08-07-2022, 04:02 PM
बात करीब 1 साल पहले की है. उस समय मैं अपनी ज़िन्दगी की एक बहुत ही खूबसूरत लड़की से मिला. तब मैं और वो दोनों ही 20 साल के थे. दोस्तों, कहानी को बढ़ने के लिए मैं यहां पर उसका काल्पनिक नाम पल्लवी रख देता हूँ, क्योंकि मैं नहीं चाहता की उसकी कोई भी पहचान ओपन हो.
अब कहानी में आगे बढ़ते हैं. पल्लवी गेहुंए रंग की छरहरी लड़की थी. उसके बोबे बिलकुल आम की तरह थे और उसकी बिल्लोरी आँख बहुत ही मादक लगती थीं. वह एक बहुत ही नशीली आवाज़ वाली लड़की है. वह ऐसी थी कि अगर किसी को देख भर ले तो सामने वाले का लंड तन जाए और उसे चोदने का मन होने लगे.
उसके होंठों की तो बात ही निराली थी. उसके होंठों के बारे में सोचते ही आह सी निकल जाती है. चटक लाल रंग के उसके चमकदार होंठ जैसे लंड चूसने के लिए ही बने हों. उसकी नाक छोटी सी और बहुत प्यारी थी.
मैं जब भी उसको देखता तो मेरा मन हमेशा ही उसको चोदने का करता था. उसकी एक बड़ी बहन भी थी. जिदका नाम एकता था. लेकिन सब उसे एकता जी कहते थे. एकता जी भी बहुत बड़ी चुद्दकड़ किस्म की लड़की थीं. दिखने में वो भी एक दम पल्लवी की ही तरह थीं पर मेरे लिए वो पल्लवी से कम हॉट थीं. क्योंकि वो थोड़ी लंबी थी और मुझे लंबी लड़कियां ज्यादा पसंद नहीं हैं. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि मैं लम्बी लड़कियों की लेता नहीं हूँ. मिलने पर तो मैं उनकी गांड भी मार लेता हूँ.
पल्लवी का और मेरा रिश्ता दोस्तों वाला था लेकिन क्योंकि हम दोनों अपना अधिकतर समय साथ ही बिताते थे तो वो मेरे लिए गर्लफ्रेंड जैसे ही थी. शायद उसके मन में भी मेरे लिए फीलिंग्स थी लेकिन वो कहती कुछ नहीं थी.
दोस्तों, उसका एक बॉयफ्रेंड भी था. उसका नाम रेहान था. रेहान हैंडसम था और मुझ से लम्बा भी था. इस कारण उसके पीछे भी कई लड़कियां पागल थीं. लेकिन वो पूरा लल्लू टाइप का था. पल्लवी और वो एक – दूसरे से प्यार करने की बात करते थे लेकिन उन्होंने कभी भी सेक्स चैट तक नहीं किया था और शायद अभी तक किस भी नहीं किया था.
पल्लवी को पाने के लिए मुझे उस को रास्ते से हटाना था. चूंकि, वो थोड़ा शांत और डरपोक टाइप का था तो उसे रास्ते से हटाना बहुत ही आसान काम था. मैं तो बस मौके का इंतजार कर रहा था. लेकिन काफी दिन तक इंतजार करने के बावजूद मुझे ऐसा कोई मौका मिला ही नहीं.
एक दिन की बात है. मैं और पल्लवी हैंग आउट करने के लिए निकले थे. पल्लवी के घर के पीछे एक सुनसान जगह थी. दोस्तों, वो असल में एक जंगल के जैसा था, लेकिन आस – पास आबादी भी थी तो लोग अक्सर वहां पर अपनी गर्लफ्रेंड और माल को लेकर चुम्मा – चाटी करने आते थे.
अब कहानी में आगे बढ़ते हैं. पल्लवी गेहुंए रंग की छरहरी लड़की थी. उसके बोबे बिलकुल आम की तरह थे और उसकी बिल्लोरी आँख बहुत ही मादक लगती थीं. वह एक बहुत ही नशीली आवाज़ वाली लड़की है. वह ऐसी थी कि अगर किसी को देख भर ले तो सामने वाले का लंड तन जाए और उसे चोदने का मन होने लगे.
उसके होंठों की तो बात ही निराली थी. उसके होंठों के बारे में सोचते ही आह सी निकल जाती है. चटक लाल रंग के उसके चमकदार होंठ जैसे लंड चूसने के लिए ही बने हों. उसकी नाक छोटी सी और बहुत प्यारी थी.
मैं जब भी उसको देखता तो मेरा मन हमेशा ही उसको चोदने का करता था. उसकी एक बड़ी बहन भी थी. जिदका नाम एकता था. लेकिन सब उसे एकता जी कहते थे. एकता जी भी बहुत बड़ी चुद्दकड़ किस्म की लड़की थीं. दिखने में वो भी एक दम पल्लवी की ही तरह थीं पर मेरे लिए वो पल्लवी से कम हॉट थीं. क्योंकि वो थोड़ी लंबी थी और मुझे लंबी लड़कियां ज्यादा पसंद नहीं हैं. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि मैं लम्बी लड़कियों की लेता नहीं हूँ. मिलने पर तो मैं उनकी गांड भी मार लेता हूँ.
पल्लवी का और मेरा रिश्ता दोस्तों वाला था लेकिन क्योंकि हम दोनों अपना अधिकतर समय साथ ही बिताते थे तो वो मेरे लिए गर्लफ्रेंड जैसे ही थी. शायद उसके मन में भी मेरे लिए फीलिंग्स थी लेकिन वो कहती कुछ नहीं थी.
दोस्तों, उसका एक बॉयफ्रेंड भी था. उसका नाम रेहान था. रेहान हैंडसम था और मुझ से लम्बा भी था. इस कारण उसके पीछे भी कई लड़कियां पागल थीं. लेकिन वो पूरा लल्लू टाइप का था. पल्लवी और वो एक – दूसरे से प्यार करने की बात करते थे लेकिन उन्होंने कभी भी सेक्स चैट तक नहीं किया था और शायद अभी तक किस भी नहीं किया था.
पल्लवी को पाने के लिए मुझे उस को रास्ते से हटाना था. चूंकि, वो थोड़ा शांत और डरपोक टाइप का था तो उसे रास्ते से हटाना बहुत ही आसान काम था. मैं तो बस मौके का इंतजार कर रहा था. लेकिन काफी दिन तक इंतजार करने के बावजूद मुझे ऐसा कोई मौका मिला ही नहीं.
एक दिन की बात है. मैं और पल्लवी हैंग आउट करने के लिए निकले थे. पल्लवी के घर के पीछे एक सुनसान जगह थी. दोस्तों, वो असल में एक जंगल के जैसा था, लेकिन आस – पास आबादी भी थी तो लोग अक्सर वहां पर अपनी गर्लफ्रेंड और माल को लेकर चुम्मा – चाटी करने आते थे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.