08-07-2022, 04:17 PM
मैं अपना भीगा बदन तौलिये से पोंछने लगी, पर रवि मुझे छोड़ता भला। उसने गीले कपड़े एक तरफ़ रख दिये और भाग कर मेरे पीछे चिपक गया।
"भाभी मत पोंछो, गीली ही बहुत सेक्सी लग रही हो !"
"सुन रे रवि , तूने अपनी भाभी को तो चोद ही दिया है , अब सो जा, मुझे भी सोने दे !"
"नहीं रीता भाभी ... मेरे लण्ड पर तो तरस खाओ ... देखो ना आपके चूतड़ देख कर कैसा कड़क हो रहा है ... प्लीज ... बस एक बार ... अपनी गाण्ड का मजा दे दो ... मरवा लो
प्लीज ... "
"हाय ऐसा ना बोल रवि ... सच मेरी गाण्ड को लण्ड के मजे देगा ... ?" मुझे उसका ये प्रेमभाव बहुत भाया और मैंने उसके लण्ड पर अपनी कोमल और नरम पोन्द दबा दिये। उसका फिर से लण्ड तन्ना उठा।
" भाभी मेरा लण्ड चूसोगी ... बस एक बार ... फिर मैं भी आपकी भोसड़ी को चूस कर अपको मजा दूंगा !"
"हाय मेरे राजा ... तू तो मेरा काम देवता है ... "मैंने अपने चूतड़ों में से उसका लण्ड बाहर निकाल लिया और नीचे झुकती चली गई। उसका लण्ड आगे से मोटा नहीं था पर पतला था, उसका सुपाड़ा भी छोटा पर तीखा सा था, पर ऊपर की ओर उसका डण्डा बहुत ही मोटा था। सच में किसी मूली या मूसल जैसा था।
मैंने मुठ मारते हुये उसे अपने मुख में समा लिया और कस कस कर चूमने लगी। मुझे भी लग रहा था कि अब रवि भी मेरी भोसड़ी को चूस कर मेरा रस निकाले। मैंने जैसे ही उसका लण्ड चूसते हुये ऊपर देखा तो एक बार में ही वो समझ गया। उसने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और मेरी चूत पर उसके होंठ जम गये। उसकी लपलपाती हुई जीभ मेरी चूत के भीतरी भागों को सहला रही थी। जीभ की रगड़ से मेरा दाना भी कड़ा हो गया था। मैं सुख से सराबोर हो रही थी।
"भाभी मत पोंछो, गीली ही बहुत सेक्सी लग रही हो !"
"सुन रे रवि , तूने अपनी भाभी को तो चोद ही दिया है , अब सो जा, मुझे भी सोने दे !"
"नहीं रीता भाभी ... मेरे लण्ड पर तो तरस खाओ ... देखो ना आपके चूतड़ देख कर कैसा कड़क हो रहा है ... प्लीज ... बस एक बार ... अपनी गाण्ड का मजा दे दो ... मरवा लो
प्लीज ... "
"हाय ऐसा ना बोल रवि ... सच मेरी गाण्ड को लण्ड के मजे देगा ... ?" मुझे उसका ये प्रेमभाव बहुत भाया और मैंने उसके लण्ड पर अपनी कोमल और नरम पोन्द दबा दिये। उसका फिर से लण्ड तन्ना उठा।
" भाभी मेरा लण्ड चूसोगी ... बस एक बार ... फिर मैं भी आपकी भोसड़ी को चूस कर अपको मजा दूंगा !"
"हाय मेरे राजा ... तू तो मेरा काम देवता है ... "मैंने अपने चूतड़ों में से उसका लण्ड बाहर निकाल लिया और नीचे झुकती चली गई। उसका लण्ड आगे से मोटा नहीं था पर पतला था, उसका सुपाड़ा भी छोटा पर तीखा सा था, पर ऊपर की ओर उसका डण्डा बहुत ही मोटा था। सच में किसी मूली या मूसल जैसा था।
मैंने मुठ मारते हुये उसे अपने मुख में समा लिया और कस कस कर चूमने लगी। मुझे भी लग रहा था कि अब रवि भी मेरी भोसड़ी को चूस कर मेरा रस निकाले। मैंने जैसे ही उसका लण्ड चूसते हुये ऊपर देखा तो एक बार में ही वो समझ गया। उसने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और मेरी चूत पर उसके होंठ जम गये। उसकी लपलपाती हुई जीभ मेरी चूत के भीतरी भागों को सहला रही थी। जीभ की रगड़ से मेरा दाना भी कड़ा हो गया था। मैं सुख से सराबोर हो रही थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.