10-07-2022, 02:26 PM
भाग २
—————-
विक्रम प्रिया के होंठों पर किस करने के बाद दूसरे कमरे में आकर लेट गया । रात बहुत हो चुकी थी, वो दिन के लम्बे सफ़र से थका भी था और जो हुआ उसके बारे में सोचते सोचते ही उसे नींद से आ गयी । उधर प्रिया की उत्तेजना बढ़ी हुई थी जब से विक्रम उसे किस करके गया - वो भी उसके पति के सामने ही । विक्रम सुबह फिर चला जाएगा - शायद इसलिए भी थोड़ी बेचैनी थी ।” शायद विक्रम चाहता था की कुछ आगे हो पर उस कमरे में नहीं करना चाहता था इसलिए किस करके गया ।” ये सोचकर प्रिया थोड़ी देर बार अंधेरे में ही उठकर विक्रम के रूम की तरफ़ बढ़ी । प्रिया और विक्रम के बीच हमेशा ये एक अनकही सी बात थी । दोनो को पता नहीं था अच्छे से की दूसरा क्या चाहता है - और एक दूसरे पर कोई दबाव भी नहीं बनाना चाहते थे । बस ज़्यादातर अंधेरे के माहौल में कुछ शुरू हो जाता और फिर मन बहक सा जाता । रात के समय में कुछ ऐसे बहकना दिन के मुक़ाबले ज़्यादा आसान होता है — बस यही होता था और आज फिर यही हुआ था । विक्रम ने जिस तरह से प्रिया के होंठों को चूमा था, बल्कि थोड़ा चूसा भी था — कुछ तो और होना था आज रात ।
प्रिया धीरे से उस रूम में पहुँची जहां विक्रम सोया था । विक्रम सिंगल बेड पर सोया था — पास जाकर प्रिया ने धीरे से विक्रम को अंधेरे में ही हाथों से ढूँढा । प्रिया के हाथ विक्रम के कंधे पर लगे — विक्रम दूसरी तरफ़ चेहरा करके सोया था । एक बार को प्रिया ने सोचा की वो वापस चली जाए - पर पता नहीं क्यू उसने एक बार कंधे को थोड़ा हिला दिया । विक्रम नींद में था — पर थोड़ा जगा शायद । प्रिया को समझ नहीं आया की क्या करे वो - उसने सोचना बस थोड़ा फ़ील लेके - टच करके चली जाए वो । उसने अपना हाथ को कंधे से नीचे हाथ पर सहलाना शुरू किया । थोड़ा विक्रम के सीने की तरफ़ हाथ गया तब विक्रम शायद थोड़ा जाग गया — विक्रम ने अपना हाथ प्रिया के हाथ पर रखा और धीरे से सहलाने लगा । तभी विक्रम की साँसें थोड़ी तेज हुई और उसने पलट कर प्रिया को कमर से पकड़ कर थोड़ा अपनी तरफ़ खींच लिया । प्रिया को समझ नहीं आया की आज विक्रम कैसे इतनी हिम्मत कर गया । पर विक्रम कुछ अलग ही मूड में था — उसने प्रिया के बूब्स पकड़ लिए और ज़ोर से दबाने लगा । बीच बीच में प्रिया के पेट पर ही हाथ फिसलाने लगा । प्रिया को मज़ा आ रहा था और डर भी लग रहा था - क्यूँकि आशीष ज़्यादा दूर नहीं था — विक्रम जिस तरह से आज मूड में था , आगे कुछ भी हो सकता था । विक्रम इतनी ज़ोर से बूब्स दबा रहा था की प्रिया को आवाज़ें कंट्रोल करना मुश्किल होने लगा। विक्रम ने अब ब्लाउस के ऊपर से ही बूब्स को चूसना शुरू कर दिया — इससे प्रिया और डर गयी की ये सब तो नहीं हो सकता यहाँ अभी — जैसे ही विक्रम ने प्रिया का ब्लाउस ऊपर करने की कोशिश की — प्रिया अचानक से खुद को छुड़ाकर वापस अपने रूम में आ गयी — उसे भी कुछ और करने का मन तो था —पर पति बराबर के रूम में होते हुए नहीं । विक्रम ने भी अब कुछ और करने की कोशिश नहीं की - और सो गया ।
