08-07-2022, 04:48 PM
रात को अचानक पापा के कमरे की बत्ती जलने से रवि की नींद खुल गई। रवि को पेशाब आने लगा था। दीदी पास ही सो रही थी। रवि ने दरवाजा खोला और बाथरूम में चला गया। बाहर आते ही रवि को खिड़की से अपने पापा की एक झलक दिखी। वो बिलकुल नंगे थे। उसे उत्सुकता हुई कि इस समय पापा नंगे क्यों हैं?
खिड़की पूरी खुली हुई थी, शायद रात के दो बजे उन्हें लगा होगा कि सभी सो रहे होंगे। उसे दूर से सब कुछ साफ़ साफ़ दिख रहा था। उन्होंने अपने हाथ में अपना लण्ड पकड़ा हुआ था और वे मम्मी को जगा रहे थे। रवि को रोमांच हो आया। रवि जल्दी से अपनी ममता दीदी को जगाया और उसे बाहर लेकर आया। उस दृश्य को देखते ही ममता की नींद उड़ गई।
मम्मी जाग गई थी और अपने बाल बांध रही थी। मम्मी खड़ी हो गई और अपने कपड़े उतारने लगी। कुछ ही देर में वो भी नंगी हो गई।
"मम्मी पापा यह क्या कर रहे हैं?" रवि ने उत्सुकतापूर्वक दीदी से फ़ुसफ़ुसा कर पूछा।
"क्या मालूम रवि?" ममता की सांसें उसे देख कर फ़ूलने लगी थी। वो तो सब जानती थी, उसने तो कई बार चुदवा भी रखा था।
तभी मम्मी बिस्तर पर पेट के बल उल्टी लेट गई और अपने चूतड़ ऊपर की ओर घोड़ी बनते हुये उभार लिये।
ममता दीदी ने रवि को देखा, रवि ने भी उसे देखा। ममता की नजरें एक बार तो नीचे झुक गई।
"मम्मी तो जाने क्या करने लगी हैं?" रवि बोला।
तभी पापा ने क्रीम की डिब्बी में से बहुत सी क्रीम निकाली और मम्मी की गाण्ड में लगाने लगे।
"पापा दवाई लगा रहे हैं।" रवि फ़ुसफ़ुसाया।
"नहीं नहीं, वो तो कोल्ड क्रीम है... दवाई नहीं है!" फिर कह कर वो खुद ही झेंप गई।
पापा ने अपनी अंगुली मम्मी की गाण्ड में घुसा दी और अन्दर-बाहर करने लगे। मम्मी के मुख से सी सी जैसा स्वर निकलने लगा। ममता जानती थी कि मम्मी-पापा क्या कर रहे हैं। फिर वही क्रीम पापा ने भी अपने लण्ड पर लगा ली। अब पापा बिस्तर पर चढ़ गये और अपना कड़ा लण्ड धीरे से मम्मी की गाण्ड में डालने लगे। ममता ने रवि की बांह कस कर पकड़ ली। ममता की सांसें तेज हो चली थी। ममता जवान थी, 21 वर्ष की थी, रवि उससे तीन वर्ष ही छोटा था।
"पापा का लण्ड कैसा मोटा और बड़ा है?" ममता ने रवि से कहा।
"लण्ड क्या होता है दीदी?" रवि को कुछ समझ में नहीं आया।
"यह तेरी सू सू है ना? इसे लण्ड कहते हैं! अब चुप हो जा!" ममता ने खीज कर कहा।
पापा ने अपना लण्ड मम्मी की गाण्ड में घुसाने का प्रयत्न किया। पहले तो वो मुड़ मुड़ जा रहा था फिर अन्दर घुस गया। ममता ने अपने हाथ से अपनी उभरी हुई छाती दबा ली और सिसक उठी।
"ममता , क्या हुआ, सीने में दर्द है क्या?" रवि ने ममता की छाती पर हाथ रख कर कहा।
ममता ने उसे मुस्करा कर देखा,"हाँ रवि , यहाँ इन दोनों में दर्द होने लगा है!"
"दीदी, मैं दबा दूँ क्या?"
"देख, ठीक से दबाना ...!" ममता की आँखें चमक उठी।
रवि ने उसका हाथ हटा दिया और शमीज के ऊपर से उसके उरोज दबाने लगा।
"वो देख ना रवि , पापा जोर जोर से मम्मी को चोद रहे हैं!" ममता मतवाली सी होने लगी।
"चल अब सो जायें!"
"अरे नहीं! और दबा ना ... फ़िर चलते हैं। फिर देख ना! पापा मम्मी को कैसे चोद रहे हैं?"
