07-07-2022, 04:23 PM
दीदी के मुंह से एक हलकी सी आह निकल गई. मैंने घबरा कर चूची छोड़ी तो दीदी ने मेरा हाथ पकड़ फिर से अपनी चुचियों पर रखते हुए दबाया तो मैं समझ गया की दीदी को मेरा दबाना अच्छा लग रहा है और मैं जैसे चाहू इनकी चुचियों के साथ खेल सकता हूँ. गर्दन उचका कर चुचियों के पास मुंह लगा कर एक हाथ से चूची को पकड़ दबाते हुए दूसरी चूची को जैसे ही अपने होंठो से छुआ मुझे लगा जैसे दीदी गनगना गई उनका बदन सिहर गया.मेरे सर के पीछे हाथ लगा बालों में हाथ फेरते हुए मेरे सर को अपनी चुचियों पर जोर से दबाया.
मैंने भी अपने होंठो को खोलते हुए उनकी चुचियों के निप्पल सहित जितना हो सकता था उतना उनकी चुचियों को अपने मुंह में भर लिया और चूसते हुए अपनी जीभ को निप्पल के चारो तरफ घुमाते हुए चुमलाया तो दीदी सिसयाते हुए बोली “आह….आ…हा….सी…सी….ये क्या कर रहा है…उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़…..मार डाला….साले मैं तो तुझे अनारी समझती थी….मगर….तू….तो खिलाड़ी निकला रे…..हाय…चूची चूसना जानता है…..मैं सोच रही थी सब तेरे को सिखाना पड़ेगा….हाय…चूस भाई…सीईई….
ऐसे ही निप्पल को मुंह में लेकर चूस और चूची दबा….हाय रस निकाल बहुत दिन हो गए…..” अब तो मैं जैसे भूखा शेर बन गया और दीदी की चुचियों को मुंह में भर ऐसे चूसने लगा जैसे सही में उसमे से रस निकल कर खा जाऊंगा. कभी बाई चूची को कभी दाहिनी चूची को मुंह में भर भर कर लेते हुए निप्पलों को अपने होंठो के बीच दबा दबा कर चूसते हुए रबर की तरह खींच रहा था. चुचियों के निप्पल के चारो तरफ के घेरे में जीभ चलाते हुए जब दुसरे हाथ से दीदी की चूची को पकड़ कर दबाते हुए निप्पल को चुटकी में पकड़ कर खींचा तो मस्ती में लहराते हुए दीदी लड़खड़ाती आवाज़ में बोली
मैंने भी अपने होंठो को खोलते हुए उनकी चुचियों के निप्पल सहित जितना हो सकता था उतना उनकी चुचियों को अपने मुंह में भर लिया और चूसते हुए अपनी जीभ को निप्पल के चारो तरफ घुमाते हुए चुमलाया तो दीदी सिसयाते हुए बोली “आह….आ…हा….सी…सी….ये क्या कर रहा है…उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़…..मार डाला….साले मैं तो तुझे अनारी समझती थी….मगर….तू….तो खिलाड़ी निकला रे…..हाय…चूची चूसना जानता है…..मैं सोच रही थी सब तेरे को सिखाना पड़ेगा….हाय…चूस भाई…सीईई….
ऐसे ही निप्पल को मुंह में लेकर चूस और चूची दबा….हाय रस निकाल बहुत दिन हो गए…..” अब तो मैं जैसे भूखा शेर बन गया और दीदी की चुचियों को मुंह में भर ऐसे चूसने लगा जैसे सही में उसमे से रस निकल कर खा जाऊंगा. कभी बाई चूची को कभी दाहिनी चूची को मुंह में भर भर कर लेते हुए निप्पलों को अपने होंठो के बीच दबा दबा कर चूसते हुए रबर की तरह खींच रहा था. चुचियों के निप्पल के चारो तरफ के घेरे में जीभ चलाते हुए जब दुसरे हाथ से दीदी की चूची को पकड़ कर दबाते हुए निप्पल को चुटकी में पकड़ कर खींचा तो मस्ती में लहराते हुए दीदी लड़खड़ाती आवाज़ में बोली
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.