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Incest बेवा आपा और भानजी
#4
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अब मेरी वासना और बढ़ी तो मैं उसकी दोनों चूचियों को दबाने लगा. मेरा लंड तो पहले से ही खड़ा हुआ था इसलिए मैं अब अपने लंड को भी उसके बदन से छुआने की कोशिश कर रहा था और धीरे धीरे उसकी जांघों के करीब सरक रहा था.

एक हाथ से उसकी चूची दबाते हुए मैंने सरक कर अपने तने हुए लंड को उसकी जांघ पर टच कर दिया और धकेलने लगा जैसे कि उसकी जांघ में छेद करने की कोशिश कर रहा था.
सच में दोस्तो, अगर मेरा वश चलता तो मैं सचमुच में अपने लंड को घुसा घुसाकर उसकी जांघ में छेद कर देता. इतने में ही रजिया ने मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया.
वो बोली- ये क्या कर रहा है तू?
मैंने कहा- कुछ नहीं, बस ऐसे ही लग गया.
वो बोली- ऐसे ही तो नहीं लगा. तूने लगाया है तभी लगा है.
मैं बोला- हां, तुझे उंगली करते हुए देख लिया तो रहा न गया.
रजिया बोली- तो तू ही बता? मैं उंगली न करूं तो और क्या करूं? जब से तेरे जीजाजी इस दुनिया से गये हैं तब से मैं बहुत अकेली पड़ गयी हूं. कई बार मन में ख्याल आते हैं कि कहीं बाहर ही मुंह मारकर अपने जिस्म की प्यास को शांत कर लूं लेकिन इज्जत जाने का भी उतना ही डर रहता है. इसलिए हाथ से ही कर लेती हूं.
उसका दुख देख कर मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और कहा- आपा, मैं तेरा हर स्थिति में साथ निभाऊँगा.
इतना सुनते ही वो मेरे सीने से लिपट कर रोने लगी. मैंने उसके कंधों को सहलाना शुरू किया और उसको चुप करवाने लगा.
दो मिनट के बाद जब उसका मन हल्का हुआ तो उसने मेरी ओर देखा. मैंने उसके माथे को चूम लिया. फिर एक दूसरे की आंखों में देखते हुए हम दोनों के होंठ भी आपस में मिल गये.
हम भाई-बहन एक दूसरे को किस करने लगे. रजिया ने कितने ही सालों से किसी मर्द के हाथों अपने जिस्म का मर्दन नहीं करवाया था. इसलिए उसके चुम्बनों में भी वो प्यास साफ साफ महसूस हो रही थी. वो मेरे मुंह से मेरी लार को खींच खींचकर चूस रही थी.
मेरे होंठों को चूसते चूसते उसका हाथ मेरी निक्कर में पहुंच गया. उसने मेरे लंड को मेरी फ्रेंची के ऊपर से सहलाया और फिर मेरी निक्कर का बटन खोलने लगी. उसने बटन खोलकर मेरी निक्कर को उतरवा दिया. अब मैं नीचे से फ्रेंची में था और ऊपर टीशर्ट बची थी.
अब मैं उसकी मैक्सी को उतारने लगा और उसके हाथ ऊपर करवाकर मैंने उसकी मैक्सी को सिर के ऊपर से निकाल कर उसके जिस्म से अलग कर दिया. रजिया ने नीचे से कुछ भी नहीं पहना हुआ था इसलिए मैक्सी उतारते ही उसका नंगा बदन मेरे सामने था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: बेवा आपा और भानजी - by neerathemall - 08-07-2022, 11:29 AM



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