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Incest मेरी बड़ी बहन की कातिल जवानी
#63
दोनों पैर कुर्सी के हत्थों के ऊपर चढा कर फैला देने के बाद भी चुत के दोनों होंठ अलग नहीं हुए थे. चुत पर ऊपर के हिस्से में झांटे थी मगर निचे गुलाबी कचौरी जैसे होंठो के आस पास एक दम बाल नहीं थे. मैं जमीन पर बैठ कर दीदी के दोनों रानो पर दोनों हाथ रख कर गर्दन झुका कर एक दम ध्यान से दीदी की चुत को देखने लगा. चुत के सबसे ऊपर में किसी तोते के लाल चोंच की तरह बाहर की तरफ निकली हुई दीदी के चुत का भागनाशा था. कचौरी के जैसी चुत के दोनों फांको पर अपना हाथ लगा कर दोनों फांको को हल्का सा फैलाती हुई दीदी बोली “राजू….ध्यान से देख ले….अच्छी तरह से अपनी दीदी की बूर को देख बेटा….

चुत फैला के देखेगा तो तुझे….पानी जैसा नज़र आएगा….उसको चाट का अच्छी तरह से खाना….चुत की असली चटनी वही है….” दीदी के चुत के दोनों होंठ फ़ैल और सिकुर रहे थे. मैंने अपनी गर्दन को झुका दिया और जीभ निकल कर सबसे पहले चुत के आस पास वाले भागो को चाटने लगा. रानो के जोर और जांघो को भी चाटा. जांघो को हल्का हल्का काटा भी फिर जल्दी से दीदी की चुत पर अपने होंठो को रख कर एक चुम्मा लिया और जीभ निकाल कर पूरी दरार पर एक बार चलाया. जीभ छुलाते ही दीदी सिसया उठी
और बोली “सीईई….बहुत अच्छा भाई…तुम्हे आता है…मुझे लग रहा था की सिखाना पड़ेगा मगर तू तो बहुत होशियार है….हाय….बूर चाटना आता है…. ऐसे ही….राजू तुने शुरुआत बहुत अच्छी की है….अब पूरी चुत पर अपनी जीभ फिराते हुए…॥मेरी बूर की टीट को पहले अपने होंठो के बीच दबा कर चूस…देख मैं बताना भूल गई थी….चुत के सबसे ऊपर में जो लाल-लाल निकला हुआ है ना….उसी को होंठो के बीच दबा के चूसेगा….तब मेरी चुत में रस निकलने लगेगा….फिर तू आराम से चाट कर चूसना….सीईईई…..राजू मैं जैसा बताती हूँ वैसा ही कर….” मैं तो पहले से ही जानता था की टीट या भागनाशा क्या होती है.
मुझे बताने की जरुरत तो नहीं थी पर दीदी ने ये अच्छा किया था की मुझे बता दिया था की कहाँ से शुरुआत करनी है. मैंने अपने होंठो को खोलते हुए टीट को मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दिया. टीट को होंठो के बीच दबा कर अपनी दांतों से हलके हलके काटते हुए मैं उस पर अपने होंठ रगर रहा था. टीट और उसके आस पास ढेर सारा थूक लग गया था और एक पल के लिए जब मैंने वह से अपना मुंह हटाया तो देखा की मेरी चुसाई के कारण टीट चमकने लगी है. एक बार और जोर से टीट को पूरा मुंह में भर कर चुम्मा लेने के बाद मैंने अपनी जीभ को करा करके पूरी चुत की दरार में ऊपर से निचे तक चलाया और फिर चुत के एक फांक को अपने दाहिने हाथ की उँगलियों से पकर कर हल्का सा फैलाया. चुत की गुलाबी छेद मेरी आँखों के सामने थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: मेरी बड़ी बहन की कातिल जवानी - by neerathemall - 07-07-2022, 04:24 PM



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