08-07-2022, 04:49 PM
"क्या सू सू ... हाँ वैसी ही है!"
ममता ने रवि का लण्ड पकड़ लिया। वो अनजाने में खड़ा हो चुका था। रवि को पहली बार ही यह विचित्र सा अहसास हो रहा था,"दीदी, छोड़ ना, यह क्या कर रही है?"
"अरे, वो देख...!" उसने पापा की ओर इशारा किया। उनके लण्ड से वीर्य छूट रहा था।
रवि के शरीर में जैसे बिजलियाँ दौड़ने लगी।
वो दोनो कमरे में वापस आ गये। ममता की आँखों में अब नींद कहाँ! उसका शरीर तो मम्मी-पापा को देख कर जलने लगा था। दोनों लेट गये।
"रवि , चल अपन भी वैसे ही करें!" ममता ने वासना से तड़पते हुये कहा।
"सच दीदी ... चल क्रीम ला ... कैसा लगेगा वैसा करने से?" रवि की आँखें चमक उठी। उसके दिल में भी वैसा करने को होने लगा। ममता जल्दी से अपनी क्रीम उठा लाई और उसे खोल कर रवि को दे दिया।
"पर दीदी! नंगा होना क्या जरूरी है, मुझे तो शर्म आयेगी!" रवि असंमजस में पड़ गया।
"हाँ, वो तो मुझे भी होना पड़ेगा! ऐसा करते हैं, अपन दोनों बस चड्डी उतार लेते हैं, फिर क्रीम लगाते हैं, बाकी कपड़े पहने रहते हैं।"
"तू तो शमीज ऊपर कर लेगी, पर मुझे तो पजामा पूरा उतरना पड़ेगा ना?"
"अरे चल ना! इतना तो अंधेरा है, कुछ नहीं दिखेगा, और बस अपन दोनों ही तो हैं!"
रवि ने सहमति में अपना सर हिला दिया। ममता ने तो अपनी कछी उतार ली, पर शमीज पहने रही। रवि को तो नीचे से पूरा नंगा होना पड़ा। पर दोनों को इस कार्य में बहुत आनन्द आ रहा था। ऐसे नंगा होना और फिर क्रीम लगाना ...! सब खेल जैसा लग रहा था। रवि का लण्ड भी अब रोमांचित हो कर कठोर हो गया था। रवि अपनी खाट से उतर कर ममता के पास चला आया था। इस उम्र में भी रवि का लंड अपने पापा जैसा लम्बा और मोटा हो चूका था!
"चल यहाँ लेट जा, अब मम्मी-पापा खेलते हैं। पहले प्यार करेंगे!" ममता उसे अपनी आग में झुलसाना चाहती थी।
उसने रवि को अपने आगोश में ले लिया। रवि को ममता के जिस्म की गर्मी महसूस होने लगी थी। उसका लण्ड भी खड़ा होकर ममता के जिस्म में ठोकर मार रहा था। दोनो लिपट गये, पर लिपटने में फ़र्क था। ममता अपनी चूत उसके लण्ड पर दबाने की कोशिश कर रही थी जबकि रवि उसे प्यार समझ रहा था।
"अब क्रीम लगाएँ...?"
"नहीं रवि , अभी और प्यार करेंगे। तू यह बनियान भी उतार दे!"
"तो आप भी शमीज उतारो दीदी!"
"ओह , यह ले...!" ममता ने अपनी शमीज उतार दी तो रवि ने भी अपनी बनियान उतार दी।
ममता ने रवि का हाथ अपने स्तनों पर रख दिया।
"दबा इसे रवि ... मसल दे इसे!" ममता ने उसके हाथों को अपने स्तनों पर भींचते हुये कहा।
रवि उसके स्तनों को मसलता-मरोड़ता रहा पर उसे तो लण्ड मसले जाने पर ही अधिक मजा आ रहा था।
ममता ने रवि का लण्ड पकड़ लिया। वो अनजाने में खड़ा हो चुका था। रवि को पहली बार ही यह विचित्र सा अहसास हो रहा था,"दीदी, छोड़ ना, यह क्या कर रही है?"
"अरे, वो देख...!" उसने पापा की ओर इशारा किया। उनके लण्ड से वीर्य छूट रहा था।
रवि के शरीर में जैसे बिजलियाँ दौड़ने लगी।
वो दोनो कमरे में वापस आ गये। ममता की आँखों में अब नींद कहाँ! उसका शरीर तो मम्मी-पापा को देख कर जलने लगा था। दोनों लेट गये।
"रवि , चल अपन भी वैसे ही करें!" ममता ने वासना से तड़पते हुये कहा।
"सच दीदी ... चल क्रीम ला ... कैसा लगेगा वैसा करने से?" रवि की आँखें चमक उठी। उसके दिल में भी वैसा करने को होने लगा। ममता जल्दी से अपनी क्रीम उठा लाई और उसे खोल कर रवि को दे दिया।
"पर दीदी! नंगा होना क्या जरूरी है, मुझे तो शर्म आयेगी!" रवि असंमजस में पड़ गया।
"हाँ, वो तो मुझे भी होना पड़ेगा! ऐसा करते हैं, अपन दोनों बस चड्डी उतार लेते हैं, फिर क्रीम लगाते हैं, बाकी कपड़े पहने रहते हैं।"
"तू तो शमीज ऊपर कर लेगी, पर मुझे तो पजामा पूरा उतरना पड़ेगा ना?"
"अरे चल ना! इतना तो अंधेरा है, कुछ नहीं दिखेगा, और बस अपन दोनों ही तो हैं!"
रवि ने सहमति में अपना सर हिला दिया। ममता ने तो अपनी कछी उतार ली, पर शमीज पहने रही। रवि को तो नीचे से पूरा नंगा होना पड़ा। पर दोनों को इस कार्य में बहुत आनन्द आ रहा था। ऐसे नंगा होना और फिर क्रीम लगाना ...! सब खेल जैसा लग रहा था। रवि का लण्ड भी अब रोमांचित हो कर कठोर हो गया था। रवि अपनी खाट से उतर कर ममता के पास चला आया था। इस उम्र में भी रवि का लंड अपने पापा जैसा लम्बा और मोटा हो चूका था!
"चल यहाँ लेट जा, अब मम्मी-पापा खेलते हैं। पहले प्यार करेंगे!" ममता उसे अपनी आग में झुलसाना चाहती थी।
उसने रवि को अपने आगोश में ले लिया। रवि को ममता के जिस्म की गर्मी महसूस होने लगी थी। उसका लण्ड भी खड़ा होकर ममता के जिस्म में ठोकर मार रहा था। दोनो लिपट गये, पर लिपटने में फ़र्क था। ममता अपनी चूत उसके लण्ड पर दबाने की कोशिश कर रही थी जबकि रवि उसे प्यार समझ रहा था।
"अब क्रीम लगाएँ...?"
"नहीं रवि , अभी और प्यार करेंगे। तू यह बनियान भी उतार दे!"
"तो आप भी शमीज उतारो दीदी!"
"ओह , यह ले...!" ममता ने अपनी शमीज उतार दी तो रवि ने भी अपनी बनियान उतार दी।
ममता ने रवि का हाथ अपने स्तनों पर रख दिया।
"दबा इसे रवि ... मसल दे इसे!" ममता ने उसके हाथों को अपने स्तनों पर भींचते हुये कहा।
रवि उसके स्तनों को मसलता-मरोड़ता रहा पर उसे तो लण्ड मसले जाने पर ही अधिक मजा आ रहा था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.