदास देखना आपको पसंद नहीं है. इसलिए मैं भी आपको हमेशा खुश देखना चाहती हूं. इसी लिए मुझे आपकी बड़ी फिक्र रहती है. इसके अलावा और कोई बात नहीं है मेरे देवर बाबू … समझे!
मैंने भी बोल दिया- अगर ऐसी बात है मेरी प्यारी भाभी जी, तो आपको पहले बताना था ना!
भाभी- पहले बता देने से क्या ख़ास हो जाता देवर जी!
भाभी जी के मुँह से इस तरह की बात सुनने के बाद मुझे भाभी के साथ मजाक करने की सूझी.
मैंने भाभी को मज़ाक में बोल दिया कि आपको इसलिए पहले बताना था, ताकि मैं पहले ही आपको अपनी बीवी बना लेता. भईया को मैं आपसे शादी करने ही नहीं देता. जब आप मेरे बारे में इतना सोचती हो और मेरे लिए आप इतना फिक्र करती हो, तो मैं भी आपकी हर तरह की जरूरत को पूरी कर देता.
इस पर भाभी ने भी मज़ाक करना शुरू कर दिया- अच्छा … ऐसा है क्या … तो देवर जी अभी भी क्या बिगड़ा है? आप मुझे अभी अपनी बीवी बना लो. आपको तो भी अपनी भाभी की बड़ी चिंता रहती है ना?
मैंने भी बोल दिया- हां यार भाभी, आप उदास रहती हो ना, तो मुझे अच्छा नहीं लगता है. आपकी शक्ल पर मुझे खुशी बहुत अच्छी लगती है. देखिए न … आप अभी हंस रही हो, तो कितनी खूबसूरत लग रही हो.
भाभी- अच्छा-अच्छा अब तारीफ बंद करो.
मैंने कहा- सच में भाभी, काश आपकी तरह कोई खूबसूरत सी लड़की मुझे भी मिल जाए.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.