07-07-2022, 04:17 PM
“अच्छा तुझे चूची देखनी है….वो तो मैं तुझे दिखा दिया ना…यही तो है…ले देख…” कहते हुए अपनी ब्रा में कसी दोनों चुचियों के निचे हाथ लगा उनको उठा कर उभारते हुए दिखाया. छोटी सी नीले रंग की ब्रा में कसी दोनों गोरी गदराई चूचियां और ज्यादा उभर कर नजरो के सामने आई तो लण्ड ने एक ठुनकी मारी, मगर दिल में करार नहीं आया. एक तो चूचियां ब्रा में कसी थी, नंगी नहीं थी दूसरा मैं चुत दिखाने की बात कर रहा था और दीदी यहाँ चूची उभार कर दिखा रही थी. होंठो पर जीभ फेरते हुए बोला “हाय…नहीं…दीदी आप समझ नहीं रही….वो वो दू…सरी वाली चीज़ चु…चु…चुत दिखाने….के लिए…”“ओह हो…तो ये चक्कर है….
ये है ग्वालिन वाली चीज़…..साले ग्वालिन की नहीं देखने को मिली तो अपनी बड़ी बहन की देखेगा….मैं सोच रही थी तुझे शरीर बर्बाद करने से नहीं रोकूंगी तो माँ को क्या बोलेगी….यहाँ तो उल्टा हो रहा है….देखो माँ…तुमने कैसा लाडला पैदा किया है….अपनी बड़ी बहन को बुर दिखने को बोल रहा है….हाय कैसा बहनचोद भाई है मेरा….मेरी चुत देखने के चक्कर में है…उफ्फ्फ….मैं तो फंस गई हूँ…मुझे क्या पता था की मुठ मारने से रोकने की इतनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी….”
दीदी की ऐसे बोलने पर मेरा सारा जोश ठंडा पर गया. मैं सोच रहा था अब मामला फिट हो गया है और दीदी ख़ुशी ख़ुशी सब कुछ दिखा देंगी. शायद उनको भी मजा आ रहा है, इसलिए कुछ और भी करने को मिल जायेगा मगर दीदी के ऐसे अफ़सोस करने से लग रहा था जैसे कुछ भी देखने को नहीं मिलने वाला. मगर तभी दीदी बोली “ठीक है मतलब तुझे चुत देखनी है….अभी बाथरूम से आती हूँ तो तुझे अपनी बुर दिखाती हूँ” कहती हुई बेड से निचे उतर ब्लाउज के बटन बंद करने लगी. मेरी कुछ समझ में नहीं आया की दीदी अपना ब्लाउज क्यों बंद कर रही है मैं दीदी के चेहरे की तरफ देखने लगा तो
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.