07-07-2022, 04:18 PM
दीदी आँख नचाते हुए बोली “चुत ही तो देखनी है…वो तो मैं पेटिकोट उठा कर दिखा दूंगी…” फिर तेजी से बाहर निकल बाथरूम चली गई. मैं सोच में पड़ गया मैं दीदी को पूरा नंगा देखना चाहता था. मैं उनकी चूची और चुत दोनों देखना चाहता था और साथ में उनको चोदना भी चाहता था, पर वो तो बाद की बात थी पहले यहाँ दीदी के नंगे बदन को देखने का जुगार लगाना बहुत जरुरी था.मैंने सोचा की मुझे कुछ हिम्मत से काम लेना होगा. दीदी जब वापस रूम में आकर अपने पेटिकोट को घुटनों के ऊपर तक चढा कर बिस्तर पर बैठने लगी तो मैं बोला ” दीदी….दीदी…मैं….चू…चू…चूची भी देखना…चाहता हूँ”. दीदी इस पर चौंकने का नाटक करती बोली “क्या मतलब…चूची भी देखनी है….चुत भी देखनी है….मतलब तू तो मुझे पूरा नंगा देखना चाहता है….
हाय….बड़ा बेशर्म है….अपनी बड़ी बहन को नंगा देखना चाहता है….क्यों मैं ठीक समझी ना…तू अपनी दीदी को नंगा देखना चाहता है…बोल, …ठीक है ना….” मैं भी शरमाते हुए हिम्मत दिखाते बोला “हां दीदी….मुझे आप बहुत अच्छी लगती हो….मैं….मैं आप को पूरा…नंगा देखना….चाहता…”“बड़ा अच्छा हिसाब है तेरा….अच्छी लगती हो…..अच्छी लगने का मतलब तुझे नंगी हो कर दिखाऊ…कपड़ो में अच्छी नहीं लगती हूँ क्या….”“हाय दीदी मेरा वो मतलब नहीं था….वो तो आपने कहा था….फिर मैंने सोचा….सोचा….”“हाय भाई…तुने जो भी सोचा सही सोचा….मैं अपने भाई को दुखी नहीं देख सकती….
मुझे ख़ुशी है की मेरा इक्कीस साल का नौजवान भाई अपनी बड़ी बहन को इतना पसंद करता है की वो नंगा देखना चाहता है….हाय…मेरे रहते तुझे ग्वालिन जैसी औरतो की तरफ देखने की कोई जरुरत नहीं है….राजू मैं तुझे पूरा नंगा हो कर दिखाउंगी…..फिर तुम मुझे बताना की तुम अपनी दीदी के साथ क्या-क्या करना चाहते हो….”.मेरी तो जैसे लाँटरी लग गई. चेहरे पर मुस्कान और आँखों में चमक वापस आ गई. दीदी बिस्तर से उतर कर नीचे खड़ी हो गई और हंसते हुए बोली “पहले पेटिको़ट ऊपर उठाऊ या ब्लाउज खोलू…” मैंने मुस्कुराते हुए कहा “हाय दीदी दोनों….खोलो….पेटिको़ट भी और ब्लाउज भी….
हाय….बड़ा बेशर्म है….अपनी बड़ी बहन को नंगा देखना चाहता है….क्यों मैं ठीक समझी ना…तू अपनी दीदी को नंगा देखना चाहता है…बोल, …ठीक है ना….” मैं भी शरमाते हुए हिम्मत दिखाते बोला “हां दीदी….मुझे आप बहुत अच्छी लगती हो….मैं….मैं आप को पूरा…नंगा देखना….चाहता…”“बड़ा अच्छा हिसाब है तेरा….अच्छी लगती हो…..अच्छी लगने का मतलब तुझे नंगी हो कर दिखाऊ…कपड़ो में अच्छी नहीं लगती हूँ क्या….”“हाय दीदी मेरा वो मतलब नहीं था….वो तो आपने कहा था….फिर मैंने सोचा….सोचा….”“हाय भाई…तुने जो भी सोचा सही सोचा….मैं अपने भाई को दुखी नहीं देख सकती….
मुझे ख़ुशी है की मेरा इक्कीस साल का नौजवान भाई अपनी बड़ी बहन को इतना पसंद करता है की वो नंगा देखना चाहता है….हाय…मेरे रहते तुझे ग्वालिन जैसी औरतो की तरफ देखने की कोई जरुरत नहीं है….राजू मैं तुझे पूरा नंगा हो कर दिखाउंगी…..फिर तुम मुझे बताना की तुम अपनी दीदी के साथ क्या-क्या करना चाहते हो….”.मेरी तो जैसे लाँटरी लग गई. चेहरे पर मुस्कान और आँखों में चमक वापस आ गई. दीदी बिस्तर से उतर कर नीचे खड़ी हो गई और हंसते हुए बोली “पहले पेटिको़ट ऊपर उठाऊ या ब्लाउज खोलू…” मैंने मुस्कुराते हुए कहा “हाय दीदी दोनों….खोलो….पेटिको़ट भी और ब्लाउज भी….
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.