11-07-2022, 04:58 PM
बुआ- आज आयी हुई मेरी सहेलियों में से तुझे कोई पसंद आई?
मैं- हां, वो तो तीनों ही बड़ी सेक्सी थीं. पर आज जब वो जा रही थीं, तो नीलिमा आंटी ने मेरा लंड पैंट में खड़ा देख लिया था और हंसकर चली गयी थीं.
बुआ इस पर हंसते हुए बोलीं- तो तुझे नीलिमा मस्त लगी. तू चाहे तो मैं उससे बात करूं? वो भी एक नम्बर की चुदक्कड़ औरत है. आज तक न जाने कितनों से चुद चुकी है.
मैंने कहा- बुआ वो तो अच्छी है पर अब तो मुझे आप ही पसंद हो. मैं तो आप की चूत का फैन हो गया हूं.
बुआ- अच्छा, चल चल अब ज्यादा बातें मत कर.
मैं- बुआ क्या आपकी कोई सेक्स फैंटेसी है?
बुआ- हां, मैं हमेशा से ही खुले आसमान के नीचे चुदना चाहती हूं.
मैं- अच्छा, चलिए फिर क्यों न इसे आज पूरा किया जाए.
बुआ- सच में … चल फिर हम 12:00 बजे टेरेस पर जाकर वहीं चुदाई करेंगे.
मैंने हामी भर दी. फिर रात के कुछ 12 बजे हम दो गद्दे लेकर ऊपर टेरेस पर आ गए. मैंने वहां गद्दे बिछा दिए और बुआ को ऊपर बुलाया.
मैं वहीं पर लेट गया. कुछ देर बाद बुआ आईं और आकर मेरे बाजू में लेट गईं. बाहर की ठंडी हवा मेरे हर अंग को गुदगुदा रही थी.
बुआ ने अपना एक हाथ मेरे गले में डाल दिया और एक पैर मेरे ऊपर रखकर लेट गईं. मैं उन्हें सहलाने लगा और कुछ देर बाद वो मेरे ऊपर लेट गईं और मेरे खड़े लंड को अपनी चूत पर एडजस्ट करने लगीं. लंड सैट होते ही वो एक झटके के साथ ही मेरे लौड़े पर बैठ गईं. अंधेरे में सिर्फ चांद की रोशनी में वो जैसे चमक रही थीं. मैंने उन्हें नीचे खींचा और उन्हें किस करने लगा. तभी मैंने उनके बाल भी खोल दिये.
वो अब अपने खुले बालों के साथ मेरे लंड पर कूद रही थीं और मैं उनके मम्मों को दबा रहा था.
हमारी चुदाई कुछ 20-25 मिनट चली. फिर बुआ झड़ कर मेरे ऊपर ही लेट गयी और हम वैसे ही नंगे सो गए.
मेरी नींद कुछ 4:30 के आस पास खुली, तो देखा बुआ मेरा लंड चूस रही थीं. मैंने तुरंत उन्हें लेटाया और लंड पेल कर उन्हें ताबड़तोड़ चोदने लगा. उनके चेहरे के हाव-भाव मुझे पागल कर रहे थे. उनके चेहरे पर एक अलग खुशी थी, जो उनकी संतुष्टि की थी.
हम दोनों कुछ देर की चुदाई के बाद झड़ गए और नीचे रूम में आकर सो गए.
इस तरह उस रात मैंने बुआ को घर में चोदा चुदाई से पूरी तरह संतुष्ट कर दिया.
मैं- हां, वो तो तीनों ही बड़ी सेक्सी थीं. पर आज जब वो जा रही थीं, तो नीलिमा आंटी ने मेरा लंड पैंट में खड़ा देख लिया था और हंसकर चली गयी थीं.
बुआ इस पर हंसते हुए बोलीं- तो तुझे नीलिमा मस्त लगी. तू चाहे तो मैं उससे बात करूं? वो भी एक नम्बर की चुदक्कड़ औरत है. आज तक न जाने कितनों से चुद चुकी है.
मैंने कहा- बुआ वो तो अच्छी है पर अब तो मुझे आप ही पसंद हो. मैं तो आप की चूत का फैन हो गया हूं.
बुआ- अच्छा, चल चल अब ज्यादा बातें मत कर.
मैं- बुआ क्या आपकी कोई सेक्स फैंटेसी है?
बुआ- हां, मैं हमेशा से ही खुले आसमान के नीचे चुदना चाहती हूं.
मैं- अच्छा, चलिए फिर क्यों न इसे आज पूरा किया जाए.
बुआ- सच में … चल फिर हम 12:00 बजे टेरेस पर जाकर वहीं चुदाई करेंगे.
मैंने हामी भर दी. फिर रात के कुछ 12 बजे हम दो गद्दे लेकर ऊपर टेरेस पर आ गए. मैंने वहां गद्दे बिछा दिए और बुआ को ऊपर बुलाया.
मैं वहीं पर लेट गया. कुछ देर बाद बुआ आईं और आकर मेरे बाजू में लेट गईं. बाहर की ठंडी हवा मेरे हर अंग को गुदगुदा रही थी.
बुआ ने अपना एक हाथ मेरे गले में डाल दिया और एक पैर मेरे ऊपर रखकर लेट गईं. मैं उन्हें सहलाने लगा और कुछ देर बाद वो मेरे ऊपर लेट गईं और मेरे खड़े लंड को अपनी चूत पर एडजस्ट करने लगीं. लंड सैट होते ही वो एक झटके के साथ ही मेरे लौड़े पर बैठ गईं. अंधेरे में सिर्फ चांद की रोशनी में वो जैसे चमक रही थीं. मैंने उन्हें नीचे खींचा और उन्हें किस करने लगा. तभी मैंने उनके बाल भी खोल दिये.
वो अब अपने खुले बालों के साथ मेरे लंड पर कूद रही थीं और मैं उनके मम्मों को दबा रहा था.
हमारी चुदाई कुछ 20-25 मिनट चली. फिर बुआ झड़ कर मेरे ऊपर ही लेट गयी और हम वैसे ही नंगे सो गए.
मेरी नींद कुछ 4:30 के आस पास खुली, तो देखा बुआ मेरा लंड चूस रही थीं. मैंने तुरंत उन्हें लेटाया और लंड पेल कर उन्हें ताबड़तोड़ चोदने लगा. उनके चेहरे के हाव-भाव मुझे पागल कर रहे थे. उनके चेहरे पर एक अलग खुशी थी, जो उनकी संतुष्टि की थी.
हम दोनों कुछ देर की चुदाई के बाद झड़ गए और नीचे रूम में आकर सो गए.
इस तरह उस रात मैंने बुआ को घर में चोदा चुदाई से पूरी तरह संतुष्ट कर दिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.