"अरे वो तो जाने क्या कर रहे है, चल ना!"
"तुझे कुछ नहीं होता है क्या? रुक जा ना, तेरा लण्ड तो दिखा ... पापा जैसा है ना?"
खिड़की पूरी खुली हुई थी, शायद रात के दो बजे उन्हें लगा होगा कि सभी सो रहे होंगे। उसे दूर से सब कुछ साफ़ साफ़ दिख रहा था। उन्होंने अपने हाथ में अपना लण्ड पकड़ा हुआ था और वे मम्मी को जगा रहे थे। रवि को रोमांच हो आया। रवि जल्दी से अपनी ममता दीदी को जगाया और उसे बाहर लेकर आया। उस दृश्य को देखते ही ममता की नींद उड़ गई।
मम्मी जाग गई थी और अपने बाल बांध रही थी। मम्मी खड़ी हो गई और अपने कपड़े उतारने लगी। कुछ ही देर में वो भी नंगी हो गई।
"मम्मी पापा यह क्या कर रहे हैं?" रवि ने उत्सुकतापूर्वक दीदी से फ़ुसफ़ुसा कर पूछा।
"क्या मालूम रवि?" ममता की सांसें उसे देख कर फ़ूलने लगी थी। वो तो सब जानती थी, उसने तो कई बार चुदवा भी रखा था।
तभी मम्मी बिस्तर पर पेट के बल उल्टी लेट गई और अपने चूतड़ ऊपर की ओर घोड़ी बनते हुये उभार लिये।
ममता दीदी ने रवि को देखा, रवि ने भी उसे देखा। ममता की नजरें एक बार तो नीचे झुक गई।
"मम्मी तो जाने क्या करने लगी हैं?" रवि बोला।
तभी पापा ने क्रीम की डिब्बी में से बहुत सी क्रीम निकाली और मम्मी की गाण्ड में लगाने लगे।
"पापा दवाई लगा रहे हैं।" रवि फ़ुसफ़ुसाया।
"नहीं नहीं, वो तो कोल्ड क्रीम है... दवाई नहीं है!" फिर कह कर वो खुद ही झेंप गई।
पापा ने अपनी अंगुली मम्मी की गाण्ड में घुसा दी और अन्दर-बाहर करने लगे। मम्मी के मुख से सी सी जैसा स्वर निकलने लगा। ममता जानती थी कि मम्मी-पापा क्या कर रहे हैं। फिर वही क्रीम पापा ने भी अपने लण्ड पर लगा ली। अब पापा बिस्तर पर चढ़ गये और अपना कड़ा लण्ड धीरे से मम्मी की गाण्ड में डालने लगे। ममता ने रवि की बांह कस कर पकड़ ली। ममता की सांसें तेज हो चली थी। ममता जवान थी, 21 वर्ष की थी, रवि उससे तीन वर्ष ही छोटा था।
"पापा का लण्ड कैसा मोटा और बड़ा है?" ममता ने रवि से कहा।
"लण्ड क्या होता है दीदी?" रवि को कुछ समझ में नहीं आया।
"यह तेरी सू सू है ना? इसे लण्ड कहते हैं! अब चुप हो जा!" ममता ने खीज कर कहा।
पापा ने अपना लण्ड मम्मी की गाण्ड में घुसाने का प्रयत्न किया। पहले तो वो मुड़ मुड़ जा रहा था फिर अन्दर घुस गया। ममता ने अपने हाथ से अपनी उभरी हुई छाती दबा ली और सिसक उठी।
"ममता , क्या हुआ, सीने में दर्द है क्या?" रवि ने ममता की छाती पर हाथ रख कर कहा।
ममता ने उसे मुस्करा कर देखा,"हाँ रवि , यहाँ इन दोनों में दर्द होने लगा है!"
"दीदी, मैं दबा दूँ क्या?"
"देख, ठीक से दबाना ...!" ममता की आँखें चमक उठी।
रवि ने उसका हाथ हटा दिया और शमीज के ऊपर से उसके उरोज दबाने लगा।
"वो देख ना रवि , पापा जोर जोर से मम्मी को चोद रहे हैं!" ममता मतवाली सी होने लगी।
"चल अब सो जायें!"
"अरे नहीं! और दबा ना ... फ़िर चलते हैं। फिर देख ना! पापा मम्मी को कैसे चोद रहे हैं?"
"अरे वो तो जाने क्या कर रहे है, चल ना!"
"तुझे कुछ नहीं होता है क्या? रुक जा ना, तेरा लण्ड तो दिखा ... पापा जैसा है ना?"
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.