—————-
विक्रम प्रिया के होंठों पर किस करने के बाद दूसरे कमरे में आकर लेट गया । रात बहुत हो चुकी थी, वो दिन के लम्बे सफ़र से थका भी था और जो हुआ उसके बारे में सोचते सोचते ही उसे नींद से आ गयी । उधर प्रिया की उत्तेजना बढ़ी हुई थी जब से विक्रम उसे किस करके गया - वो भी उसके पति के सामने ही । विक्रम सुबह फिर चला जाएगा - शायद इसलिए भी थोड़ी बेचैनी थी ।” शायद विक्रम चाहता था की कुछ आगे हो पर उस कमरे में नहीं करना चाहता था इसलिए किस करके गया ।” ये सोचकर प्रिया थोड़ी देर बार अंधेरे में ही उठकर विक्रम के रूम की तरफ़ बढ़ी । प्रिया और विक्रम के बीच हमेशा ये एक अनकही सी बात थी । दोनो को पता नहीं था अच्छे से की दूसरा क्या चाहता है - और एक दूसरे पर कोई दबाव भी नहीं बनाना चाहते थे । बस ज़्यादातर अंधेरे के माहौल में कुछ शुरू हो जाता और फिर मन बहक सा जाता । रात के समय में कुछ ऐसे बहकना दिन के मुक़ाबले ज़्यादा आसान होता है — बस यही होता था और आज फिर यही हुआ था । विक्रम ने जिस तरह से प्रिया के होंठों को चूमा था, बल्कि थोड़ा चूसा भी था — कुछ तो और होना था आज रात ।
प्रिया धीरे से उस रूम में पहुँची जहां विक्रम सोया था । विक्रम सिंगल बेड पर सोया था — पास जाकर प्रिया ने धीरे से विक्रम को अंधेरे में ही हाथों से ढूँढा । प्रिया के हाथ विक्रम के कंधे पर लगे — विक्रम दूसरी तरफ़ चेहरा करके सोया था । एक बार को प्रिया ने सोचा की वो वापस चली जाए - पर पता नहीं क्यू उसने एक बार कंधे को थोड़ा हिला दिया । विक्रम नींद में था — पर थोड़ा जगा शायद । प्रिया को समझ नहीं आया की क्या करे वो - उसने सोचना बस थोड़ा फ़ील लेके - टच करके चली जाए वो । उसने अपना हाथ को कंधे से नीचे हाथ पर सहलाना शुरू किया । थोड़ा विक्रम के सीने की तरफ़ हाथ गया तब विक्रम शायद थोड़ा जाग गया — विक्रम ने अपना हाथ प्रिया के हाथ पर रखा और धीरे से सहलाने लगा । तभी विक्रम की साँसें थोड़ी तेज हुई और उसने पलट कर प्रिया को कमर से पकड़ कर थोड़ा अपनी तरफ़ खींच लिया । प्रिया को समझ नहीं आया की आज विक्रम कैसे इतनी हिम्मत कर गया । पर विक्रम कुछ अलग ही मूड में था — उसने प्रिया के बूब्स पकड़ लिए और ज़ोर से दबाने लगा । बीच बीच में प्रिया के पेट पर ही हाथ फिसलाने लगा । प्रिया को मज़ा आ रहा था और डर भी लग रहा था - क्यूँकि आशीष ज़्यादा दूर नहीं था — विक्रम जिस तरह से आज मूड में था , आगे कुछ भी हो सकता था । विक्रम इतनी ज़ोर से बूब्स दबा रहा था की प्रिया को आवाज़ें कंट्रोल करना मुश्किल होने लगा। विक्रम ने अब ब्लाउस के ऊपर से ही बूब्स को चूसना शुरू कर दिया — इससे प्रिया और डर गयी की ये सब तो नहीं हो सकता यहाँ अभी — जैसे ही विक्रम ने प्रिया का ब्लाउस ऊपर करने की कोशिश की — प्रिया अचानक से खुद को छुड़ाकर वापस अपने रूम में आ गयी — उसे भी कुछ और करने का मन तो था —पर पति बराबर के रूम में होते हुए नहीं । विक्रम ने भी अब कुछ और करने की कोशिश नहीं की - और सो गया ।